Astrology information

शनि की दृष्टि का आपके जीवन पर प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, इसलिए शनि ग्रह की दृष्टि भी बहुत महत्वपूर्ण। कुंडली में शनि की मजबूत स्थिति व्यक्ति को कई शुभ फल देती है वहीं दुर्बल स्थिति में यह ग्रह आपको राजा से रंक बना सकता है। शनि के अलावा केवले बृहस्पति और मंगल की तीन दृष्टियां होती हैं।

शनि को लेकर कई सवाल लोगों के मन में होते हैं, उन्हीं में से एक सवाल यह है कि, शनि देव की अलग-अलग दृष्टियों का व्यक्ति के जीवन पर क्या असर पड़ता है? इस सवाल का जवाब आज आपको हमारे इस लेख में मिलेगा।

शनि तृतीय, सप्तम और दशम दृष्टि (3, 7, 10) से देखता है। इन तीनों में तृतीय को सबसे खतरनाक माना जाता है। आप अपनी कुंडली में सूर्य पुत्र की स्थिति को देखकर हमारे इस लेख की मदद से जान सकते हैं कि आपके जीवन पर शनि ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है। तो आईए विस्तार से जानते हैं शनि देव की तीनों दृष्टियों के बारे में। 

अलग अलग भावों से शनि की दृष्टि

शनि प्रथम भाव में

यदि कुंडली में शनि ग्रह प्रथम भाव में है तो व्यक्ति आलसी और स्वार्थी हो। हालांकि यदि शनि मजबूत स्थिति में हो तो अच्छे फलों की प्राप्ति भी अवश्य होती है। प्रथम भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से तृतीय भाव, सप्तम से सप्तम भाव और दशम से दशम भाव को प्रभावित करेगा। 

– प्रथम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

कुंडली के पहले भाव में विराजमान शनि तृतीय दृष्टि से साहस और पराक्रम के तृतीय भाव को प्रभावित करेगा जिससे व्यक्ति डरपोक हो सकता है। ऐसा जातक जोखिम उठाने से डरता है। छोटे भाई-बहनों के साथ भी ऐसे व्यक्ति के मतभेद हो सकते हैं। 

– प्रथम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

सप्तम भाव विवाह और साझेदारी का होता है इस भाव पर शनि का प्रभाव होने से वैवाहिक जीवन सामान्य रहेगा।  इसके साथ ही साझेदारी के कारोबार या किसी भी काम में इस ग्रह स्थिति के कारण अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं, हालांकि आपको असत्य बोलने से बचना चाहिए नहीं तो बुरे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। 

– प्रथम भाव से शनि की दशम दृष्टि

यह कर्म का भाव कहा जाता है कि, दशम दृष्टि, दशम भाव पर होने से व्यक्ति कर्मठ बनता है। ऐसा व्यक्ति यदि ईमानदारी से मेहनत करे तो बड़ी सफलता प्राप्त करता है।  

शनि द्वितीय भाव में

यदि कुंडली में शनि ग्रह द्वितीय भाव में है तो व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से लाभ मिलता है और अपनी वाणी से ऐसा व्यक्ति लोगों को प्रभावित करता है। द्वितीय भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से चतुर्थ भाव, सप्तम दृष्टि से अष्टम भाव और दशम दृष्टि से एकादश भाव को प्रभावित करेगा। 

– द्वितीय भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

शनि द्वितीय भाव में विराजमान आपके चतुर्थ भाव पर तृतीय दृष्टि डालेगा इससे जीवन में सुख सुविधाओं की कमी हो सकती है। माता के साथ भी मतभेद होने की संभावना रहती है।

– द्वितीय भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

अष्टम भाव पर सप्तम दृष्टि होने से मानसिक परेशानियां होने की संभावना रहती है साथ ही व्यक्ति की आयु पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। शोध कार्यों में सफलता मिल सकती है।

– द्वितीय भाव से शनि की दशम दृष्टि

द्वितीय भाव में विराजमान शनि दशम दृष्टि से आपके एकादश भाव को प्रभावित करेगा जिससे जीवन में लाभ तो होंगे लेकिन बचत कर पाने में परेशानियां आएंगी। 

शनि तृतीय भाव में

यदि कुंडली में शनि ग्रह तृतीय भाव में है तो व्यक्ति को भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है और व्यक्ति अपने विरोधियों पर भी विजय प्राप्त करता है, यदि शनि शुभ स्थिति में है तो व्यक्ति अपने भाई-बहनों का प्रिय होता है और उनका साथ भी देता है। तृतीय भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से पंचम भाव, सप्तम दृष्टि से नवम भाव और दशम दृष्टि से द्वादश भाव पर असर डालेगा। 

– तृतीय भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

शनि तृतीय दृष्टि से आपके शिक्षा, संतान और प्रेम के पंचम भाव को प्रभावित करेगा। इससे व्यक्ति को संतान पक्ष से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है इसके साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी ऐसे लोगों को परेशानियां आती हैं। 

– तृतीय भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

छाया पु्त्र की सप्तम दृष्टि आपके नवम भाव पर पड़ेगी जिससे धार्मिक क्रिया कलापों से व्यक्ति दूर हो सकता है। हालांकि शनि की दृष्टि शुभ हो तो इंसान की धार्मिक उन्नति भी हो सकती है। शनि की दृष्टि से भाग्य थोड़ा कमजोर हो सकता है क्योंकि यह भाव भाग्य भाव भी कहलाता है।

– तृतीय भाव से शनि की दशम दृष्टि

ग्रहों में न्याधीश का दर्जा प्राप्त ग्रह की दशम दृष्टि से द्वादश भाव के प्रभावित होने से विदेशों से जुड़े मामलों को लेकर परेशानियां आएंगी। वहीं धन से जुड़े मामलों को लेकर भी दिक्कतें आएंगी। 

शनि चतुर्थ भाव में

यदि कुंडली में शनि ग्रह चतुर्थ भाव में है तो व्यक्ति गुस्सैल हो सकता है और माता के साथ भी संबंध खराब हो सकते हैं। हालांकि शनि शुभ स्थिति में हो तो अच्छे फल भी अवश्य मिलते हैं। चतुर्थ भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से षष्ठम भाव, सप्तम दृष्टि से दशम भाव और दशम दृष्टि से प्रथम भाव को प्रभावित करेगा। 

– चतुर्थ भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

शनि देव चतुर्थ भाव में स्थित होकर षष्ठम भाव पर तृतीय दृष्टि डालेंगे, इस भाव पर प्रभाव होने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके साथ ही शत्रुओं से भी ऐसे शख्स को बचकर रहना चाहिए।

– चतुर्थ भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

दशम भाव में सप्तम दृष्टि होने से आपको अपने कर्मों के अनुसार ही फल मिलेंगे, यदि आप ईमानदारी से मेहनत करते हैं तो हर काम में उन्नति पाएंगे। यदि आप लापरवाह हैं तो बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। 

– चतुर्थ भाव से शनि की दशम दृष्टि

दशम दृष्टि से चतुर्थ भाव में विराजमान शनि प्रथम भाव को प्रभावित करेगा जिससे व्यक्तित्व में ठहराव तो रहेगा लेकिन मानसिक रुप से परेशान रहेंगे। आलस्य की अधिकता भी ऐसे लोगों में देखी जा सकती है। 

शनि पंचम भाव में

यदि कुंडली में शनि ग्रह पंचम भाव में शुभ स्थिति में है तो व्यक्ति रचनात्मक और मश्किलों से डटकर लड़ने वाला होता है। हालांकि शनि अशुभ स्थिति में है तो शिक्षा और प्रेम संबंधी मामलों में दिक्कतें आती हैं। पंचम भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से सप्तम भाव, सप्तम दृष्टि से एकादश भाव और दशम दृष्टि से द्वितीय भाव को प्रभावित करेगा। 

– पंचम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

तृतीय दृष्टि को सबसे खतरनाक माना जाता है। पंचम भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से सप्तम भाव यानि विवाह के भाव को देखेगा जिससे वैवाहिक जीवन में परेशानियां आएंगी। साझेदारी के कारोबार में भी ऐसे लोगों को उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं।

– पंचम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

सप्तम दृष्टि एकादश भाव पर होने से जीवन में लाभ तो मिलेंगे लेकिन बेईमानी और लापरवाही करने से लाभ को हानि में बदलते देर नहीं लगेगी।

– पंचम भाव से शनि की दशम दृष्टि

पंचम भाव से दशम दृष्टि द्वितीय भाव पर पड़ेगी जिससे आर्थिक मामलों को लेकर दिक्कतें आएंगी। परिवार में स्थिति कमजोर होगी। ऐसे लोग अपनी बातों को सही तरीके से रख पाने में बी कामयाब नहीं होते।  

शनि षष्ठम भाव में

यदि कुंडली में शनि ग्रह षष्ठम भाव में शुभ स्थिति में है तो व्यक्ति रोगमुक्त होता है। हालांकि शनि अशुभ स्थिति में है तो व्यक्ति को शत्रुओं से मात मिलती है और स्वास्थ्य भी खराब रहता है, ऐसे लोग बुरी आदतों में भी बहुत जल्दी पड़ जाते हैं। षष्ठम भाव से तृतीय दृष्टि से अष्टम भाव, सप्तम दृष्टि से द्वादश भाव और दशम दृष्टि से तृतीय भाव को शनि देव प्रभावित करेंगे।

– षष्ठम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

छठे भाव में विराजमान छाया पुत्र तृतीय दृष्टि से अष्टम भाव को देखेगा जिससे व्यक्ति गूढ़ विद्याओं को जानने की इच्छा रख सकता है, हालांकि ऐसे लोगों को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है और साथ ही हर काम को करने में विलंब भी होता है। 

– षष्ठम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

द्वादश भाव पर सप्तम दृष्टि होने से व्यक्ति को ऐसे कार्यों में भी हानि हो सकती है जिनमें वो पारंगत है। आर्थिक मामलों को लेकर ऐसे लोगों को सावधान रहना चाहिए। 

– षष्ठम भाव से शनि की दशम दृष्टि

दशम दृष्टि से तृतीय भाव प्रभावित होगा जिससे छोटे भाई-बहनों के साथ नोक झोक होगी। ऐसे लोगों का आत्मबल भी कमजोर होता है और बहुत मेहनत के बाद ऐसे लोगों को सफलता मिलती है। 

शनि सप्तम भाव में

यदि कुंडली में शनि ग्रह सप्तम भाव में स्थित है तो व्यक्ति अपने गलत निर्णयों का शिकार हो सकता है। शत्रु ऐसे लोगों पर हावी रहते हैं। हालांकि शनि यदि मजबूत अवस्था में है तो ऐसे लोगों को जीवनसाथी से लाभ होता है और शत्रुओं पर भी विजय मिलती है। सप्तम भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से नवम भाव, सप्तम दृष्टि से प्रथम भाव और दशम दृष्टि से चतुर्थ भाव को प्रभावित करेगा। 

– सप्तम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

तृतीय दृष्टि भाग्य भाव यानि नवम भाव पर होने से भाग्य का साथ नहीं मिलेगा। धार्मिक क्रियाकलापों में भी ऐसे लोग रुचि नहीं लेते। 

– सप्तम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

प्रथम भाव पर सप्तम दृष्टि होने से व्यक्ति न्याप्रिय तो होगा लेकिन मानसिक परेशानियों से भी घिरा रहेगा। हर काम को टालना ऐसे लोगों की आदत हो सकती है। 

– सप्तम भाव से शनि की दशम दृष्टि

दशम दृष्टि से शनि चतुर्थ भाव को प्रभावित करेंगे जिससे माता के साथ अनबन रहेगी। सुख-सुविधाएं पाने के लिए भी ऐसे लोगों को आवश्यकता से अधिक मेहनत करनी पड़ती है। 

शनि अष्टम भाव में

यदि कुंडली में न्याय का देवता ग्रह अष्टम भाव में स्थित है तो व्यक्ति गलत संगति में पड़ जाता है, ऐसे लोगों को सज्जन लोगों के बीच रहना पसंद नहीं आता, गुस्से की अधिकता भी ऐसे लोगों में देखी जाती है।

हालांकि यह ग्रह मजबूत अवस्था में है तो ऐसे लोग समाज में अपना अलग स्थान बनाते हैं। अष्टम भाव से तृतीय दृष्टि से दशम भाव, सप्तम से द्वितीय भाव और दशम से पंचम भाव को शनि प्रभावित करेगा। 

– अष्टम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

दशम दृष्टि से शनि जब कर्म भाव या दशम भाव को देखता है तो ऐसे व्यक्ति के करियर पर असर पड़ता है। ऐसा व्यक्ति जिस क्षेत्र में पढ़ाई अर्जित करता है उससे हटकर नौकरी कर सकता है। धन को लेकर भी परेशानी आती है। 

– अष्टम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

सप्तम दृष्टि द्वितीय भाव पर होने से भी धन से जुड़ी परेशानियां आ सकती हैं। ऐसे लोगों को परिवार में भी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं, ऐसे लोगों के गलत निर्णय घर में कलह ला सकते हैं। सामाजिक स्तर पर वाणी पर ध्यान न दिया तो ऐसे लोगों की मानहानि भी होती है। 

– अष्टम भाव से शनि की दशम दृष्टि

दशम दृष्टि पंचम भाव पर होने से प्रेम से जुड़े मामलों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है। बौद्धिक रुप से भी ऐसे लोग कमजोर हो सकते हैं जिससे शिक्षा के क्षेत्र में परेशानियां आती हैं।

शनि नवम भाव में

यदि कुंडली में शनि ग्रह नवम भाव में स्थित है तो व्यक्ति निर्भय होकर आगे बढ़ता है। ऐसे लोग आध्यात्मिक क्षेत्र में अच्छा काम कर सकते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में संपन्नता होती है लेकिन शनि पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव स्थिति को बदल भी सकता है। नवम भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से एकादश भाव, सप्तम दृष्टि से तृतीय भाव और दशम दृष्टि से षष्ठम भाव को प्रभावित करेगा। 

– नवम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

नवें भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से आपके लाभ भाव यानि एकादश भाव को देखेगा जिससे मुनाफा भी घाटे में बदल सकता है। लाभ प्राप्त करने के लिए आपको स्पष्टता अपने व्यवहार में रखनी पड़ेगी। पारिवारिक जीवन में बड़े भाई-बहनों से वैचारिक मेल नहीं हो पाएगा।  

– नवम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

सप्तम दृष्टि तृतीय भाव पर होने से जातक का आत्मबल कमजोर रहेगा जिससे जिन कामों में पारंगत है उनको करने में भी हिचकिचाहट होगी। छोटी सी गलती का भी बड़ा भुगतान करना पड़ सकता है। 

– नवम भाव से शनि की दशम दृष्टि

दशम दृष्टि रोग और शत्रुओं के षष्ठम भाव पर होने से बीमारियां समय-समय पर परेशान कर सकती हैं। शत्रुओं के जाल में भी ऐसे लोग फंस सकते हैं। 

शनि दशम भाव मे

यदि कुंडली में शनि ग्रह दशम भाव में स्थित है तो जातक बहुत ज्यादा ज्ञानी तो नहीं होता लेकिन अपने सीमित ज्ञान से भी अच्छा लाभ कमाता है क्योंकि ऐसे लोगों को भाग्य का साथ मिलता।

शनि पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को परिवार का साथ नहीं मिलता और धन भी बेवजह खर्च होता है। दशम भाव से तृतीय दृष्टि से द्वादश भाव, सप्तम दृष्टि से चतुर्थ भाव और दशम दृष्टि से सप्तम भाव को प्रभावित करेगा। 

– दशम भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

इस भाव में विराजमान शनि तृतीय दृष्टि से द्वादश भाव को प्रभावित करेगा जिससे व्यक्ति को मानसिक चिंताओं से जूझना पड़ता है। ऐसे लोगों को किसी भी तरह का लाभ प्राप्त करने के लिए अत्यधिक मेहनत करनी पड़ती है। विदेशों में जाने का सपना भी अधूरा रह सकता है, कोई न कोई अड़चन अवश्य आती है। 

– दशम भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

सप्तम दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ेगी जिससे सुख-साधन पर खर्चे बढ़ सकते हैं। यदि आपका व्यवहार अच्छा है तो माता के साथ भी संबंध अच्छे रहते हैं। 

– दशम भाव से शनि की दशम दृष्टि

शनि देव की सप्तम भाव पर दशम दृष्टि होगी जिससे वैवाहिक जीवन में कलह हो सकते हैं। ऐसे लोगों को साझेदारी में कोई भी काम करने से पहले बहुत सोच-विचार करना चाहिए। यदि साझेदारी में बिजनेस कर ही रहे हों तो हर फैसले और अपने साझेदार के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। 

शनि एकादश भाव में

यदि कुंडली में शनि ग्रह एकादश भाव में स्थित है तो ऐसा व्यक्ति ईमानदार होता है और सामाजिक कार्यों में भी योगदान देता है, सरकारी पदों पर भी ऐसे लोग जा सकते हैं। यदि शनि पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति लालची हो सकता है और अपने तक सीमित रहता है।

एकादश भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से प्रथम भाव, सप्तम दृष्टि से पंचम भाव और दशम दृष्टि से अष्टम भाव को प्रभावित करेगा। 

– एकादश भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

तृतीय दृष्टि को सबसे बुरा माना जाता है इसलिए प्रथम भाव पर तृतीय दृष्टि से व्यक्ति मानसिक रुप से परेशान रह सकता है। ऐसे लोग खुद पर भरोसा नहीं कर पाते और हमेशा दूसरों से सलाह लेते नजर आते हैं। 

– एकादश भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

11वें भाव से सप्तम दृष्टि पंचम भाव पर पड़ेगी जिससे संतान पक्ष को लेकर परेशानी होगी। यदि आप संतान की देखभाल करते हैं और उनको सही सीख देते हैं तो अच्छे फल भी अवश्य मिलते हैं। प्रेम जीवन में भी उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। 

– एकादश भाव से शनि की दशम दृष्टि

दशम दृष्टि अष्टम भाव पर होने से आपको गुप्त रोग हो सकते हैं। इसके साथ ही बेवजह की चीजों को सीखकर आप अपना समय बर्बाद कर सके हैं।

शनि द्वादश भाव में

यदि कुंडली में यह ग्रह द्वादश भाव में स्थित है तो ऐसे व्यक्ति में क्रोध की अधिकता देखी जाती है। काम से ज्यादा ऐसे लोग आराम करना पसंद करे हैं। हालांकि इस ग्रह की शुभ स्थिति ऐसे लोगों को विदेशों से लाभ प्राप्त करवाती है। द्वादश भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से द्वितीय भाव, सप्तम से षष्ठम भाव और दशम से नवम भाव को प्रभावित करेगा। 

– द्वादश भाव से शनि की तृतीय दृष्टि

बारहवें भाव से शनि ग्रह तृतीय दृष्टि से द्वितीय भाव को देखेगा जोकि परिवार और धन का भाव कहलाता है। से घर-परिवार में दिक्कतें हो सकती हैं। जमीन-जायदाद से जुड़़े मुद्दों को लेकर घर के लोगों से बहस हो सकती है। वाणी पर भी नियंत्रण नहीं रहेगा। 

– द्वादश भाव से शनि की सप्तम दृष्टि

सप्तम दृष्टि षष्ठम भाव पर होगी जिससे स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही आपके कई शत्रु भी हो सकते हैं। बुरी आदतों से दूर रहें तो कई परेशानियां दूर हो जाती हैं।

– द्वादश भाव से शनि की दशम दृष्टि

शनि दशम दृष्टि से नवम भाव को देखेगा जिसके कारण भाग्य का पूरा सहयोग प्राप्त नहीं होगा। हालांकि धार्मिक कार्यों में रुचि रहेगी जिससे मानसिक तनाव से बच सकते हैं। 

इस लेख को पढ़कर आप जान गए होंगे कि शनि की दृष्टियों का क्या असर होता है। किस भाव में बैठकर शनि किन-किन भावों को अपनी दृष्टि से प्रभावित करता है। हालांकि अपनी कुंडली में शनि की स्थिति और प्रभाव को समझने के लिए आपको ज्योतिषीय सलाह अवश्य लेनी चाहिए। 

साथ ही आप पढ़ना पसंद कर सकते हैं रूबी रत्न- ज्योतिषीय लाभ और पहनने का सही तरीका

 84,695 

Share

Recent Posts

  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

6 Zodiac Signs With Unmatched Adventurous Spirits

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

4 Zodiac Signs That Are Masters of Communication

1 week ago
  • English
  • Zodiac Signs

3 Zodiac Signs That Are Unusually Independent

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

5 Zodiac Signs Who Are Fiercely Loyal Friends

1 week ago
  • English
  • Vedic
  • Zodiac Signs

7 Zodiac Signs Known for Their Magnetic Charisma

1 week ago