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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जानें कि क्या व्यक्ति का जीवनसाथी पहले से तय होता है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक के विवाह, संबंध, जीवनसाथी, करियर, वित्त आदि के बारे में जाना जा सकता है। साथ ही जातक की कुंडली में मौजूद ग्रह और भाव जातक को उसके भावी साथी के बारे में कई संकेत देते है, जिससे इस बात का पता किया जा सकता है कि क्या जातक का जीवनसाथी पहले से तय है या नहीं। चलिए इस लेख में जीवनसाथी भविष्यवाणी के बारे में विस्तार से जानें।

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किन ग्रहों से जीवनसाथी भविष्यवाणी की जाती हैं?

ज्योतिष में, किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली का अध्ययन जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बता सकता है। जबकि व्यक्ति के रिश्तोंं का अध्ययन करते समय ज्योतिषी पूरी जन्म कुंडली का विश्लेषण करते है, क्योंकि कुंडली में कुछ ऐसे विशिष्ट ग्रह और भाव होते हैं, जिनसे इस बात का पता किया जाती है कि व्यक्ति का जीवनसाथी पहले से तय है या नहींः

  • शुक्र ग्रह: शुक्र प्रेम और रिश्तोंं से जुड़ा ग्रह है। जन्म कुंडली में इसका स्थान किसी व्यक्ति के प्रेम के दृष्टिकोण और किस प्रकार के साथी के प्रति वह आकर्षित हो सकता है, इसके बारे में जानकारी मिलती है।
  • चंद्रमा ग्रह: चंद्रमा भावना और मन का प्रतिनिधित्व करता है। जन्म कुंडली में इसका स्थान किसी व्यक्ति के रिश्ते में भावनात्मक जरूरतों को दर्शाता है।
  • मंगल ग्रह: मंगल जुनून, इच्छा और यौन ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। जन्म कुंडली में इसकी स्थिति और पहलू किसी व्यक्ति की मुखरता, जुनून और रिश्तोंं में यौन अनुकूलता के बारे में जानकारी देती हैं।

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किन भावों से जीवनसाथी भविष्यवाणी की जाती हैं?

ज्योतिष में, कुंडली में विभिन्न भाव होते हैं, जो जीवनसाथी की संभावित विशेषताओं और गुणों के बारे में बताते हैं। हालांकि, कई कारकों का विश्लेषण करके जीवनसाथी भविष्यवाणी की जाती है।

सप्तम भाव साझेदारी और विवाह का भाव है। सप्तम भाव के कारण जातक के जीवनसाथी के बारे में जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में सप्तम भाव आमतौर पर साझेदारी, विवाह और प्रतिबद्ध संबंधों से जुड़ा होता है, जिससे जीवनसाथी की भविष्यवाणी की जाती है। सप्तम भाव किसी के संभावित जीवन साथी को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सप्तम भाव में मंगल ग्रह एक भावुक और मुखर साथी की आवश्यकता का संकेत दे सकता है। सप्तम भाव पर अन्य ग्रहों द्वारा निर्मित पहलू रिश्तोंं की प्रकृति के बारे में महत्वपूर्ण विवरण प्रदान करते हैं। 

पंचम भाव प्रेम संबंधों, रोमांस और रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है। पंचम भाव की सहायता से जातक के भावी साथी के बारे में जान सकते है। ज्योतिष में पंचम भाव किसी व्यक्ति के प्रेम के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाता है।  इसके अतिरिक्त, पंचम भाव प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है, जो एक दीर्घकालिक साझेदारी या जीवनसाथी के बारे में बताता है। पंचम भाव से जुड़ी ऊर्जा को समझकर, व्यक्ति अपने डेटिंग जीवन और उन गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता हैं, जो उन्हें संभावित जीवनसाथी के बारे में बता सकती है।

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क्या जीवन साथी पहले से तय होता है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अलग-अलग ज्योतिषीय व्याख्याओं में जीवनसाथी के पूर्व-निर्धारित होने या न होने की मान्यता विभिन्न हो सकती है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि व्यक्ति के जीवन के कुछ पहलुओं और जन्म के समय ग्रह द्वारा जीवनसाथी को पूर्व निर्धारित किया जा सकता है। माना जाता है कि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रह की स्थिति और अंतःक्रियाएं उनके नियत जीवन साथी के बारे में संकेत प्रदान कर सकती हैं। ये संकेतक चार्ट के विभिन्न तत्वों में पाए जा सकते हैं, जैसे सप्तम भाव, शुक्र ग्रह और अन्य ग्रह संयोजन की सहायता से इस बारे में जान सकते है।

उदाहरण के लिए, विशिष्ट ग्रहों की स्थिति रिश्तोंं में अनुकूलता या चुनौतियों का संकेत दे सकती हैं, जबकि दो व्यक्तियों के जन्म चार्ट की तुलना उनकी अनुकूलता और जीवन साथी के रूप में क्षमता के बारे में जानकारी दे सकती हैं। हालांकि, अलग-अलग ज्योतिषी और व्याख्याएं इस बात पर अलग-अलग दृष्टिकोण पेश कर सकते हैं कि जीवन साथी पूर्व-निर्धारित होता है या नहीं। इसके अतिरिक्त, व्यक्तिगत पसंद रिश्तोंं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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सप्तम भाव से जानें जीवनसाथी का स्वभाव

ज्योतिष में, कुछ ग्रह और भाव जातक के जीवनसाथी को लेकर अहम भूमिका निभाते है। साथ ही व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में इन राशियों, ग्रहों के होने से जीवनसाथी के स्वभाव के बारे में पता कर सकते हैः

  • अगर सप्तम भाव में मेष, सिंह या धनु राशि होती है, तो जातक को साहसी और अधिक क्रोध करने वाला साथी मिलता है।
  • यदि सप्तम भाव में कर्क, वृश्चिक या मीन राशि होती है, तो जातक का जीवनसाथी भावुक और  कोमल स्वभाव का होता है।
  • अगर आपकी कुंडली के सप्तम भाव में वृषभ, कन्या या मकर राशि होती है, तो जातक का साथी कार्यकुशल, लेकिन अंतर्मुखी होता हैं।
  • अगर सप्तम भाव में मिथुन, तुला या कुंभ राशि हैं, तो जातक का जीवन साथी सामाजिक, वाचक और व्यवहार में अच्छा होता हैं।

सप्तम भाव में ग्रह

  • अगर सप्तम भाव में सूर्य ग्रह होता है, तो जातक का जीवनसाथी अहंकारी, आत्मविश्वास, अधिक धनी होता हैं।
  • यदि सप्तम भाव में मंगल ग्रह होता है, तो जातक का जीवनसाथी महत्वकांक्षी, अधिक क्रोध करने वाला, खर्चीला और खाने पीने का शौकीन हो सकता है।
  • अगर किसी जातक की कुंडली में सप्तम भाव में बुध ग्रह है, तो जातक का जीवनसाथी बातूनी, बुद्धिमान होगा।
  • अगर आपकी कुंडली के सप्तम भाव में गुरु ग्रह है, तो आपका जीवन साथी धार्मिक, समझदार, सुशिक्षित होगा।
  • यदि किसी जातक की कुंडली के सप्तम भाव में शुक्र ग्रह है, तो उनका जीवनसाथी अच्छे अभिरुचि वाला, सुंदर और कलाप्रिय होगा।
  • अगर किसी जातक की कुंडली के सप्तम भाव में शनि ग्रह है, तो उनका जीवन साथी गंभीर, अंतर्मुखी, रूढ़िवादी और निराशावादी होगा।
  • यदि आपकी कुंडली के सप्तम भाव में चंद्र ग्रह है, तो आपका जीवन साथी मददगार और शांत स्वभाव का होगा।
  • अगर किसी जातक की कुंडली के सप्तम भाव में राहु और केतु ग्रह है, तो उनका जीवनसाथी समझदार, कूटनीतिज्ञ रिश्तों में स्वार्थ भावना रखने वाला हो सकता है।

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