एक मुखी रुद्राक्ष को भगवन शिव का वरदान माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के आँखों के जल बिंदु से हुयी है। भौतिक रूप से रुद्राक्ष एक फल की गुठली होता है। आदिकाल से लेकर आज आधुनिक काल तक रुद्राक्ष का उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। माना जाता है कि इसको को धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रुद्राक्ष को देवो के देव साक्षात् शिव का वरदान माना गया है। कहा जाता है कि संसार के भौतिक दुखों को दूर करने के लिए ही भगवान शिव ने रुद्राक्ष कि उत्पत्ति की है। पृकृति में रुद्राक्ष कई रूपों में और कई मुखों में पाए जाते हैं।
यह रुद्राक्ष भगवान शिव का रूप माना जाता है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं। यह उस व्यक्ति के जीवन से अंधकार मिटा कर एक प्रकाशपुंज भर देता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि यहाँ तक माना जाता है कि एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से बर्ह्महत्या के समान पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। व्यक्ति मोहमाया के जाल से भी ऊपर उठ जाता है। उसे स्वर्गलोक और मोक्ष कि प्राप्ति होती है।
इसका आकार गोलाकार या चन्द्राकर भी हो सकता है। गोलाकार एक मुखी रुद्राक्ष में उभरी हुयी एक धारा होती है। यह बहुत ही दुर्लभ माना गया है क्यूंकि इसकी उपलब्धता बेहद कठिन है। एक मुखी रुद्राक्ष शक्ति, ऊर्जा, सत्य और मोक्ष का प्रबल श्रोत होता है। इसको धारण किया व्यक्ति अपने को भगवान शिव से जुड़ा हुआ पाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष का स्वामी सूर्य गृह है। इसी वजह से व्यक्ति को अपने अंदर एक प्रबल ऊर्जा का अहसास भी होता है। उसके भाग्य के दरवाजे खुलने लगते हैं और उसे समाज में प्रसिद्धि एवं सम्मान मिलने लगता है।
एक मुखी रुद्राक्ष शरीर पर पहना जा सकता है या इसे घर के पूजा स्थल में भी रखा जा सकता है क्योंकि यह मनका स्वयं भगवान शिव का है। यह एक बहुत मजबूत, शांत, व्यक्तिवादी प्रकृति को बढ़ावा देता है। यूँ तो इसे कोई भी व्यक्ति उचित परामर्श से धारण कर सकता है लेकिन यह डॉक्टरों, वकीलों और प्रोफेसरों के लिए अनुशंसित है। डॉक्टरों को रोगी का निदान या उपचार करते समय रोगी के शारीरिक और भावनात्मक दर्द को अलग करने की आवश्यकता होती है।
सभी को समान रूप से ज्ञान प्रदान करने के लिए प्रोफेसरों को सही रहना होगा। वकीलों को अभ्यास करते समय ध्यान केंद्रित रखने की आवश्यकता है ताकि वे एक अनुकूल निर्णय प्राप्त करने के लिए अपने मामले पर बहस कर सकें। यह ध्यान और आध्यात्मिकता के लिए भी अच्छा है। यह मनका अधिक ध्यान, व्यक्तित्व, नाम और प्रसिद्धि देता है। यह नेतृत्व की भूमिका निभाने वाले लोगों के लिए अनुशंसित है, जो लोगों के साथ बातचीत करते समय शांत और अप्रभावित रहने की इच्छा रखते हैं।
एकमुखी रुद्राक्ष बेहद शक्तिशाली और दुर्लभ होता है। इसे गर्भवती महिलाओं और बच्चों को धारण नहीं करना चाहिए।
इस रुद्राक्ष को सबसे प्रभावशाली और कल्याणकारी माना जाता है। जिन लोगों कि जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर है उन्हें तो यह अवश्य धारण करना चाहिए। इससे सूर्य का नकारात्मक प्रभाव दूर होने लगता है। यदि किसी कुरुर गृह कि दशा चल रही है, तब भी इसको धारण किया जा सकता है। यह आपको शत्रुओं के षडियन्त्रों से भी सुरक्षित करता है। धन संपत्ति कि प्राप्ति के लिए इसको बहुत ही सहायक माना जाता है। इससे स्वस्थ्यवर्धक फायदे भी होते हैं। यह मनुष्य के रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायता करता है। एकमुखी रुद्राक्ष सिंह राशि के जातकों के लिए अत्यंत शुभ होता है।
पवित्र करने और धारण करने के लिए मंत्र है – “ऊं ह्रीं नम:” ।
आप इसे भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र से भी धारण कर सकते हैं. – “ॐ नमः शिवाय” ।
इस रुद्राक्ष को स्नान करने के पश्चात रविवार, सोमवार अथवा महाशिवरात्री के दिन धारण करना चाहिए। इसे सोने, चांदी या काले धागे के साथ भी धारण किया जा सकता है।
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