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मकर सक्रांति- Makar Sankranti 2022 Date|Astrological Meaning

सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि मै प्रवेश को सक्रांति कहते है, और सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि मैं प्रवेश करता हैं, इस कारण यह पर्व मकर सक्रांति कहलाता है। हालांकि, भारत भर में यह पर्व भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न नामों से मनाया जाता है। इस साल देश भर में मकर संक्रांति का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जायेगा।

यदि धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथाओं को देखा जाए तो, यह प्रक्रति की उपासना का पर्व है। मकर संक्रांति के त्यौहार के पूर्व देश के विभिन्न कोनों में शीतलहर से बुरा हाल होता हैं। पर संक्रांत के पश्चात् से सूर्य उतरायण हो जाता है। सूर्य के उतरायण होने से वातावरण गरम होने लगता है और प्रक्रति मै परिवर्तन आने लगता है। सूर्य मकर राशि यानी शनि की राशि है। साथ ही, यह सूर्य की शत्रु राशि मानी जाती है, इसलिए सभी राशियों पर इसका प्रभाव भी अधिक पड़ता है।

सामन्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करता है, किंतु कर्क व मकर राशियों में सूर्य के प्रवेश का महत्व अधिक होता है। यह एक संक्रमण काल होता है जो छः-छः माह के अंतराल पर होता है।

मकर सक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है इसलिए रातें बड़ी और दिन छोटे होते है। यही कारण हैं की तापमान कम हो जाता है। किंतु मकर सक्रांति से सूर्य उत्तरी ग़ोल्लार्ध की तरफ़ आना शुरू हो जाता है और दिन तिल की तरह शने-शने बड़े होने लगते है, तापमान मै व्रद्धि होने लगती है।

मकर सक्रांति से जुड़ी धार्मिक व पोराणिक मान्यताए व घटनायें

हर हिन्दू पर्व की तरह इस पर्व से जुड़ी कई धार्मिक व पोराणिक मान्यताए व घटनायें जुड़ी हुई है जो की इस प्रकार हैं-

  • इसी दिन गंगा भगीरथ के पीछे चलती हुई कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर मै जा मिली थी, इसलिए इस दिन प्रयाग व गंगा सागर मै स्नान का महत्व है।
  • अन्य प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह ने सक्रांति के दिन को ही देह त्याग करने के लिए चुना था।
  • संक्रांति पर्व पर स्नान एवं दान का अत्यधिक महत्व है। विशेष रूप से इस शुभ दिन पर तेल, खिचड़ी, घास और कम्बल का दान का अत्यंत महत्व है।
  • ज्योतिषीय दृष्टिकोण के अनुसार, सूर्य उपासना के पश्चात इस पर्व पर यथा शक्ति दान अवश्य करें। कहा जाता हैं कि मकर संक्रांति का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।

माघे मासे महादेव यो दास्यती ध्रत कंबलम
स भुक्तवासकलान भोगान अँते मोक्षम प्रप्यति

इसके अलावा, आप पढ़ना पसंद कर सकते हैं लोहड़ी २०२०

भारतीय त्योहारों और उनके महत्व के बारे में अधिक जानने के लिए विशेषज्ञ ज्योतिषआचार्य उषा जैन भटनागर के साथ यहां जुड़ें।

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