हिंदू धर्म में मुंडन से जुड़ी काफी मान्यताएं हैं। उनके अनुसार एक बालक के जन्म के बाल पिछले जन्म के कर्मों से छूटने के लिए मुंडवाए जाते हैं। जन्म के बाद पहली बार बच्चे के बाल उतारने की परंपरा होती है। इस परंपरा को मुंडन संस्कार कहा जाता है। एक बालक का मुंडन 3, 5 या 7 साल की उम्र या विषम वर्षों में किया जाता है। लेकिन एक बालिका का चौला कर्म या मुंडन सम वर्षों में होता है। हालांकि, परंपराओं के अनुसार एक बच्चे का मुंडन संस्कार 1 वर्ष की आयु में भी कर सकते है। बालक का मुंडन करने के लिए मुंडन मुहूर्त 2023 के बारे में जानना भी बेहद जरूरी होता है।
चिकित्सकीय दृष्टि से देखा जाए, तो जब बालक अपनी मां के गर्भ में होता है, तो उसके बालों में कई प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया फंस जाते हैं। कई बार शिशु के बाल धोने के बाद भी ये बैक्टीरिया नहीं निकलते है। यही कारण है कि बच्चे का मुंडन 1 साल की उम्र में जरूर कर लेना चाहिए।
मुंडन संस्कार हिंदू धर्म में सोलह पवित्र संस्कारों में से एक होता है। बालक के मुंडन संस्कार को चौल मुंडन, जदुला, चुरा कर्म या चौल कर्म संस्कार के नामों से भी जाना जाता है। मुंडन संस्कार सोलह पवित्र संस्कारों में से एक होता है, जो हिंदू धर्म में बालक के लिए अनिवार्य माना जाता है। यह आठवां और महत्वपूर्ण शुद्धिकरण अनुष्ठान होता है, जिसे शुभ मुहूर्त के दौरान एक बालक के जीवन में सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करने के लिए किया जाता है।
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तिथि और दिन | मुंडन का समय | नक्षत्र |
23 जनवरी 2023, सोमवार | 23 जनवरी,सुबह 07:17 से 24 जनवरी, सुबह 07ः17 | धनिष्ठा |
27 जनवरी 2023, शुक्रवार | 27 जनवरी शाम 06ः36 मिनट से 28 जनवरी सुबह 07ः15 | अश्विनी |
तिथि और दिन | मुंडन का समय | नक्षत्र |
03 फरवरी 2023, शुक्रवार | सुबह 06ः18 से 06ः58 तक | पुनर्वसु |
10 फरवरी 2023, मंगलवार | 10 फरवरी सुबह 07ः58 से 11 फरवरी सुबह 07ः06 तक | हस्त |
24 फरवरी 2023, मंगलवार | 24 फरवरी सुबह 03ः44 से 25 फरवरी 12ः31 तक | अश्विनी |
तिथि और दिन | मुंडन का समय | नक्षत्र |
1 मार्च 2023, बुधवार | सुबह 06ः50 से सुबह 09ः42 तक | मृगशीर्ष: |
2 मार्च 2023, वीरवार | दोपहर 12ः43 से शाम 07ः 55 तक | पुनर्वसु |
9 मार्च 2023, वीरवार | 09 मार्च सुबह 04ः20 से 10 मार्च सुबह 09ः21 तक | हस्त |
18 मार्च 2023,शनिवार | सुबह 02ः46 से सुबह 06ः31 तक | श्रवण |
तिथि और दिन | मुंडन का समय | नक्षत्र |
14 अप्रैल 2023, शुक्रवार | 14 अप्रैल दोपहर 11ः13 से 15 अप्रैल सुबह 06 बजे | श्रवण |
24 अप्रैल 2023, सोमवार | 24 अप्रैल सुबह 08ः25 से 25 अप्रैल सुबह 02ः07 तक | मृगशीर्ष: |
26 अप्रैल 2023, बुधवार | 26 अप्रैल सुबह 11ः28 से 27 अप्रैल दोपहर 01ः39 तक | पुनर्वसु |
तिथि और दिन | मुंडन का समय | नक्षत्र |
3 मई 2023, बुधवार | सुबह 05:43 से रात 11:50 | हस्त |
8 मई 2023, सोमवार | सुबह 05:39 से शाम 07:19 | ज्येष्ठ |
11 मई 2023, वीरवार | 11 मई रात 10:17 से 12 मई, सुबह 09:07 तक | श्रवण |
17 मई 2023, बुधवार | सुबह 07:39 से रात 10:28 | अश्विनी |
22 मई 2023, सोमवार | सुबह 05:31से सुबह 10:37 | मृगशीर्ष |
24 मई 2023, बुधवार | 24 मई सुबह 05:30 से 25 मई, रात 03:01 | पुनर्वसु |
30 मई 2023, मंगलवार | सुबह 04:29 से सुबह 05:28 | हस्त |
तिथि और दिन | मुंडन का समय | नक्षत्र |
1 जून 2023, वीरवार | जून रात 01:39 से 2 जून, सुबह 06:53 | स्वाति |
7 जून 2023, बुधवार | 7 जून, रात 09:51 से 8 जून, शाम 06:59 | श्रावण |
10 जून 2023, रविवार | रात 03:09 से सुबह 05:26 | शतभिषा |
14 जून 2023, बुधवार | शाम 05:26 से रात 08:48 | अश्विनी |
19 जून 2023, सोमवार | 19 जून, रात 08:10 से 20 जून,सुबह 05:27 | पुनर्वसु |
21 जून 2023, बुधवार | सुबह 05:27 से दोपहर 03:10 तक | पुष्य |
28 जून 2023, बुधवार | 28 जून, सुबह 05:29 से 29 जून, रात 03:19 | चित्र |
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बालक का मुंडन करने के लिए जुलाई माह में कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं हैं।
बालक का मुंडन करने के लिए अगस्त माह में कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं हैं।
बालक का मुंडन करने के लिए सितंबर माह में कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं हैं।
बालक का मुंडन करने के लिए अक्टूबर माह में कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं हैं।
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बालक का मुंडन करने के लिए नंवबर माह में कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं हैं।
बालक का मुंडन करने के लिए दिसंबर माह में कोई शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं हैं।
अगर आप अपने बालक का मुंडन संस्कार करा रहे है, तो आपको सबसे पहले गाय का शुद्ध घी, फूल और माला, फल और मिठाई, पंचामृत, पूजा के लिए पीला व लाल रंग का कोरा कपड़ा, आवश्यकता अनुसार बर्तन (जैसे दिया, कलश, थाली, चम्मच) आदि, जरूरी सामग्री को एकत्रित कर लेना चाहिए, क्योंकि इन सभी चीजों का उपयोग मुंडन के दौरान किया जाता हैं।
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बालक के बाल मुड़ाने के बाद सिर को पवित्र जल से साफ किया जाता है और अगर आवश्यक हो, तो सिर के घाव पर चंदन और थोड़ी हल्दी का लेप लगा सकते है। साथ ही बालक को बुरी नजर से बचाने के लिए बच्चे के कटे हुए बालों की प्रत्येक लट को अक्सर लिनेन में बांधकर गंगा नदी में दान कर दिया जाता है। इसके तत्पश्चात् बालक के शरीर पर फंसे बालों या धूल को हटाने के लिए बच्चे को गर्म पानी से नहलाया जाता है। विशिष्ट समुदायों में, यह समारोह एक भव्य उत्सव के रूप में किया जाता है, जिसमें पूरे परिवार के लोगों का स्वागत होता है। इसी के साथ एक बच्ची के लिए मुंडन समारोह निजी तौर पर केवल करीबी परिवार के साथ किया जाता है ताकि बच्ची को बाहरी प्रभावों से सुरक्षित रखा जा सकें।
हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों होते है, जिसमें एक मुंड़न संस्कार भी शामिल है, जो बालक के जन्म के बाद किया जाता है। साथ ही शिशु का मुंडन कराना धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है ताकि बालक एक स्वस्थ जीवन जी सके। चलिए जानते हैं कि मुंडन मुहूर्त 2023 के लिए शुभ नक्षत्र, वर्ष और दिन कौन सा होता है:
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हिंदू शास्त्र में मुंडन संस्कार के दौरान बच्चे को मां की गोद में बिठाया जाता है। साथ ही बच्चे के बाल कटवाते समय बच्चे का चेहरा पश्चिम दिशा की तरफ रखा जाता है, जिसे अग्नि दिशा भी कहा जाता है। इसके बाद उस्तरे की मदद से बच्चे के सिर से बाल हटा देते हैं। बाल हटाने के बाद बालक के सिर को गंगाजल से साफ करके हल्दी और चंदन का लेप लगाया जाता है।
अगर बच्चे के सिर पर उस्तरे से कोई घाव लगा हो, तो हल्दी और चंदन का लेप चोट पर लगाना फायदेमंद होता है। बालक का मुंडन करने के बाद कुछ लोग बालों को भगवान की मूर्ति के आगे अर्पित कर देते हैं, तो कुछ लोग अपनी कुलदेवी के चरणों में शिशु के बाल रखते हैं। कई जगहों पर मुंडन के बाद बालों को गंगा नदी में भी विसर्जित किया जाता हैं।
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