तुलसी सदा से ही हिंदू परिवारों के आँगन की शोभा बढ़ाता रहा है। आज हम देखेंगे क्यूँ है तुलसी का इतना महत्व। क्या कारण है की तुलसी को इतना पवित्र माना गया है। तुलसी के पौधे को सामान्य जन भी उसके गुणों के कारण पादप जगत में ऊँचा स्थान देते है। यदि हम अपने पुराणों की बात करें तो स्कंदपुराण के अनुसार कार्तिक मास में तुलसी का पौधा लगाने से गंगा स्नान के समान ही पापो का नाश होता है। तुलसी के पौधे के अनेक औषधीय गुण भी है। तुलसी को सुख ओर कल्याण के प्रतीक के रूप में आँगन में लगाया जाता है। शास्त्रों में इसे पुष्पसारा के नाम से भी जाना जाता है।
तुलसी के हर भाग का अपना विशेष आयुर्वेदिक उपयोग है। तुलसी दमा, टीबी आदि जैसे रोगों में अत्यंत लाभकारी है। स्वाँस सम्बंधित रोगियों को शहद, अदरक और तुलसी के मिश्रण से निर्मित काढ़ा पिलाया जाता है। पुष्पसारा (तुलसी) की सुगंध मच्छरों को भी दूर भागता है, साथ ही मलेरिया के उपचार हेतु आयुर्वेद में इसका उपयोग किया जाता है। पुष्पसारा का काढ़ा पीने से माइग्रेन, साइनस जैसे रोगों का उपचार सम्भव हैं। किडनी में पथरी का रोग भी तुलसी के पत्तों को उबालकर उसका रस पीने से ठीक होता है। ऐसे ही अनेक रोगों में लाभदायक होने के कारण आयुर्वेद में पुष्पसारा को संजीवनी बूटी के समान स्थान प्राप्त है। जल में पुष्पसारा के पत्ते डालकर स्नान करने वाला व्यक्ति तीर्थों में नहाया हुआ माना जाता है व सभी यज्ञों में बैठने योग्य पवित्र समझा जाता है।
आयुर्वेदिक जीवनदायी गुण होने के साथ ही तुलसी का हिंदुओं के लिए धार्मिक महत्व भी है। इसको पूजनीय एवं पवित्र माना गया है। पुष्पसारा को माता लक्ष्मी का स्वरूप मानकर आँगन में स्थापित किया जाता है जिससे घर में समृद्धि बनी रहे। पद्मपुराण के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा है वह तीर्थ के समान है, ऐसे घर में यमराज के दूतों का प्रवेश नहीं होता। इसके जड़ों की पास की मिट्टी से आँगन को लीपने से रोग, कीटाणु आदि का प्रवेश नहीं होता।
मान्यता है कि तुलसी को आँगन में लगाने ओर सेवा करने से पाप नष्ट होते है। पुष्पसारा को श्रीकृष्ण पूजन में उनके चरणों में चढ़ाने से मुक्ति प्राप्त होती है। जिस स्थान पर पुष्पसारा का पौधा होता है वहाँ पर ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि समस्त देवताओं का वास माना जाता है। कार्तिक मास में पुष्पसारा के पूजन, दर्शन, आरोपण, सेवा आदि का बहुत महत्व है।
इसके पौधे को पवित्र स्थान पर लगना चाहिए, घर का आँगन इसके लिए उत्तम स्थान है। पुष्पसारा का पौधा कमर से ऊँचाई के स्थान पर ही स्थापित करना चाहिए, जिसके चारों ओर साफ़ सफ़ाई का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। तुलसी पूजन प्रातः काल में स्नान कर शुद्ध मन से पूजन सामग्री जैसे जल, अगरबत्ती, धूप, धी का दिया, सिंदूर आदि का विधि पूर्वक उपयोग कर करना चाहिए।
तुलसी पूजन में जल अर्पित करते हुए यह मंत्र पढ़े –
“महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी , आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।”
इसके बाद सिंदूर अर्पित कर, घी का दिया जलाए, साथ भी अगरबत्ती, धूप भी जलाएँ। अब पुष्पसारा के पौधे की तीन बार परिक्रमा करें साथ में सम्पूर्ण परिवार के मंगल की कामना करें।
इस पौधे के पूजन से अनेक लाभ होते है, सबसे पहला तो है को आपके घर में नियम, मर्यादा का पालन होता रहते है। नित्य प्रतिदिन पूजन व शुभ भावना के कारण घर में मंगलकारी तरंगे उत्पन्न होती है जिसका लाभ सभी परिवार जनों को प्राप्त होता है।
घर के आँगन में पुष्पसारा का पौधा अनेक वास्तु दोषों से रक्षा करता है। तुलसी का पौधा जिस घर में होता है वहाँ दरिद्रता कभी प्रवेश नहीं करती, आर्थिक उन्नति में तुलसी पूजन लाभकारी है।
पुष्पसारा का पौधा बुरी नज़र से परिवार को सुरक्षित रखता है। तुलसी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है। यदि घर के किसी सदस्य को आप बुरी नजर से बचाना चाहते है तो तुलसी पूजन के समय उस व्यक्ति के मंगल हेतु प्रार्थना करें।
पवित्र तुलसी के पौधे से सम्बंधित कुछ सावधानियाँ भी है जिनका उल्लेख आवश्यक है। घर में कभी सूखा तुलसी का पौधा नहीं रखना चाहिए। जहां तुलसी का पौधा रोपित है उसके चारों ओर स्वच्छता होना आवश्यक है। बिना स्नान किए पुष्पसारा की पौधे को ना छुए ना हाई पूजन करें। शिवलिंग व गणेश जी के पूजन में तुलसी का उपयोग वर्जित माना जाता है।
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