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Purnima Vrat 2022: जानें क्या होता है पूर्णिमा व्रत और इसका महत्व

हिंदू धर्म में पूर्णिमा को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में शुभ दिन माना जाता है। इसी के साथ हिंदू कैलेंडर में हर महीने शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पूर्णिमा होती है। आपको बता दें कि हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है इसीलिए पूर्णिमा व्रत रखा जाता है।

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आपको बता दें कि साल 2022 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 8 दिसंबर यानी मंगलवार के दिन पड़ेगी। ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा का काफी महत्व होता है क्योंकि इस दिन लोग व्रत रखकर अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं चलिए जानते हैं कि साल 2022 में कब का पूर्णिमा है और कब रखा जाएगा।

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पूर्णिमा व्रत की तिथियां (Purnima Vrat Tithi 2022)

महीनादिनांकदिनपूर्णिमा
जनवरी17 जनवरी 2022सोमवारपौष पूर्णिमा
फरवरी16 फरवरी 2022बुधवारमाघ पूर्णिमा
मार्च17 मार्च 2022गुरुवार फाल्गुन पूर्णिमा
अप्रैल16 अप्रैल 2022शनिवारचैत्र पूर्णिमा
मई16 मई 2022रविवारवैशाख पूर्णिमा
जून14 जून 2022मंगलवारज्येष्ठ पूर्णिमा
जुलाई13 जुलाई 2022बुधवारआषाढ़ पूर्णिमा
अगस्त11 अगस्त 2022गुरुवारश्रावण पूर्णिमा
सितंबर10 सितंबर 2022शनिवारभाद्रपद पूर्णिमा
अक्टूबर9 अक्टूबर 2022रविवारअश्विनी पूर्णिमा
नवंबर8 नवंबर 2022मंगलवार कार्तिक पूर्णिमा
दिसंबर8 दिसंबर 2022बुधवारमार्गशीर्ष पूर्णिमा

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पूर्णिमा व्रत का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा व्रत को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। बता देगी पूर्णिमा के दिन बड़े-बड़े उत्सव मनाया जाते हैं इस दिन बड़े बड़े लोगों के जन्म आदि का उत्सव भी मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है और पूर्णिमा के दिन चांद के पूरे होने पर उसका प्रभाव जातक के मन पर अवश्य पड़ता है। इसी के साथ पूर्णिमा के दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान की पूजा करते हैं। इसी के साथ जो भी जातक विधि-विधान से भगवान की पूजा करता है उसका यह व्रत सफल होता है और उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

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मई माह में पूर्णिमा व्रत (Purnima Vrat May 2022)

साथ ही वैशाख पूर्णिमा या बुध पूर्णिमा को हिंदू धर्म से लेकर बौद्ध धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन बहुत धर्म के संस्थापक बुध भगवान का जन्म हुआ था।  यही कारण है कि बुद्ध पूर्णिमा को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। साल 2022 में वैशाख पूर्णिमा या बुद्धपूर्णिमा 16 मई यानी सोमवार के दिन पड़ रही है। बता दें कि इस दिन भगवान बुद्ध, चंद्रदेव, विष्णु भगवान की पूजा का विधान होता है। इसी के साथ हिंदू धर्म में बुध भगवान को विष्णु का स्वरूप माना गया है।

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वैशाख पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त (Vaishakh Purnima Tithi aur Shubh Muhurat)

बुद्ध पूर्णिमा 2022 – 16 मई 2022, सोमवार

पूर्णिमा तिथि का आरंभ – 15 मई की रात 12 बजकर 45 मिनट से

पूर्णिमा तिथि का समापन –16 मई की रात 09 बजकर 45 मिनट तक

वैशाख पूर्णिमा की पूजा विधि (Vaishakh Purnima Puja Vidhi)

  • इस पूर्णिमा के दिन आपको सुबह जल्दी उठकर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
  • साथ ही जातक को अपने घर के मंदिर को अच्छे से साफ करना चाहिए और मंदिर में गंगाजल छिड़कना चाहिए।
  • उसके बाद आपको सभी देवी देवताओं का आह्वान कर प्रणाम करना चाहिए।
  • आपको भगवान विष्णु की तस्वीर पर हल्दी से अभिषेक करना चाहिए और उन्हें तुलसी अर्पित करनी चाहिए।
  • भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा और आरती जरूर करनी चाहिए।
  • इसी के साथ आपको भगवान विष्णु को सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए।
  • उसके बाद आपको व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • आपको बता दें कि इस व्रत में चंद्रमा की पूजा का सबसे ज्यादा महत्व होता है।
  • रात को चंद्र उदय होने के बाद चंद्रमा पर जल अर्पित  करने आपको अपने व्रत का पारण करना चाहिए।

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पूर्णिमा व्रत के लाभ (Purnima Vrat ke Labh)

  • जो भी व्यक्ति पूर्णिमा का व्रत रखता है उस पर भगवान विष्णु और चंद्रमा की विशेष कृपा होती है।
  • इसी के साथ यह व्रत रखने से जातक की सभी मनोकामना भी पूर्ण हो जाती हैं।
  • इस व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक परेशानियों नहीं आती हैं।
  • सच्चे मन से इसको करता है उसकी सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
  • पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से जातक को पुण्य प्राप्त होता है।
  • साथ ही पूर्णिमा व्रत रखने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु जातक के सभी कष्टों का नाश कर देते हैं।
  • अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्र दोष होता है, तो वह पूर्णिमा के दिन चंद्र उपाय करके इस दोष से छुटकारा पा सकता है।
  • आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और सूर्य आमने-सामने होते हैं और चंद्रमा का प्रभाव जातक के ऊपर अधिक पड़ता है।
  • इस दिन चंद्रमा को जल और पूर्णिमा व्रत रखने से जातक को विशेष लाभ होता है।
  • पूर्णिमा के दिन जो भी जातक चंद्रमा की पूजा करता है उसको मानसिक दृढ़ता में वृद्धि होती है।
  • पूर्णिमा व्रत से चंद्रमा जातक को विशेष लाभ प्रदान करता है।

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वैशाख पूर्णिमा की पौराणिक कथा

आपको बता दें कि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सच्चे मित्र सुदामा को इस व्रत के  महत्व के बारे में बताया था।  ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से सुदामा की सारी दरिद्रता खत्म हो गई थी और वे काफी ऐश्वर्यशाली हो गए थे। साथ ही इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जातक को उसका  मनोवांछित फल प्राप्त होता है और  जातक के सभी कष्टों का नाश हो जाता है।

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