शादीशुदा रिश्तों की डोर काफी कमजोर होती है और इसे बनाए रखना बेहद ही मुश्किल होता है। कई बार छोटी – सी गलती के कारण भी रिश्तों में दरार आ जाती है। और यह दरार रिश्तों के टूटने का बड़ा कारण बनती है। इसीलिए रिश्तों को संभाल कर रखना थोड़ा मुश्किल होता है। बहुत से लोग सुखी वैवाहिक जीवन के लिए बहुत जतन करते हैं। लेकिन उसके बाद भी उनके शादीशुदा जीवन में परेशानी बनी रहती है। आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र की सहायता से इन परेशानियों को दूर किया जा सकता है।
वहीं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जातक को कुछ उपाय करने की जरूरत होती है। जिनके कारण वह अपने वैवाहिक जीवन को सुचारू रूप से चला पाता है। लेकिन सबसे पहले यह जानना बेहद जरूरी होता है कि वैवाहिक जीवन में परेशानियां क्यों उत्पन्न होती हैं? आपको बता दें कि कुछ बनाने की कोशिश में कुछ बिगड़ जाता है। इसीलिए अपने रिश्ते को लेकर कोई उपाय करने से पहले आपको समस्या को समझना बेहद जरूरी है। चलिए जानते हैं कि कुंडली मिलान और जांच परख के बाद भी वैवाहिक जीवन में परेशानियां क्यों उत्पन्न होती हैं। और कैसे ज्योतिष उपाय से अपने वैवाहिक जीवन को सुखी रखा जा सकता है –
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक की कुंडली में शुक्र और बृहस्पति ग्रह के कमजोर होने के कारण वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं।
साथ ही कभी-कभी जाने अनजाने में हुई छोटी मोटी गलतियां भी वाद-विवाद का बड़ा कारण बनती हैं। और रिश्तों में दरार आ जाती हैं।
कई बार दो लोगों के बीच विचारों का ना मिलना तथा महत्वाकांक्षाओं में टकराव रिश्तों में परेशानी का बड़ा कारण होती है।
कई बार किसी तीसरे का रिश्ता के बीच में आ जाना भी वैवाहिक जीवन के लिए बाधा उत्पन्न करता है।
बृहस्पति ग्रह शादीशुदा रिश्तो में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसीलिए जब किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति कमजोर होता है, तो उसे अपने रिश्तों में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बृहस्पति ग्रह के अशुभ होने से विवाह में कई परेशानियां उत्पन्न होती हैं।
साथ ही वाद – विवाद जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो जाती हैं।
आपको बता दें कि जातक की कुंडली में विवाह के लिए सप्तम भाव बहुत महत्वपूर्ण होता है।
वहीं सप्तम भाव को देखकर ही विवाह का विचार किया जाता है।
यदि जातक की कुंडली में सप्तम भाव में कोई क्रूर ग्रह हो या क्रूर ग्रह की दृष्टि हो और द्वादश भाव में भी क्रूर ग्रह मौजूद हो, तो विवाह में परेशानियां उत्पन्न होती हैं।
वहीं अगर कुंडली के सप्तम भाव में पाप योग बनता है, तो जातक को अपने शादीशुदा जीवन में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
साथ ही अगर सप्तम भाव में कोई पाप ग्रह नीच राशि में बैठा हो, तो वैवाहिक जीवन में संघर्ष की स्थिति पैदा होती है।