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कुंडली का तृतीय भाव बताता है आपके इन खास गुणों के बारे में

वैदिक ज्योतिष में तृतीय भाव का अपना अलग महत्व है। ज्योतिषी किसी भी जातक के भविष्य, भूत और वर्तमान के बारे में बताने के लिए इस भाव की स्थिति को अवश्य देखते हैं। तृतीय भाव की जानकारी देने से पहले हम आपको प्रथम और द्वितीय भाव की जानकारी दे चुके हैं। आईए अब विस्तार से जानते हैं कि तृतीय भाव का व्यक्ति के जीवन में क्या योगदान होता है। 

कुंडली में तृतीय भाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली का तृतीय भाव आपके साहस-पराक्रम, संवाद शैली, छोटे भाई बहनों के साथ आपके संबंधों के बारे में बताता है। आपका किसी भी काम को करने का तरीका भी इस भाव को देखकर पता चल जाता है। इस भाव से साहस-पराक्रम का पता चलता है इसलिए इस भाव को पराक्रम भाव भी कहा जाता है। कुंडली के तृतीय भाव पर बुध ग्रह का प्रभाव माना जाता है क्योंकि यह भाव मिथुन राशि का होता है जिसका स्वामी ग्रह बुध है। 

कु़ंडली के तृतीय भाव के गुण

जिस व्यक्ति की कुंडली में तृतीय भाव मजबूत अवस्था में होता है उसमें गजब का पराक्रम देखा जाता है। ऐसे लोग किसी भी तरह का जोखिम उठाने से नहीं डरते। ऐसे लोग बौद्धिक रुप से भी काफी सशक्त होते हैं। लेखन के क्षेत्र में भी यह लोग अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। ऐसे लोगों की पारिवारिक स्थिति भी अच्छी हो सकती है, छोटे भाई-बहनों के साथ ऐसे लोगों के संबंध अच्छे होते हैं। 

यह भाव चतुर्थ भाव से बारहवां होता है इसलिए इससे आपकी माता की आयु का भी विचार किया जाता है। शरीर के अंगों में यह आपके दाहिने कान का प्रतिनिधित्व करता है। यदि आपकी कुंडली में तृतीय भाव मजबूत अवस्था में नहीं है तो आपको फैसले लेने में दिक्कत हो सकती है, आपमें डर की भावना भी हो सकता है। भाई-बहनों के साथ भी मनमुटाव हो सकते हैं। 

पराक्रम भाव से शरीर के अंगोंं की जानकारी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तृतीय भाव से आपके हाथ, कंधे, दाहिने कान के बारे में जानकारी मिलती है। यदि इस भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या शुभ ग्रह इस भाव में हों तो व्यक्ति के कंधे और हाथ मजबूत होते हैं।

आपकी आयु और छोटी दूरी की यात्राओं की जानकारी

कुंडली का तृतीय भाव आपके साहस-पराक्रम को तो दर्शाता ही है इसके साथ ही आपकी आयु के बारे में भी इस भाव से पता चलता है क्योंकि यह भाव अष्टम भाव (आयुर भाव) से अष्टम है। इसके साथ ही छोटी दूरी की यात्राओं और उनमें मिलने वाली सफलता-असफलता के बारे में भी इस भाव से ही पता चलता है। इसके साथ ही आपके मित्र कैसे होंगे इसके बारे में भी ज्योतिष इसी भाव से विचार करते हैं। 

इस भाव की मजबूती दिलाती है इन क्षेत्रों में सफलता

जिस जातक की कुंडली में तृतीय भाव मजबूत अवस्था में होता है उनको लेखन के क्षेत्र में सफलता मिल सकती है। ऐसे लोग अपने विचारों को बेहतरीन तरीके से पन्नों पर उतार पाते हैं। इसके साथ ही इंटरनेट से जुड़ी नौकरियों में भी ऐसे जातकों को सफलता प्राप्त हो सकती है, इलेक्ट्रोनिक मीडिया, होटल इंडस्ट्री आदि में भी ऐसे लोग सफल हो सकते हैं। ऐसे लोग तकनीकी रुप से भी काफी अच्छे होते हैं इसलिए तकनीकी उपकरण जैसे फोन, कंप्यूटर आदि से जुड़े कामों को भी यह अच्छे तरीके से अंजाम दे सकते हैं। सोशल मीडिया भी इनकी उन्नति का कारण बन सकता है।

यह भी पढ़ें- मेष राशि की विशेषताएं और भाग्यशाली अंक, रत्न, रंग आदि की महत्वपूर्ण जानकारी

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