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Diwali 2023: दिवाली 2023 पर घर में ना रखें ये चीजें, करना पड़ सकता है आर्थिक नुकसान का सामना

भारत देश में दिवाली लाखों लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दिवाली विभिन्न ज्योतिषीय मान्यताओं से जुड़ी है और लोगों का मानना है कि इस शुभ समय के दौरान, देवी लक्ष्मी अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं, जिससे उनके घरों में धन और समृद्धि आती है। आइए दिवाली 2023 के खास मौके पर इसके महत्व के बारे में गहराई से जानें और इस त्यौहार से जुड़े शुभ मुहूर्त को भी जानें।

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दिवाली 2023: तिथि और समय

दिवाली रोशनी का त्यौहार है, जिसे हिंदू धर्म में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दिवाली 2023 में 12 नवंबर, रविवार के दिन धूम-धाम से मनाई जाएगी। यह त्यौहार पांच दिनों तक मनाया जाता है, जो 10 नवंबर को धनतेरस से शुरू होकर 15 नवंबर को भाई दूज पर समाप्त होगा। दिवाली के पांच दिनों पर अलग-अलग अनुष्ठान किए जाते हैं। साथ ही 10 नवंबर को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस दिन लोग सौभाग्य और समृद्धि पाने के लिए सोना, चांदी और अन्य सामान खरीदते हैं। साथ ही 12 नवंबर 2023 को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी, जिसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि लोग इस दिन बुरी आत्माओं से बचने के लिए दीया और मोमबत्तियां जलाते हैं। 12 नवंबर 2023, रविवार के दिन दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा है, जिसे लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

14 नवंबर 2023 पर गोवर्धन पूजा की जाएगी, जिस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं और गायों को भोजन कराते हैं। दिवाली के आखिरी दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है, जो 15 नवंबर 2023 को आएगा। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगाती हैं और उनकी सलामती की दुआ करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, दिवाली 2023 की अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 02:45 बजे से शुरू होकर 13 नवंबर को दोपहर 02:57 बजे समाप्त होगी। 12 नवंबर को प्रदोष पूजा का समय शाम 05ः39 से रात 08ः16 तक है। 12 नवंबर 2023 को सूर्योदय प्रातः 06:42 बजे तथा सूर्यास्त सायं 05:39 बजे होगा।

दिवाली 2023 पर ऐसे करें लक्ष्मी-गणेश पूजा

दिवाली भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दिवाली के महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा। दिवाली पर देवताओं की पूजा करने की पारंपरिक विधि इस प्रकार हैः

पूजा सामग्री

पूजा शुरू करने से पहले घर की साफ-सफाई करें और उसे रंगोली और रोशनी से सजाएं। पूजा का सामान जैसे देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर, फूल, मिठाई, कपूर और अगरबत्ती, रोली, कुमकुम, अक्षत, चावल, केसर, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, मेहंदी, चंदन, सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, रूई, कलावा, दूर्वा, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, मिट्टी के दीये, केल के पत्ते, पान, पान के पत्ते, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, शहद, दही, गुड़, धनिया, फल, जौ, गेहूं, दूध, मेवे, खील, बताशे आदि एकत्रित कर लेना चाहिए।

पूजन विधि

  • दीपक जलाकर और भगवान गणेश का आह्वान करते हुए ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र के साथ पूजा शुरू करें।
  • इसके बाद भगवान गणेश को कुछ फूल और मिठाई चढ़ाएं और उनका आशीर्वाद लें।
  • भगवान गणेश के साथ देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर लगाएं।
  • इसके बाद अगरबत्ती जलाएं और “ॐ श्रीं महा लक्ष्म्यै नमः” का जाप करते हुए देवी लक्ष्मी का आह्वान करें।
  • फिर देवी लक्ष्मी को कुछ फूल, मिठाई और फल चढ़ाएं और उनका आशीर्वाद लें।
  • इसके बाद देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियों या तस्वीरों पर गंगाजल छिड़कें।
  • फिर भगवान के सामने कपूर जलाएं और उनकी स्तुति गाते हुए आरती करें।
  • इसके बाद भगवान को सभी पूजा सामग्री अर्पित करें, जिसके बाद माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को मिठाई का भोग लगाएं।
  • अंत में, पूजा के बाद रिश्तेदारों, परिवार के लोगों में प्रसाद बांटे और बड़ों का आशीर्वाद लें।

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दिवाली से जुड़ी पावन कथाएं

पहली कथा

दिवाली का त्यौहार मनाने के पीछे एक पवित्र कथा है, कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान श्रीराम चंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर और रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे। इस दिन राम जी के अयोध्या आने की खुशी में पूरे नगरवासियों ने अपने घरों में दीपक जलाएं थे। कहा जाता है कि उसी दिन से दिवाली का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जाता है।

दूसरी कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार नरकासुर नामक राक्षस ने अपनी असुर शक्तियों के दम पर सभी देवता और साधु-संतों को परेशान कर रहा था। नरकासुर ने साधु-संतों की 16 हजार स्त्रियों को अपना बंदी बना रखा था। जब नरकासुर के बढ़ते अत्याचारों से सभी देवता और साधु-संतों काफी परेशान हो गए, तो वह भगवान श्रीकृष्ण के पास मदद मांगने गए। 

इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर राक्षस का वध कर दिया था। साथ ही भगवान ने उन 16 हजार स्त्रियों को कैद से मुक्त भी कराया। इसी कारण कार्तिक मास की अमावस्या के दिन लोग अपने घरों को दीयों की रोशनी से रोशन करते हैं। कहा जाता है कि उसी दिन से नरक चतुर्दशी और दीपावली का त्यौहार मनाने की परंपरा शुरू हो गई।

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इस दिन घर में ना रखें ये चीजें

दिवाली रोशनी और खुशी का त्यौहार है, जिसे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को रोशनी, रंगोली और फूलों से सजाते हैं। वे अपने प्रियजनों के साथ उपहार और मिठाइयों का आदान-प्रदान भी करते हैं। हालांकि, कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें दिवाली के दिन घर में नहीं रखना चाहिए। आइए उन पर एक नजर डालते हैंः

क्षतिग्रस्त वस्तुएंः दिवाली के दिन घर में कोई भी टूटी-फूटी या क्षतिग्रस्त वस्तु रखना अशुभ माना जाता है। ऐसी वस्तुएं नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकती हैं और घर के सकारात्मक वातावरण को प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही इसके कारण जातक को धन हानि और तनाव भी हो सकता है।

कूड़ेदानः दिवाली से पहले सभी कचरे का निपटान करना महत्वपूर्ण है। दिवाली पर घर के अंदर कूड़ेदान रखने से नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित हो सकती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो सकता है। साथ ही इसके कारण जातक को धन हानि और तनाव भी हो सकता है।

नकारात्मक वस्तुएंः दिवाली के दिन घर के अंदर किसी भी नकारात्मक वस्तु जैसे पुराने समाचार पत्र, फटे कपड़े या जूते को रखने से बचना चाहिए। ऐसी वस्तुएं नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकती हैं और घर की समग्र सकारात्मकता को प्रभावित कर सकती हैं।

पुरानी झाडूः दिवाली पर पुरानी झाडू से छुटकारा पाने और उसकी जगह नई झाडू लाने की सलाह दी जाती है। पुरानी झाडू नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकती हैं और घर की साफ-सफाई और स्वच्छता को प्रभावित कर सकते हैं।

मुरझाए हुए पौधे या फूलः दिवाली के दिन घर से सभी मुरझाए पौधों और फूलों को हटाना जरूरी है। वे नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं और घर के समग्र वातावरण को प्रभावित कर सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में दिवाली का महत्व

हिंदू धर्म में दिवाली सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है और ज्योतिष में भी इसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिषीय रूप से, दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिनिधित्व करती है और व्यक्ति के जीवन से अंधकार को दूर करने का प्रतीक मानी जाती है। यह त्यौहार दीया और मोमबत्तियां जलाकर मनाया जाता है, जिसे अज्ञानता के उन्मूलन और सकारात्मकता के प्रसार का प्रतीक माना जाता है।

दिवाली पर, लोग भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी सहित देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे सकारात्मक ऊर्जा आती है और लोगों को अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त, दिवाली लोगों के लिए अपने प्रियजनों के साथ उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान करने का समय है, जिसे रिश्तों में सद्भावना और सकारात्मकता को बढ़ावा देने का प्रतीक माना जाता है।

ज्योतिष में दिवाली एक अत्यधिक शुभ दिन है और इसका उत्सव विभिन्न सकारात्मक मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ा हुआ है। यह त्यौहार लोगों को सकारात्मकता अपनाने, नकारात्मकता को दूर करने और अपने जीवन में सफलता और समृद्धि के लिए देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। ज्योतिषीय रूप से, यह माना जाता है कि इस दिन उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा जातक के जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और खुशियां ला सकती है।

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