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कार्तिक पूर्णिमा 2022: पूजा विधि, महत्व, मुहर्त और इस दिन क्या करें-क्या न करें

कार्तिक पूर्णिमा (kartik purnima), कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। यह दिन बहुत विशेष है, क्योंकि माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध कर उसका संहार किया था। यही कारण है कि इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा (purnima) भी कहा जाता है। अगर इसी दिन को कृतिका नक्षत्र हो, तो यह ‘महाकार्तिकी’ हो जाती है। जबकि भरणी नक्षत्र होने के कारण इस पूर्णिमा का महत्व और बढ़ जाता है। हालांकि रोहिणी नक्षत्र हो तो इसकी बात बिल्कुल अलग और खास हो जाती है।

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा (kartik purnima) के दिन भगवान विष्णु का मत्स्यावतार का जन्म हुआ था। इस दिन गंगा स्नान करना चाहिए। पूरे वर्ष गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है। आमतौर पर इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान किया जाना चाहिए। इस दीप-दान को दस यज्ञों के समान माना जाता है।

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कार्तिक पूर्णिमा 2022 दिनांक, समय और महुर्त

समय 7 नवंबर को दोपहर 3:58 बजे से 8 नवंबर को दोपहर 3:53 मिनट तक है।

पूर्णिमा व्रत 7 नवंबर को है| त्रिपुरारी पूर्णिमा 7 नवंबर को है और देव दिवाली 8 नवंबर को है।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व?

कार्तिक पूर्णिमा (kartik purnima) का विशेष महत्व है। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो भक्त पूरी श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं, उन्हें अपनी सभी समस्याओं से राहत मिलती है। यहां तक कि जन्म कुंडली में मौजूद दोषों को भी इस दिन पूजा करके दूर किया जा सकता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है, जिसे कार्तिक स्नान कहा जाता है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा (kartik purnima) का विशेष महत्व है। इस दिन उपवास रखने से और पूजा पाठ करने से सभी दुखों को मिटाया जा सकता है। यह बेहद शुभ दिन होता है।

हरिद्वार में हरि की पौड़ी और बनारस के गंगा (ganga) घाट पर पवित्र स्नान करना अत्यधिक पवित्र और शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। अगर आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो इसके विकल्पों को चुन सकते हैं। जैसे अगर आपके पास गंगा जल है तो अपने पूरे शरीर में गंगा जल छिड़का जा सकता है। इसे भी गंगा स्नान की तरह पवित्र और शुभ माना जाता है।

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कार्तिक पूर्णिमा का अन्य नाम

वहीं कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया था। इसलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। काशी में महीने भर चलने वाला आकाशदीप उत्सव भी इसी दिन समाप्त होता है। इस दिन महीने भर चलने वाले कार्तिक स्नान का समापन होता है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले अन्य अनुष्ठान

साथ ही कार्तिक पूर्णिमा (kartik purnima) के दिन कुछ अन्य अनुष्ठान भी मनाए जाते हैं। ये निम्न हैं-

  • तुलसी विवाह अनुष्ठान कुछ समुदायों द्वारा इसी दिन मनाया जाता है।
  • कई कैलेंडरों में इस दिन चार महीने तक चलने वाला चतुर मास भी समाप्त हो जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन कई तीर्थयात्राएं आयोजित की जाती हैं।

कार्तिक पूर्णिमा पर मंत्र का जाप

कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष मंत्र का जाप किया जाता है ताकि इसका संपूर्ण फल भक्त प्राप्त कर सके। मंत्र है-

”ॐ नम: शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:”

अन्य देवी-देवताओं का भी करें स्मरण

इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ और भी देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए।

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देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा

इस दिन देवी लक्ष्मी की दिन में श्री सूक्तम और लक्ष्मी स्तोत्र का जाप करके विशेष पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने वाले व्यक्ति को समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शनि देव की विशेष पूजा

इस दिन शनिदेव की पूजा करना शनि दोष परिहार का एक अच्छा रूप माना जाता है। शाम के समय किसी गरीब को काली वस्तु का दान करना पुण्य का काम होता है।

सूर्यास्त पश्चात

सूर्यास्त के बाद तुलसी की पूजा घी से भरा दीपक जलाकर करनी चाहिए। साथ ही तुलसी के पौधे की चार बार परिक्रमा करनी चाहिए।

चंद्र देव की विशेष पूजा

इस दिन रात के समय चंद्र देव की पूजा करना भी आवश्यक माना जाता है ।

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कार्तिक पूर्णिमा के लाभ

  • इस दिन एक पवित्र नदी की पूजा करने से और गंगा नदी में डुबकी लगाने से व्यक्ति को जन्म और मृत्यु के चक्र में आने वाली समस्याओं से छूटकारा मिलता है। साथ ही मोक्ष प्राप्त करने में आसानी होती है।
  • पूजा प्रार्थना करने से जीवन में आ रही कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है।
  • इस दिन पवित्र स्नान से इस जन्म और पिछले जन्म के पापों को कम या खत्म किया जा सकता है। कुंडली में सभी समस्याओं को पूजा करने से हल किया जा सकता है।
  • कुंडली में नवग्रहों की खराब स्थिति से संबंधित समस्याओं से राहत मिल सकती है।

कार्तिक मास या कार्तिक पूर्णिमा के दौरान करने के लिए अनुष्ठान

  • शुभ कार्तिक मास के दौरान मांसाहारी खाद्य पदार्थों से दूर रहें। मान्यताओं के अनुसार मांसाहारी भोजन का सेवन ब्रह्म हठिया माना गया है।
  • भक्तों को पूरे महीने आध्यात्मिक स्नान करना चाहिए।
  • कार्तिक मास के दौरान भक्तों को हर सुबह और शाम को अपने घर में दीया जलाना चाहिए।
  • महीने में  एक दिन में केवल एक बार भोजन करें। आप पूजा करने के बाद शाम के समय फल या दूध का सेवन कर सकते हैं।
  • कार्तिक मास के अनुष्ठान जैसे कार्तिक (kartik) सोमवर, कालाष्टमी, कुष्मांड नवमी, अक्षय नवमी, हरि बोधिनी, व्यास पूजा, करहका पूर्णिमा, तुलसी विवाह आदि का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
  • इस महीने में भक्तों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • यह माह में तुलसी की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है।
  • इस महीने में प्रतिदिन तुलसी के पौधे के पास एक दीया जलाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से आपके जीवन में धन और शांति आती है।
  • इस दिन निकटवर्ती किसी नदी में स्नान करें।
  • विभिन्न धर्मार्थ संगठनों को नकद या वस्तु के रूप में दान करें।
  • घर में और पास के किसी भी पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं।
  • घर पर सत्यनारायण कथा का आयोजन करें और सभी पड़ोसियों और दोस्तों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित करें।
  • आप भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए इस दिन शक्तिशाली विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र और साथ ही लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

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कार्तिक पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व

बुध ग्रह को भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व माना जाता है, जबकि शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व देवी लक्ष्मी द्वारा किया जाता है। यदि इस दिन भगवान विष्णु और शक्तिशाली देवी लक्ष्मी मां की पूजा भक्ति के साथ की जाती है, तो आपकी जन्म कुंडली में ये दोनों ग्रह ज्यादा शक्ति प्राप्त करते हैं और इस प्रकार आपकी बुद्धि, समझ, तर्क में वृद्धि होती है और आप धन अर्जित करने के अधिक अवसरों को आकर्षित करने में सक्षम होंगे।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि

  • उपासक इस दिन पवित्र स्नान करने के लिए सूर्योदय और चंद्रोदय के दौरान तीर्थ स्थानों पर जाते हैं। इस कार्तिक स्नान को अत्यधिक पवित्र स्नान माना जाता है।
  • अगर बाहर नदी में स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं तो घर में नहाने के लिए नहाने के पानी में गंगा जल मिला सकते हैं। जो गंगा के निकट नहीं रहते और जिन लोगों के घर में गंगा जल नहीं है, वे लोग मन मेूं गंगा नदी की कल्पना कर पूजा कर सकते हैं। फिर भगवान विष्णु के सामने घी या सरसों के तेल का दीया जलाएं और सही विधि से उनकी पूजा करें।
  • पूजा विधि के दौरान सबसे पहले देवी गंगा को धूप, दीपक, फूल, चंदन और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। नैवेद्य मीठा या फूला हुआ चावल हो सकता है।
  • गंगा को पृथ्वी और हिमालय पर लाने वाले राजा भगीरथ को भी इस दिन याद करना चाहिए।
  • फूल, अगरबत्ती और दीपों की सहायता से भगवान की पूजा करें। इस दिन, भक्त भगवान विष्णु से उनकी परेशानियों को दूर करने और शांत और आनंदमय जीवन जीने में मदद करने के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
  • कार्तिक पूर्णिमा (kartik purnima) उत्सव के दौरान भक्त उपवास भी करते हैं। व्रत को सत्यनारायण व्रत के रूप में जाना जाता है, और इसे सत्यनारायण कथा को पढ़कर मनाया जाता है।
  • उपासक घर पर ‘रुद्राभिषेक’ का भी अभ्यास करते हैं। इस दिन, भगवान शिव के मंदिरों को दीयों से भव्य रूप से रोशन किया जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस दिन दीया दान करने से लाभ होता है। इस दिन वैदिक मंत्रों और भजनों का पाठ करना भी आशीर्वाद प्राप्ति का सही तरीका माना जाता है।
  • इस महीने के दौरान, पुष्कर में भगवान विष्णु से वृंदा के विवाह के उपलक्ष्य में एक मेला आयोजित किया जाता है। इस दिन त्योहार का समापन होता है, साथ ही उपासक आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पुष्कर झील में पवित्र स्नान करते हैं।
  • कार्तिक पूर्णिमा (kartik purnima) के दिन किसी भी निराश्रित या जरूरतमंद ब्राह्मण को भोजन कराने का प्रयास करें।

गढ़मुक्तेश्वर कार्तिक पूर्णिमा मेला

गढ़मुक्तेश्वर में गंगा नदी के तट पर कार्तिक पूर्णिमा (kartik purnima) मेला एक लाख से अधिक भक्तों को आकर्षित करता है। ऐसा माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर ब्रिज घाट पर स्नान 5000 साल से भी अधिक समय से होता आ रहा है। ऐसा कहा जाता है कि गढ़मुक्तेश्वर में गंगा नदी के दर्शन मात्र से मोक्ष मिल जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन क्या करें

  • इस दिन पूरे घर की साफ-सफाई करें, घर को गंदा ना रखें। मान्यतानुसार ऐसा करने से घर में धन की देवी मां लक्ष्मी जी घर में प्रवेश करती हैं।
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने घर को पुष्प-माला से सजाएं।
  • घर के मुख्य द्वार में स्वास्तिक चिन्ह बनाएं।
  • इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
  • इस विशेष दिन चावल, चीनी और दूध का दान करें।
  • थोड़ी मात्रा में चावल, चीनी और दूध को नदी में बहाना भी शुभ माना जाता है।
  • इस दिन चांद के दर्शन जरूर करें।
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करें।
  • मान्यतानुसार इस दिन गौ दान किया जाना चाहिए। इससे अनंत पुण्यदायी फल प्राप्त होते हैं।
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर में दीप जलाएं। इससे घर की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

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कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन क्या ना करें

कार्तिक पूर्णिका (kartik purnima) के दिन कुछ कार्य करने से बचना चाहिए जैसे-

  • इस दिन में नमक से पूरी तरह बचना चाहिए।
  • इस दिन मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए।
  • शराब या किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अपना घर बिल्कुल भी गंदा नहीं रखना चाहिए।
  • किसी के प्रति मन में द्वेष की भावना नहीं रखनी चाहिए।

यह भी पढ़ें- वरलक्ष्मी व्रत 2022ः जानें क्या होता हैं वरलक्ष्मी व्रत और शुभ मुहूर्त

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