ज्योतिष शास्त्र वह विज्ञान है जिसमें आपके जन्म समय और स्थान के अनुसार आपके अतीत, वर्तमान और भविष्य का आकलन किया जाता है। कुंडली में 12 भाव होते हैं और हर भाव का अपना अलग महत्व होता है। लेकिन इन सभी भावों में जिसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है वह हैं कुंडली का प्रथम भाव। इस भाव को लग्न भाव भी कहा जाता। आज इस लेख में हम प्रथम भाव की विशेषताओं के बारे में विचार करेंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर जो राशि उदय हो रही हो वही व्यक्ति का लग्न होता है। उदाहरण के लिए व्यक्ति के जन्म के समय यदि धनु राशि उदय हो रही है तो व्यक्ति का लग्न धनु राशि का होगा। यानि की व्यक्ति के लग्न भाव में धनु राशि होगी।
किसी जातक के व्यक्तित्व और स्वभाव को जानने के लिए कुंडली के लग्न भाव को देखा जाता है। आपके लग्न भाव से ही पता चलता है कि आपके विचार किस तरह के होंगे, आप किस तरह के लोगों के साथ रहना पसंद करेंगे, आपके जीवन में क्या चीजें महत्वपूर्ण होंगी आदि।
यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आपका पूरा जीवन आपके लग्न से निर्धारित किया जा सकता है। यदि लग्न भाव में शुभ ग्रह विराजमान हैं या इसपर शुभ ग्रहों का प्रभाव है तो व्यक्ति दयालु प्रकृति का, दूसरों की मदद करने वाला, समाज के बारे में सोचने वाला हो सकता है। वहीं क्रूर ग्रहों की इस भाव पर दृष्टि व्यक्ति को भी क्रूर बना सकती है।
प्रथम भाव हमारे चेतन मन पर भी असर डालता है। प्रथम भाव की स्थिति से यह बात ज्ञात की जा सकती है कि व्यक्ति को किस तरह के शौक होंगे। इसके साथ ही शरीर की रुपरेखा के बारे में भी इसी भाव से जानकारी मिलती है। लग्न भाव आपकी आयु के बारे में भी बताता है यदि कुंडली में सूर्य, शनि, चंद्रमा लग्न भाव के स्वामी के साथ मजबूत अवस्था में हों तो व्यक्ति दीर्घायु हो सकता है।
इस भाव से आपकी बुद्धि कौशल पर भी फर्क पड़ता है। यदि यह भाव शुभ ग्रहों के प्रभाव में है तो ऐसा व्यक्ति स्पष्टवादी और अच्छी तार्किक क्षमता वाला होता है। इसके साथ ही प्रथम भाव से यह भी पता चलता है कि व्यक्ति का प्रारंभिक जीवन कैसा रहा होगा। इसके साथ ही समाज में आपकी स्थिति का भी इस भाव से अंदाजा लगाया जा सकता है।
लग्न भाव की राशि के स्वामी के गुणों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन को आगे बढ़ाने की कोशिश करे तो शुभ फल पा सकता है। उदाहरण के लिए आपका लग्न यदि धनु राशि का है तो आपके लग्न का स्वामी ग्रह बृहस्पति होगा। जिसके मुख्य गुण सहनशीलता, अध्यापन, परामर्शदाता आदि हैं। ऐसे में यदि व्यक्ति खुद में इन गुणों को लाने की कोशिश करे तो उसे जीवन में कई शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। कुलमिलाकर कहा जाए तो यह भाव खुद की खोज का भाव भी है। इसीलिए कुंडली के सभी भावों में से सबसे महतवपूर्ण इसी भाव को माना जाता है।
हमारे इस लेख को पढ़कर आपको पता चल गया होगा कि कुंडली में प्रथम भाव की क्या अहमियत है। आप भी अपनी कुंडली में स्थित प्रथम भाव में विराजमान राशि का आकलन करके काफी कुछ पता कर सकते हैं।
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