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षष्ठम भाव-कुंडली के षष्ठम भाव से पता चलती हैं यह महत्वपूर्ण बातें

यूं तो कुंडली के हर भाव की अपनी अलग अहमियत होती है लेकिन षष्ठम भाव को इसलिए भी अहम माना जाता है क्योंकि इससे रोग, प्रतिरोधक क्षमता, शत्रु आदि के बारे में विचार किया जाता है। जिस तरह हम प्रथम भाव को देखकर जातक के स्वास्थ्य के बारे में बता सकते हैं वैसे ही षष्ठम भाव को देखकर हम ज्ञात कर सकते हैं कि जातक को किस तरह के रोग हो सकते हैं और कब हो सकते हैं।

षष्ठेश की महादशा और अंतर्दशा के दौरान व्यक्ति के बीमार पड़ने की संभावना ज्यादा हो जाती है। आईए अब विस्तार से जानते हैं षष्ठम भाव किस तरह व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालता है।  

कुंडली में षष्ठम भाव

षष्ठम भाव को अरि भाव भी कहा जाता है। जैसा कि हम बता चुके हैं इस भाव से रोग, शत्रु आदि के बारे में विचार किया जाता है, इसके साथ ही कर्ज, त्याग, तपस्या आदि के बारे में भी इस भाव से ही विचार किया जाता है।  

कुंडली के षष्ठम भाव के गुण

जिन जातकों की जन्मपत्री में षष्ठम भाव मजबूत अवस्था में होता है उनके जीवन में शांति रहती है। ऐसे लोगों को रोग आसानी से नहीं लगते और शत्रुओं पर भी ऐसे लोग विजय प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग बुरी आदतों के चपेट में भी नहीं आते। इसके साथ ही जीवन मेंं आने वाली हर चुनौती का ऐसे लोग डटकर सामना करते हैं।

यदि इस भाव में कोई क्रूर ग्रह विराजमान हो तो वह इस भाव की नकारात्मकता को कम कर देता है। वहीं इस भाव की स्थिति यदि अच्छी न हो तो व्यक्ति को बीमारियों से जूझना पड़ता है, ऐसे लोग शत्रुओं से भी पराजित हो जाते हैं।

एसे लोग अंधविश्वासी भी होते हैं। पारिवारिक जीवन में भी ऐसे जातकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है और भाई-बहनों से भी मनमुटाव हो सकता है। षष्ठम भाव की स्थिति को सुधारने के लिए ज्यातिषीय परामर्श लेना चाहिए। 

इस भाव से आपके शरीर के अंगों की जानकारी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार षष्ठम भाव से आपकी कमर, पीठ, आंख, शरीर में होने वाली सूजन, मवाद आदि के बारे में पता चलता है। इसके साथ ही पेट और पेट से संबंधी विकारों के बारे में भी इस भाव से विचार किया जाता है। इस भाव की मजबूत स्थिति व्यक्ति को सेहतमंद बना सकती है।

षष्ठम भाव की मजबूती दिलाती है इन क्षेत्रों में सफलता

इस भाव की शुभ स्थिति व्यक्ति को राष्ट्र की रक्षा में समर्पित कर सकती है। ऐसे लोग सेना या पुलिस में करियर बना सकते हैं। इसके साथ ही ऐसे लोग चिकित्सक, लाइब्रेरियन, तकनीकी विशेषज्ञ आदि भी बन सकते हैं। इस्पात क्षेत्र के कंपनियों में भी ऐसे लोगों का भविष्य बन सकता है। यह भाव तपस्या का भाव भी कहलाता है इसलिए ऐसे लोग आध्यात्म या योग के क्षेत्र में भी अपना भविष्य बना सकते हैं।  

यह भी पढ़ें- बुध का मिथुन राशि में गोचर 25 मई 2020, जानें क्या होगा आपके जीवन पर असर

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