कुंडली में कैसे बनता है अष्टमेश से राजयोग और इसका प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में सभी भावों का बहुत महत्व होता है। क्योंकि यह भाव आपकी जन्मकुंडली पर विशेष प्रभाव डालते हैं। इसी के आधार पर आप के जीवन से जुड़ी बड़ी और महत्वपूर्ण भविष्यवाणियां की जाती हैं। आपको बता दें कि किसी भी जातक की कुंडली में लगन से केंद्र भाव को विष्णु का स्थान कहा जाता है। वहीं जब छठे, आठवें, बारहवें घर के स्वामी युति संबंध बनाते हैं, तब विपरीत राज योग बनता है। जब जातक की कुंडली में चंद्रमा ग्यारहवें घर में और वहीं गुरु तीसरे घर में विराजमान हो तब राजयोग की स्थिति बनती है।
इन व्यक्तियों के पास एक विशेष कला जरूर होती है। जिसमें वह काफी निपुण होता है। इसी के साथ पंचमेश और अष्टमेश के संबंध से जातक को जीवन में अधिक धन प्राप्त होता है। और उसे कई क्षेत्रों में भी लाभ होता है। जन्म कुंडली में अष्टम भाव को मृत्यु भाव भी कहा जाता है। इस भाव का सीधा संबंध धन और कर्म से होता है। जिस भी जातक की कुंडली में यह भाव होता है, वह अपने जीवन में काफी धन प्राप्त करता है और अच्छे कर्म भी करता है।
जहां एक तरफ अष्टमेश के कारण जातक को धन लाभ होता है। वहीं दूसरी तरफ इस योग के कुंडली में बनने से जातक को स्वास्थ्य से जुड़ी, समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन आर्थिक क्षेत्र के लिए यह योग काफी अच्छा होता है।
क्या होता है अष्टमेश से राजयोग?
आपको बता दें कि जन्म कुंडली में अष्टम भाव को मृत्यु भाव कहा जाता है। इस भाव के कारण जातक को काफी धन लाभ होता है। पंचमेश और अष्टमेश भाव का आपस में एक महत्वपूर्ण संबंध होता है, जिसके कारण व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में लाभ होता है।
वही जितने भी सफल व्यक्ति हैं, उन सभी की कुंडली में राजयोग का योग बनता है। आपको बता दें कि जब भावों में ही भावों के स्वामी मौजूद हो और उनके साथ कोई दूसरा ग्रह ना हो या किसी और ग्रह की दृष्टि ना हो, तो यह विपरीत राजयोग का उत्तम फल कारक होता है। अष्टम भाव में त्रिकोण संबंध को काफी उत्तम माना जाता है।
जब कुंडली में अष्टमेश से राजयोग बनता है, तो वह व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होता है।
साथ ही वे हर तथ्य की जांच पड़ताल कर के ही निर्णय लेता है।
राजयोग के कारण व्यक्ति को काफी अच्छी शिक्षा प्राप्त होती है।
यह जातक काफी बुद्धिमान होते हैं और अपने जीवन में बहुत ज्ञान प्राप्त करते हैं।
साथ ही इन लोगों की रुचि दर्शन शास्त्र में ज्यादा होती है।
अष्टमेश जब नवम भाव से संबंध बनाता है, तो यह काफी उत्तम माना जाता है।
संत व सन्यासियों की कुंडली में यही योग बनता है।
यह लोग काफी भाग्यशाली होते है।
राजयोग बनने के बाद व्यक्ति के जीवन में पैसों की कभी भी कमी नहीं रहती हैं।
जीवन में सभी सुख सुविधाएं मिलती हैं।
जब कुंडली में राजयोग बनता है, तो उस व्यक्ति की संतान भी भाग्यशाली होती है
वहीं यह जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं।
साथ ही इस व्यक्तियों की पत्नी का संबंध धनी परिवार से होता है।
वहीं राजयोग के कारण जातकों को अपने पूर्वजों से भी काफी धन आदि प्राप्त होता है।
इसी के साथ अष्टमेश जब द्वाददेश के साथ संबंध बनता है, और यदि वह पंचम भाव में युति करें, तो जातक के विदेश में जाकर शिक्षा प्राप्त करने के अवसर उत्पन्न होते हैं।