आपको बता दें कि तानाशाही विचारधारा पूरी दुनिया के लिए उतनी ही खतरनाक है जितना कि एक अव्यवस्थित लोकतंत्र। वहीं लोकतंत्र की कमियों के कारण ही तानाशाह का जन्म होता हैं। साथ ही तानाशाह अपनी सत्ता को बनाये रखने के लिए बल का प्रयोग और राजनीतिक विरोधियों का व्यवस्थित तरीके से उत्पीड़न करते है। वहीं आधुनिक इतिहास के तानाशाहों ने इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन और क्रूरता का पर्याय बना दिया है। आपको बता दें कि इतिहास के पन्नों में ऐसे कई तानाशाहों के नाम लिखें है जिन्होने अपने देश की जनता ही नही बल्कि पूरी दुनिया का दिल देहला दिला। चालिए जानते है दुनिया के 10 तानाशाह के बारें में जिन्होने क्रूरता की सभी हदें पार कर दी-
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बता दें कि दुनिया के ये तानाशाह काफी क्रूर थे। इनके कारण आम जनता को काफी कुछ सहना पड़ा। लेकिन यह तानाशाह आखिर इतने क्रूर क्यो थे? आपको बता दें कि इसके लिए ज्योतिष शास्त्र काफी महत्वपूर्ष भूमिका निभाता है। कुड़ली में ग्रह दशा के कारण जातक के स्वभाव में काफी परिवर्तन होता है। ठीक उसी प्रकार किसी जातक की कुड़ली में मंगल के अशुभ योग बनने से जातक गलत कामों में लिप्त हो जाता है। और जब किसी जातक की कुड़ली में मंगल और राहू ग्रह एक साथ होते है, तो अंगारक योग बनता है। जब यह योग किसी जातक की कुंडली मे बनता है, तो वह काफी क्रूर और नकारात्मक व्यक्ति बन जाता है। साथ ही वह गलत कामों में जुड़ जाता है। इतना ही नही ऐसे जातक काफी हिंसक भी हो जाते है और अपने लाभ के लिए कुछ भी कर सकते है।
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बता दें कि सभी ज्योतिष ग्रंथों में इस योग के फल को काफी बुरा माना जाता है। साथ ही यह योग लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में होने पर मंगल दोष को अधिक अमंगलकारी बनाता है। जिसके कारण जातक को अधिक परेशानी का सामना करना होता है। इसी के साथ लग्न में शनि-मंगल के होने से जातक काफी अहंकारी व शनकी हो जाता है। जिसके कारण वह अपने जीवन में गलत निर्णय लेकर अपने जीवन को बर्बाद कर लेता है। यह योग जातक को विनाशकारी बनता है। जब यह योग किसी जातक की कुंडली में बनता है, तो वह हिंसक हो जाता है। और इन सभी तानाशाहों की कुंड़ली में इस योग के बनने संभावना जताई जाती है।
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आपको बता दें कि शनि मंगल का यह योग यदि कुंडली के छठे या आठवे भाव में होता है, तो स्वास्थ में कष्ट उत्पन्न करता है। साथ ही कुंडली में बलवान शनि सुखकारी तथा निर्बल या पीड़ित शनि दुखदायी होता है। वहीं इन विपरीत स्वभाव वाले ग्रहों का योग स्वभावतः भाव स्थिति संबंधी उथल-पुथल पैदा कर देता है। शनि मंगल योग जातक की कुंड़ली में जब बनता है, तो जातक के जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करता है। इसका जातक पर बुरा प्रभाव होता है।
आपको बता दें कि तानाशाहों की लिस्ट में सबसे पहला नाम हिटलर का आता है। साथ ही एडॉल्फ हिटलर जर्मनी का तानाशाह था और हिटलर को 1930 के दशक में सत्ता मिली। वहीं हिटलर मानव इतिहास में सबसे बड़ी क्रूरताओं के लिए जिम्मेदार था। बता दें कि हिटलर की विदेश नीतियों के कारण ही द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई थी और इसमे पांच से सात करोड़ लोगों की जान गई थी।
साथ ही हिटलर ने लगभग 1.1 करोड़ लोगों की नस्लीय आधार पर व्यवस्थित हत्या का आदेश दिया था। बता दें कि जिनमें से करीबन 60 लाख लोग यहूदी थे। और हिटलर ने दूसरे विश्व युद्ध में हार के बाद सोवियत रेड आर्मी की गिरफ्त से बचने के लिए 30 अप्रैल 1945 को आत्महत्या कर ली थी।
आपको बता दें कि दुनिया के 10 तानाशाह की लिस्ट में से स्टालिन की बात करते है। जोसेफ का जन्म जॉर्जिया में हुआ था। साथ ही यह साल 1924 में लेनिन की मौत के बाद सत्ता में आया। इसी के साथ सोवियत नेता स्टालिन एक सनकी व्यक्ति था। स्टालिन ने अपने राजनीतिक शत्रुओं के साथ-साथ संदिग्ध विपक्षियों को भी काफी क्रूरता से दबा दिया था।
ऐसा माना जाता है कि स्टालिन के शासन काल के दौरान करीब 1.4 से दो करोड़ लोगों की मौत दंड श्रम शिविरों में या 1930 के दशक में हुए ग्रेट पर्ज के दौरान हुई थी। बता दें इस दौरान लाखों लोग को निर्वासित कर दिया गया था।
आपको बता दें कि स्टालिन को दिमाग से संबंधित बीमारी हो गई थी। जिसके कारण 5 मार्च 1953 को एक स्ट्रोक पड़ने के कारण स्टालिन की मौत हो गई।
पॉल पॉट साल 1975 से 1979 तक कंबोडिया का तानाशाह रहा और यह अपनी क्रूरता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता था। बता दें कि पॉल पॉट की सत्ता संभालने के दौरान करीबन 10 लाख लोगों की मौत भुखमरी, जेल, जबरन श्रम और हत्याओं की वजह से हो गई थी।
वहीं साल 1979 में पॉल पॉट को वियतनाम ने सत्ता से बाहर कर दिया था। आपको बता दें कि साल 1998 में खमेर रूज के एक गुट टा मॉक के नज़रबंदी के दौरान पोल पॉट की मृत्यु हो गई। और यह अफवाह थी कि उन्हें जहर देकर मारा गया था। लेकिन आज तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।
दुनिया के 10 तानाशाह की लिस्ट में से बात करते है, ईदि अमीन कि जो युगांडा का तीसरा राष्ट्रपति था, जो करीबन ढाई लाख लोगों की मौत का जिम्मेदार था। आपको बता दें कि यह काफी क्रूर तानाशाह था। जिसके शासनकाल में प्रताड़ना, मृत्यु दंड, भ्रष्टाचार और जातीय उत्पीड़न काफी होता था। इसी के साथ वह साल 1972 से 1979 तक सत्ता में रहा और फिर तंजानिया के खिलाफ हार के बाद वह देश छोड़कर भाग गया था। इसके बाद वह लीबिया में और फिर सऊदी अरब में रहा था। लेकिन साल 2003 में उसकी मौत हो गई।
आपको बता दें कि तानाशाह ऑगस्टो पिनोशे चिली में साल 1973 में हुए तख्तापलट के बाद सत्ता में आया। और पिनोशे लगभग 20 साल तक सत्ता में रहा। वहीं इस दौरान उसने अपने विरोधियों का काफी बेरहमी से दमन किया। बता दें कि उसके शासनकाल के पहले तीन सालों में ही उसने करीबन एक लाख लोग गिरफ्तार करवाया था।
वहीं साल 1990 में पिनोशे के राष्ट्रपति बने रहने पर हुए एक जनमत संग्रह में चिली की आम जनता ने उसके खिलाफ वोट किया, जिसके बाद उसने राष्ट्रपति पद छोड़ दिया। वहीं साल 2000 में पिनोशे पर मानवाधिकार हनन और टैक्स चोरी, भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। स्वास्थ्य की वजह से अदालत ने उनपर करवाही नही की। बता दें कि 10 दिसंबर 2006 को पिनोशे की मृत्यु हो गई थी।
आपको बता दें कि हेती के तानाशाह फ्रैंकॉइस डुवेलियर ने अमेरिका के सबसे गरीब देश की सत्ता साल 1957 से अपने निधन (1971) तक संभाली थी। कुछ रिपोर्ट के मुताबिक डुवेलियर ने अपनी सत्ता के समय करीबन 30 हजार लोगों की हत्या करवाई थी। इसी के साथ कई हजारों लोगों को देश छोड़कर भी जाना पड़ा था। फ्रैंकॉइस डुवेलियर पापा डॉक के नाम से भी जाने जाते थे। और डुवेलियर को कई लोग हेती की वर्तमान दशा के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। वहीं फ्रैंकॉइस के बाद उसके बेटे जॉन-क्लॉड डुवेलियर ने सत्ता संभाली थी। जिसका आतंक साल 1986 तक चला, इसके बाद वह खुद निर्वासन में चला गया था।
आपको बता दें कि स्पेन का तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रैंको सिविल वॉर में जीत के बाद साल 1939 से लेकर 1975 में अपने निधन तक सत्ता में रहा था। और उसके शासनकाल में बड़े स्तर पर असंतुष्टों का गंभीर और व्यवस्थित दमन हुआ। उन लोगो को या तो कन्संट्रेशन शिविरों में भेज दिया जाता था या जेल में बंद कर किया जाता था। और इन जगहों पर उनसे या तो जबरन श्रम कराया जाता था या मृत्यु दंड दे दिया जाता था। वर्ष 1960 और 1970 के दशक में फ्रैंको का शासन कुछ उदार हुआ। लेकिन स्पेन एक लोकतांत्रिक देश फ्रांसिस्को फ्रैंको की मौत के बाद ही बना।
आपको बता दें कि इराक का तानाशाह सद्दाम हुसैन साल 1979 में सत्ता में आया। और उसने करीबन पांच से 10 लाख लोगों को मौत के घाट उतारा था। साल 2003 में अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम की अगुवाई में बने गठबंधन के दखल के बाद सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटा दिया था। वहीं साल 2006 में हुसैन को 1980 की शुरुआत के 148 शिया मुसलमानों की मौत के मामले में दोषी माना गया और मौत की सजा सुनाई गई। हुसैन 30 दिसंबर 2006 को फांसी दी गई थी। दुनिया के 10 तानाशाह की तरह यह भी काफी क्रूर तानाशाह था।
चार्ल्स टेलर को साल 1997 में राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया था। बता दें कि उसने यह पद देश की जनता को डराकर प्राप्त किया था। साथ ही वह मानवाधिकारों के घृणित उल्लंघन, युद्ध अपराध और पड़ोसी सिएरा लिओन में सिविल वॉर में मानवता के खिलाफ अपराधों से जुड़ा था। इसी के साथ दूसरे लिबेरियाई सिविल वॉर में भी टेलर ने कई अपराधों को अंजाम दिया। यह सिविल वॉर साल 1999 से 2003 तक चला था। और उसके खिलाफ सिएरा लियोन सिविल वॉर में संलिप्तता के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ट्रायल चला था और टेलर को 50 साल के लिए कैद की सजा सुनाई गई थी।
आपको बता दें कि किम जोंग इल अपने पिता किम उल सुंग की मौत के बाद तानाशाह बना। साथ ही नॉर्थ कोरिया सरकार की ओर से जोंग की गोपनीयता बनाए रखने के कारण उसे ज्यादा नहीं जाना जाता है। लेकिन यह दुनिया का सबसे क्रूर तानाशाह था। वहीं ये दुनिया के वंशवादी साम्यवादी के शासक थे और इनकी मानवाधिकारों की हत्या करने के लिए और मिसाइलों के परीक्षण से लेकर जनता को धमकाने के लिए आलोचना की गई थी। साथ ही जोंग के तानाशाही भरे रवैये से नॉर्थ कोरिया की अर्थव्यवस्था अलग-थलग हो गई थी। और किम जोंग इल की साल 2011 में मौत हो गई थी। दुनिया के 10 तानाशाह की तरह किम जोंग इल भी काफी क्रूर तानाशाह माना जाता था।
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