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ज्योतिष अनुसार जानें कि क्या प्रेम विवाह में कुंडली मिलान आवश्यक है?

विवाह में कुंडली मिलान एक महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली मिलान के माध्यम से दो व्यक्तियों के गुणों, दोषों और ग्रहों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है और उनके वैवाहिक जीवन की संभावनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती हैं। कुंडली के माध्यम से, विवाह के संबंध में संभावित समस्याओं का एक समाधान ढूंढा जा सकता है और वैवाहिक जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए उपायों की सलाह भी दी जाती है।

प्रेम विवाह में कुंडली मिलान का महत्व

प्रेम विवाह में कुंडली मेल करना महत्वपूर्ण माना जाता है। कुंडली के माध्यम से दो व्यक्तियों की गुणवत्ता, दोष, संघर्षों और उनके भविष्य के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। कुंडली में ज्योतिषीय दृष्टिकोण से नकारात्मक योगों, दोषों और अनुकूल योगों की जांच की जाती है। इससे शादी करने वाले दोनों व्यक्तियों के बीच संघर्षों का पता लगाया जा सकता है और उन्हें संभावित बाधाओं के बारे में सूचित कर सकते है। इससे वे समस्याओं के लिए समाधान ढूँढ़ सकते हैं और उन्हें समस्या का सामना करने की क्षमता प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में कुंडली मिलान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसके द्वारा विवाह से पहले दोनों व्यक्तियों को अपने विवाह के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने में मदद मिलती है।

यह भी पढ़ें- अगर आप भी कर रहें है विवाह की तैयारी, तो जरुर करें कुंडली मिलान, नही तो होगी बड़ी परेशानी

कुंडली मिलान के दौरान किन चीजों पर ध्यान दिया जाता हैं?

शादी से पहले कुंडली का मिलान करना ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं, क्योंकि इसके माध्यम से व्यक्ति को अपने आने वाले वैवाहिक जीवन के बारे में पता लग जाता है। चलिए जानते है कि शादी करने से पहले लोग कुंडली का मिलान करने पर विचार क्यों करते हैं:

गुण मिलान

कुंडली मिलान में, गुणों का मिलान करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसमें आठ गुणों का महत्वपूर्ण रूप से मिलान किया जाता है। गुण मिलान विवाह में कुंडली मिलान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। गुण मिलान के दौरान, दोनों व्यक्तियों की जन्म कुंडली में उपलब्ध गुणों को मिलाया जाता है। इन गुणों में वर्ण, वैवाहिक जीवन, वित्तीय स्थिति, संतान, स्वास्थ्य, मंगल दोष आदि शामिल होते हैं। इन गुणों के आधार पर, दोनों व्यक्तियों के वैवाहिक संबंध के बारे में जानकारी मिलती है।

शुभ मुहूर्त

विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण, उपनयन और अन्य धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए शुभ मुहूर्त का चयन किया जाता हैं, ताकि जातक को अपने आने वाले जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा का सामना न करना पड़े। साथ ही कुंडली मिलान से जातक के विवाह का शुभ मुहूर्त भी निकाला जाता है।

ये मुहूर्त उन विशेष समयों को दर्शाते हैं, जब ग्रहों की स्थिति शुभ होती है और कोई नकारात्मक शक्ति उत्पन्न नहीं होती। इसलिए यदि आप अपने किसी विशेष कार्यक्रम के लिए शुभ मुहूर्त ढूंढ रहे हैं, तो आपको ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका चुनाव करना चाहिए।

दोषों का पता लगाना

कुंडली मिलान के दौरान, जातक की कुंडली में कोई दोष है या नहीं इस बात का पता लगाना जाता है। इससे शादी के बाद संबंधों में कोई दिक्कत नहीं होती है। कुंडली का मिलान करते समय नक्षत्र, गुण, दोष, योग, दशा आदि के माध्यम से दोषों का पता लगाया जाता है। कुंडली मिलान में कुछ अशुभ दोष जैसे मंगल दोष, नाड़ी दोष, भकूट दोष, गण दोष आदि होते हैं, जो जातक के वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर सकते है। इसलिए जातक के विवाह से पहले इन सभी दोषों का पता लगाया जाता है। 

अगर कोई जातक प्रेम विवाह करना चाहता है और बिना कुंडली का मिलान करवाएं विवाह कर लेता है, तो उसे इस बात का पता नहीं चल पाएंगा कि उसकी या उसके साथी की कुंडली  में कोई दोष है या नहीं। इसलिए विवाह करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिष से अपनी कुंडली का विश्लेषण जरूर करवाएं, ताकि आपके आने वाले जीवन में कोई बाधा उत्पन्न न हो।

मंगल दोष

मंगल दोष एक अशुभ योग है, जो कुंडली में मंगल ग्रह के दोषपूर्ण स्थानों में होने पर प्रभाव डालता है। मंगल दोष के मूल फल विवाह जीवन में अशांति, झगड़े, दंपति के बीच अनबन, संतान ना होना, घर के लड़ाई-झगड़े आदि होते है। अगर कोई जातक बिना कुंडली मिलान के विवाह कर लेता है, तो उसे अपने या अपने साथी के मंगल दोष के बारें में पता नही चल पाएंगा। अगर लड़का या लड़की मे से कोई भी मंगालिक हुआ, तो उनका प्रेम विवाह परेशानियों से भर सकता हैं।

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विवाह करने से पहले क्यों किया जाता है कुंडली मिलान?

शादी से पहले कुंडली का मिलान करना एक पुरानी परंपरा है, जो भारतीय संस्कृति में काफी समय से चली आ रही है। कुंडली का मिलान करने का मुख्य कारण यह है कि इससे शादी करने वाले दोनों लोगों के जीवन में संघर्ष या दोषों का पता चल सकता है, जिन्हें दूर करने के लिए कुछ उपाय किए किए जा सकते हैं।

शादी एक ऐसा फैसला है, जो एक व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है और इससे उसके भविष्य पर काफी प्रभाव पड़ता है। कुंडली का मिलान करने से, शादी करने वाले लोगों के गुण मिलते हैं और उनकी राशि, नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के आधार पर दोषों का पता लगाया जा सकता है। यदि कुंडली में कोई दोष होता है, तो उसे दूर करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं और शादी से पहले यह समस्याएं हल करने में मदद मिल सकती हैं।

यही कारण है कि शादी से पहले कुंडली मिलान एक बहुत महत्वपूर्ण कदम होता है, जो शादी के बाद उत्पन्न होने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। शादी से पहले कुंडली का मिलान करने का मुख्य कारण यह होता है कि इससे यह पता लगाया जा सके कि दोनों व्यक्तियों की गुणवत्ता कैसी है।

कुंडली से यह भी पता चलता है कि दोनों लोगों की कुंडलियों में मंगल दोष, नाड़ी दोष, भकूट दोष, गण दोष, योनि दोष आदि हैं या नहीं, क्योंकि यह दोष शादी के बाद विवाहित जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। इसलिए यह जानना अति आवश्यक होता है ताकि उन्हें शादी के बाद समस्याओं का सामना न करना पड़े। 

यह भी पढ़ें- जानें कुंडली में प्रेम विवाह के लिए महत्वपूर्ण योग, ग्रह, और भाव जो देते है लव मैरिज के संकेत

कुंडली मिलान न करने से वर-वधू के जीवन पर प्रभाव

  • परिवार ज्योतिष में दृढ़ता से विश्वास कर सकते हैं, यही कारण है कि विवाह से पहले कुंडली मिलान किया जाता हैं। यह युगल और उनके परिवारों के लिए सामाजिक आलोचना, पारिवारिक विवाद और भावनात्मक संकट का कारण बन सकता है।
  • कुंडली मिलान न होने के कारण दंपति और उनके परिवारों में अंधविश्वास हो सकता है। वे कुंडली के बेमेल मिलान के लिए अपने जीवन में किसी भी अशुभ घटना या चुनौतियों को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। इससे अनावश्यक भय, चिंता और तनाव हो सकता हैं।
  • अगर कुंडली में दोष होते हैं, तो शादी के बाद विवाहित जोड़े के बीच अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि तलाक, सामाजिक रूप से बदनामी और मानसिक तनाव आदि।
  • कुंडली का विश्लेषण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है ताकि आने वाले जीवन में संभवतः उत्पन्न होने वाली समस्याओं से पहले ही उन्हें पहचाना जा सके और उपाय किए जा सकें।
  • दंपति को भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक अनुकूलता के मामले में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जो उनके रिश्ते को प्रभावित कर सकता है और संघर्ष का कारण बन सकता है।
  • अगर कुंडली का विश्लेषण नहीं होता है, तो शादी के बाद वर और वधू को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। इन स्वास्थ्य समस्याओं के लिए लंबे समय तक चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है और यह दंपति पर तनाव और वित्तीय बोझ बढ़ सकता है।
  • इसके अलावा, यदि कुंडली का विश्लेषण नहीं होता है, तो इसका परिणाम वित्तीय चुनौतियों पर भी हो सकता है। यह वर और वधू के लिए करियर ग्रोथ में कमी का कारण बन सकता है। साथ ही यह उनके जीवन में वित्तीय तनाव, असंतोष और अस्थिरता पैदा कर सकता हैं।

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