हवन का हिंदू धर्म में काफी महत्व है जिसको हर शुभ कार्य में अत्यधिक अनिवार्य माना गया है। समझ लीजिए कि जैसे नवरात्रों में नौ देवियों का पूजन आवश्यक है वैसे ही हवन को हर काम में किया जाना जरूरी है। आमतौर पर हवन को यज्ञ के नाम से ही अधिक जाना जाता है। इसके बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यह वातावरण और घर परिवार के शुद्धिकरण के लिए महत्त्वपूर्ण कर्मकांड है।
इसका शुभ प्रभाव न केवल किसी एक व्यक्ति पर पड़ता है बल्कि प्रकृति को भी इस से बहुत लाभ मिलता है। अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो यज्ञ से निकलने वाली अग्नि और समिधा वातावरण में फैले प्रदूषण को नष्ट करने में सहायक है। इस तरह यह कहा जा सकता है कि यज्ञ एक श्रेष्ठ धार्मिक और वैज्ञानिक उपाय है स्वस्थ जीवन जीने का।
हवन करने के लाभ अनेकों है जिनमें से कुछ इस प्रकार है।
इसके द्वारा आप किसी भी खतरनाक और जानलेवा बीमारी से अपना पीछा छुड़ा सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि हवन के दौरान उसके धुए में बैठे रहना बहुत ही अच्छा माना जाता है। इस दौरान धुएं का संपर्क शरीर से होता है जिसकी वजह से टाइफाइड जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारी के जीवाणु समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा सारा शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है। जिन व्यक्तियों को मस्तिष्क, फेफड़े और सांस की समस्याएं होती हैं वह भी खत्म हो जाती है।
यदि आपके घर में किसी भी तरह की नेगेटिव एनर्जी है तो यह एक धार्मिक मान्यता है जिसके अनुसार नेगेटिव एनर्जी का खात्मा हो जाता है । इसके साथ ही घर के वातावरण का शुद्धिकरण होता है और पॉजिटिव एनर्जी का घर में वास होता है।
हवन या यज्ञ के समय जो सामग्री प्रयोग में ली जाती है उसका बहुत ही महत्व होता है। यज्ञ के दौरान जब उनकी आहुति दी जाती है तो वह बहुत ही प्रभावशाली तरीके से छोटे से छोटे विषाणु का नाश कर के वातावरण को शुद्ध करता है। स्वस्थ शरीर के लिए यह बहुत ही आवश्यक है।
जो लोग बहुत लंबी बीमारी से जूझ रहे होते हैं और कोई भी दवा उन पर असर नहीं करती है तो उस समय उनको हवन कराना चाहिए। इससे उनकी सेहत पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वह बहुत जल्दी ठीक हो जाएगा। इस प्रक्रिया में इस बात का निर्णय लिया जाता है कि शरीर में कौन से तत्वों की कमी हो गई है और उनकी पूर्ति के लिए कौन सी औषधियों की आहुति दी जानी चाहिए। जिन औषधियों को बहुत अधिक प्राथमिकता दी गई है उनमें सबसे मुख्यब्रह्मी, गुग्गुल, नागकेसर, चंदन, कपूर, अगर, तगरमोथा आदि सबसे अधिक मुख्य है। यह सभी चीजें बराबर मात्रा में प्रयोग की जाती है। इन्हें कूट पीसकर फिर घी और शक्कर मिलाया जाता है। इसके बाद इसे हवन में इस्तेमाल करते हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में बहुत अधिक लाभ पहुंचाताहै।
अक्सर कुंडली में ग्रहों की ख़राब दशा के कारण व्यक्ति के जीवन में अनेक परेशानियां आ जाती हैं जिसकी वजह से उसका जीवन कलह पूर्ण बन जाता है। ऐसी समस्याओं का निवारण हवन के द्वारा किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी प्रकार का दोष है तो उसका भी निवारण हो जाता है। इसके साथ-साथ निरोगी जीवन मिलता है और शरीर भी स्वस्थ बनता है।
यज्ञ के द्वारा व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है क्योंकि इससे धार्मिक आस्था पर बल मिलता है। इस प्रक्रिया के बाद व्यक्ति को इस बात की संतुष्टि हो जाती है कि अब उसके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी। ऐसा सिर्फ उसकी कल्पना मात्र ही नहीं होती बल्कि वास्तव में यज्ञ के द्वारा उसके जीवन की समस्त समस्याएं और परेशानियां दूर होकर सुखी जीवन बनता है।
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