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जानें माथे पर लगाए जाने वाले तिलक के प्रकार व इसके लाभ

भारतीय संस्कृति में तिलक या टीका लगाने को बहुत महत्व दिया जाता है। हमारी परम्पराएँ अपने पीछे बहुत गहरे वैज्ञानिक रहस्य छिपाए हुए है। शास्त्रों में तिलक को कितना महत्व दिया गया है इसका भान आपको इस बात से हो जाएगा की शास्त्रानुसार तिलक विहीन व्यक्ति का मुख तक नहीं देखना चाहिए, पूजा यदि तिलक के बिना हो तो निरर्थक मानी जाती है। आज हम इस लेख में तिलक के प्रकार के बारे में बताएंगे।

आध्यात्मिक अर्थ

शब्द तिलक का अर्थ मात्र माथे पर लगाए वाला चिन्ह मात्र नहीं, मनुष्य की आत्मिक स्थिति से भी इसका सम्बन्ध है। तिलक माथे पर दोनो नेत्रों के बीच लगाया जाता है, इसका बहुत गहरा अर्थ है और हम बिना सोचे-समझे बचपन से ऐसा करते आ रहे है। हमारे सम्पूर्ण शरीर के सभी भाग महत्वपूर्ण है किंतु यदि किसी भाग को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाए तो वह मस्तिष्क है।

मस्तिष्क में हमारी चेतना वास करती है। यही आत्मा का निवास स्थान है जहां हमारी सम्पूर्ण शक्ति केंद्रित रहती है। भृकुटी के मध्य में आज्ञाचक्र पर टीका किया जाता है। तिलक लगाने से आत्मिक भान में वृद्धि होती है, यह मनुष्य के अवचेतन मन पर प्रभाव करता है।

तिलक के प्रकार

इस लगाने को यदि वर्गीकृत करना है तो यह दो आधारों पर किया जा सकता है। जिसमें पहला है किस वस्तु से टीका किया जा रहा है और दूसरा है तिलक लगाने वाला किस मनोभाव से तिलक कर रहा है।

1. सामग्री के आधार पर इसके तिलक के प्रकार

  • हल्दी य केसर से किया गया तिलक – हल्दी या केसर का टीका किसी कार्य के मंगल हेतु किया जाता है। यह तिलक घर से निकलते समय विशेष किया जाता है जिससे यात्रा किसी भी अमंगल से सुरक्षित रहे।
  • सिंदूर से किया गया तिलक-. सिंदूर से किया गया तिलक शक्ति का प्रतीक है। यह तिलक करने से मन की निराशा का नशा होता है, मन में उमंग उत्साह का संचार होता है। तनाव कम करने व सुख समृद्धि की वृद्धि में सहायक होता है सिंदूर का तिलक।
  • चंदन का तिलक- यह तिलक शीतलता व शांति प्रदान करता है। आत्मिक स्थिति बनाने में सहायक होता है। शनि दोष को दूर करने मे लिए चंदन का तिलक लाभदायक है।
  • भभूत का तिलक –  शिव के मंदिरों में निरंतर धूनी जलती रहती है, ऐसे पवित्र स्थान की भभूत से मनुष्य के जीवन के विघ्नों का विनाश होता है। मन में वैराग्य भाव उत्पन्न होता है जिससे मनुष्य के मन का भटकना कम हो जाता है।

2. मनोभाव के आधार पर इसके तिलक के प्रकार

  • आशीर्वाद के मनोभाव से लगाया गया टीका-   यह तिलक मध्यमा उँगली से लगाया जाता है। जब किसी व्यक्ति के सफलता की कामना स्वरूप तिलक किया जाता है तो मध्यमा से किया जाता है, क्यूँकि इस उँगली पर शनि ग्रह का वास माना जाता है जिन्हें हिंदू मान्यताओं में सफलता का प्रतीक माना गया है।
  • शांति व तेजस्विता के मनोभाव से लगाया गया तिलक – हिंदू मान्यताओं में तर्जनी उँगली में सूर्य ग्रह का वास माना गया है, जिससे चेहरे पर चमक आती है। तर्जनी से लगाया गया तिलक स्वाभाविक रूप से शांति व तेज में वृद्धि वाले संस्कारों को मनुष्य में जागृत करता है।
  • समृद्धि व स्वास्थ्य की कामना से लगाया गया तिलक- मनुष्य के अँगूठे में शुक्र ग्रह का वास माना गया है, जिससे मनुष्य को अच्छा स्वास्थ्य ओर समृद्धि प्राप्त होती है। किसी भी संघर्ष में जहां विजय की कामना होती है वहाँ अँगूठे से तिलक लाकर आशीर्वाद दिया जाता है।

मन की स्थिति का प्रभाव

अपने माथे पर इसे लगाने वाले व्यक्ति की मनोदशा का भी गहरा प्रभाव तिलकधारी पर पड़ता है। इसलिए तिलक लगाते समय किस सामग्री का टीका किया जा रहा है और किस उँगली से तिलक कर रहे है इसका ध्यान रखना तो आवश्यक है ही किंतु स्वयं की मनोभावों को भी नियंत्रित रखना अनिवार्य है।

तिलक लगाते समय जो भी संकल्प किए जाते है वह तिलकधारी के लिए अत्यधिक प्रभावशाली होते है। आशा है भविष्य में आप तिलक लगाते समय इन सब बातों का स्मरण रखेंगे।

यह भी पढ़ें- वास्तुशास्त्र के इन 5 नियमों से रखें खुद को और अपने परिवार को हमेशा स्वस्थ

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