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नपुंसक योग: कैसे बनता है जातक की कुंडली में नपुंसक योग

ज्योतिष शास्त्र में जातक की कुंडली काफी महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि उसी आधार पर जातक के भविष्य को लेकर भविष्यवाणी की जाती है। साथ ही जातक की कुंडली में ऐसे कई योग होते है। जो जातक को काफी लाभ देते है। लेकिन कुछ योग जातक के लिए अभिशाप बन जाते है। वहीं शुभ योग जातक को शुभ वरदान देते है और अशुभ योग जातक को अशुभ फल देते है। उसी तरह अगर किसी जातक की कुंडली में नपुंसक योग बनता है, तो जातक को संतान सुख प्राप्त नही होता है। जिसके कारण जातक अपने जीवन में काफी हताश महसूस करने लगता है।

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साथ ही नपुंसक योग के कारण जातक के प्रेम संबंधों और दांपत्य जीवन में भी तनाव की स्थिति व रिश्तों में अलगाव और तलाक जैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। वहीं ज्योतिष के मुताबिक जातक के नपुंसक होने में मंगल, शुक्र, शनि, बुध और सूर्य की स्थिति को काफी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। चलिए जानते हैं कि जातक की कुंडली में नपुंसक योग कैसे बनता है और इसके उपाय क्या है 

क्या होता है नपुंसक योग?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी जातक की कुंडली में ग्रहों की दशा सही ना हो, तब जातक की कुंडली में यह योग बनता है। साथ ही जातक की कुंडली में मंगल, शुक्र, शनि, बुध और सूर्य की स्थिति के कारण भी जातक की कुंडली में नपुंसक योग बनता है।

बता दें कि यह योग किसी पुरुष या स्त्री की कुंडली में बनते है। जिसके कारण वह अपने जीवन में संतान सुख का अनुभव नही कर पाते है। जिसके कारण इनके रिश्ते में भी काफी तनाव बना रहा है और ये जातक अपने जीवन में काफी निराश हो जाते है।

कैसे बनता है नपुंसक योग?

बता दें कि किसी जातक की कुंडली में बुध विषम राशि में हो और शनि सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट डालें तथा मंगल विषम राशि में और सूर्य सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट डालता हो, तो नपुंसक योग बनता है। साथ ही लग्न, चंद्र, शुक्र विषम राशि में और विषम नवांश में हों तथा परस्पर युत या दृष्ट हों, तो नपुंसक योग बनता है।

साथ ही अगर किसी जातक की कुंडली में लग्न विषम राशि का हो और चंद्रमा भी विषम राशि में मौजूद हो तथा शुक्र भी विषम राशि में हो तथा जन्म नक्षत्र भी नपुंसक हो। और जातक का जन्म नक्षत्र मूल, शतभिषा, मृगशिरा किसी एक में हुआ हो, तो उस जल की कुंडली में नपुंसक योग बनता है।

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साथ ही ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते हैं जिनमें से 12 नक्षत्र पुरुष और 12 नक्षत्र स्त्री के लिए होते हैं और बाकी बचें तीन नक्षत्र मूल, शतभिषा और मृगशिरा है। इन तीन नक्षत्र के कारण नपुंसक योग बनता है। जिस जातक की कुंडली में लग्न, चंद्र, शुक्र विषम राशि में हो और जन्म नक्षत्र नपुंसक हो, तो जातक की कुंडली में नपुंसक योग बनता है और यह जातक अपने जीवन में संतान सुख प्राप्त नहीं कर पाते है।

नपुंसक योग के कारण

  • आपको बता दें कि नपुंसक एक ऐसा योग होता है जो किसी पुरुष या स्त्री की जन्म कुंडली में बनता है।
  • साथ ही यह योग जब किसी जातक किनकुंडली में बनता है, तो जातक के जीवन में संतान सुख की प्राप्ति नहीं  होती।
  • इस योग के कारण जातक को संतान सुख प्राप्त नही होता है।
  • साथ ही जन्म से भी जातक के अंदर हो नपुंसकता हो सकती है।
  • वहीं किसी भी उम्र में शारीरिक दुर्घटना या शारीरिक हारमोंस की कमी के कारण भी ऐसा हो सकता है।
  • ज्योतिष के मुताबिक नपुंसक योग ग्रह दशा के कारण बनता है।
  • जब जातक के जीवन में नपुंसक योग बनता है, तो जातक की कुंड़ली में संतान उत्पत्ति योग नही बन पाता है।

राशि के अनुसार नपुंसक योग

मेष राशि

  • आपको बता दें कि इस राशि के जातकों की काम शक्ति बहुत तीव्र मानी जाती हैं।
  • वहीं यह अग्नि तत्व राशि और मंगल के प्रभाव में होते हैं।
  • इसी के साथ राशि स्वामी मंगल वक्री होकर कुण्डली में अस्त हो रहा होता है, तो जातक की काम शक्ति में कमी आती है और जातक नपुंसकता से प्रभावित हो सकता है।

वृषभ राशि

  • वृषभ राशि के अंदर उत्तेजना और धैर्य होता है।
  • वहीं जब इनके राशि का स्वामी शुक्र विषम राशि में होता है, तो उत्तेजना और धैर्य काफी बढ़ जाती है।
  • इसी के साथ विषम नवांश में स्थित होकर शनि-चंद्रमा के साथ युति संबंध बनता है, तो जातक नपुंसकता के योग से काफी प्रभावित होता है।

मिथुन राशि

  • मिथुन राशि वालों के लिए नपुंसक योग का कारक उनका राशि स्वामी बुध होता है। वहीं ज्योतिषशास्त्र में बुध नपुंसक ग्रह माना जाता है।
  • इसी के साथ इस राशि के जातक की कुण्डली में बुध अगर मिथुन राशि में बैठा हो और शनि बुध से चौथे स्थान में हो यानी दसवीं दृष्टि से बुध को देख रहा है, तो जातक के नपुंसक होने की संभावना अधिक रहती है।

कर्क राशि

  • कर्क राशि के जातक यौण संबंधों में बहुत अधिक भावनात्मक होते हैं।
  • वहीं ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस राशि का स्वामी चन्द्रमा सम राशि में बैठे बुध के साथ संबंध बनाता है, तो नपुंसकता की संभावना अधिक होती है।

सिंह राशि

  • सिंह राशि के जातक यौन संबंधों के प्रति काफी उत्साहित होते हैं। साथ ही इन लोगो में हमेशा यौन संबंध की चाह बनी रहती है।
  • वहीं जब इनका स्वामी ग्रह सूर्य पीड़ित होता हो या सूर्य शुक्र के साथ कुंडली में बैठा हो, तो जातक में यौन संबंध का उत्साह कम हो जाता है।

कन्या राशि

  • कन्या राशि वालों का प्रेम सौम्यता और मंद रुप में काफी आगे होते है।
  • साथ ही नपुंसक योग से जातक तब प्रभावित होता है जब उसकी कुण्डली में सूर्य पहले भाव यानी लग्न में बैठा हो। साथ ही कन्या या मीन राशि में बैठा चन्द्रमा उसे देख रहा हो।

तुला राशि

  • साथ जिन लोगों का जन्म तुला राशि में होता है उनमें कामुकता की भावना प्रबल रहती है। वहीं यह यौण संबंध के लिए पहल करने वाले होते हैं।
  • वहीं इस राशि के स्वामी शुक्र के साथ मंगल, शनि या सूर्य का संबंध बनता है, तो जातक नपुंसकता से प्रभावित होता है।

वृश्चिक राशि

  • इस राशि के जातक में प्रेम संबंधों में काफी जल्दबाजी दिखाते हैं। लेकिन जब मंगल या सूर्य एक साथ होते हैं और मंगल वक्री होता है, तो नपुंसकता की समस्या अधिक हो सकती है।

धनु राशि

  • धनु राशि के जातकों में प्रेम- संबंधों को लेकर काफी गर्म जोशी बनी रहती है।
  • साथ ही धनु राशि का स्वामी गुरु यदि शनि और राहु से प्रभावित होता है, तो जातक का यौण संबंध के प्रति उत्साह कम होता है।

मकर राशि

  • मकर राशि के जातक यौण संबंधों में काफी सहज होते हैं।
  • यह लोग प्रेम को समय देने वाले होते है।
  • साथ ही जब इस राशि के स्वामी का संबंध सूर्य और शुक्र के साथ खराब होता है, तो पौरुष शक्ति की कमी होती है।

कुम्भ राशि

  • इस राशि के जातक यौन संबंध के प्रति काफी शालीन होते हैं। साथ ही इनका प्रेम व्यवहार इनके साथी को इनकी ओर आकर्षित करता है।
  • इस राशि के जातकों में नपुंसकता का प्रभाव तब होता है जब कुंभ राशि में बैठे मंगल की दृष्टि मकर और वृषभ राशि में मौजूद सूर्य पर होती है।

मीन राशि

  • मीन राशि का स्वामी गुरु वक्री होकर शुक्र या शनि के साथ संबंध बनाता है, तो जातक में नपुंसकता का प्रभाव अधिक होता है।

उपाय

  • अगर किसी जातक के जीवन में इस प्रकार की स्थिति बनती है, तो सबसे पहले ऐसे जातक को किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और चिकित्सक की सलाह से उपचार करना चाहिए।
  • अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में यह योग बनता है, तो उस जातक को अपने आत्मविश्वास की वृद्धि के लिए भगवान सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए।
  • आपको रोजाना सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
  • साथ ही जातक को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • वहीं व्यक्ति को रोजाना योग करना चाहिए। योग हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है। इससे हेल्थ से जुड़ी सभी परेशानी खत्म हो जाती है।

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