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स्वामी विवेकानंद जी की यह बातें असाध्य कार्य को भी साध्य कर देगी

विचारों की कोई आयु नही होती

स्वामी विवेकानंद जी एक महान विचारक,राष्ट्रभक्त संत,और असाधारण महापुरुष थे। वर्ष १९०२ बहुत ही कम उम्र में इनका निधन हुआ था । इस वर्ष उनको लगभग ११८ साल पूर्ण हो गये है। लेकीन आज भी उनके विचार लाखों युवा ओं के लिये एक प्रेरणा के स्रोत स्वरूप ही है। स्वामी जी ने न सिर्फ भारत में राष्ट्रवाद की भावना को बल दिया बल्कि संपूर्ण विश्व को भारतीय संस्कृति के गुणों से पल्लवित किया। स्वामीजी के विचार आज की भारतीय संस्कृती की आदर्श परंपरा का प्रतीक हैं।

विश्व भर में अध्यात्मिकता का प्रसार

सर्व धर्म सम भाव,वसुधैव कुटुम्बकम के विचार से विश्व भर में, भारत के आध्यात्मिक विचारों को सशक्त करने में भी स्वामीजी की बहुत बडी भूमिका रही है। उनका ज्ञान,उनकी शिक्षा, सार्वभौमिक भाईचारे और आत्म-जागृति के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक है। स्वामी विवेकानंद जी जिनके जीवन और विचार से हम सभी को बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आइये इनके विचारो को अपने जीवन का आधार बनाते है।

स्वामी विवेकानंद जी के मूल्यवान विचार

स्वामी विवेकानंद देश और दुनिया को मानवता के कल्याण का मार्ग दिखाने वाले महान विभूतियों में से एक थे। स्वामी जी कहते है कि ,हर व्यक्ति अव्यक्त ब्रह्म हैं। बाहरी और आंतरिक प्रकृति को वशीभूत कर,ब्रह्म के भाव को व्यक्त करना ही मानव जन्म का, और जीवन का मूलउध्देश्य हैं। उनके विचार आज भी वैसे ही बने हुए हैं। उनका मानना है की, जितना बड़ा संघर्ष, जीत उतनी ही शानदार होगी|विचार किसी भी व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा बदल सकते हैं।

खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना। खुद पर विश्वास करना। किसी भी चीज से डरो मत। आप अद्भुत चीजें कर सकते है। जिस पल आप डर जाते हैं, जिस पल आप अपनी ताकत खो देते हैं। तब यह एक बात को ध्यान में रखीये, की दुनिया में सभी दुखों का मूल कारण है। भय सबसे आम गलत धारणा है। भय हमारे दुर्भाग्य का कारण है और निडरता एक पल में स्वर्ग को जन्म दे सकती है।  इसलिए “उठो और तब तक मत रुको जब तक तुम इसे प्राप्त नहीं करते।”

स्वामी विवेकानंद जी की हिंदूत्व की व्याख्या

हम वही हैं, जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं| क्योंकी शब्द गौण हैं, परंतू विचार रहते हैं। वास्तव मे तुम हिंदू कहलाने योग्य तभी बनोगे जब तुम एक पीड़ित हिंदू का दर्द अपने सीने मे महसूस करोगे।

सफलता का राज

बाहर की दुनिया बिल्कुल वैसी है, जैसा कि हम अंदर से सोचते हैं। विचार व्यक्तित्त्व की जननी है, जो आप सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं। हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं। पूरा संसार हमारे अंदर समाया हुआ है,बस जरूरत है चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की।

एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ। एक विचार को अपना लें। उस विचार को अपना जीवन बना लें। उसके बारे में सोचें, उसका सपना देखें, केवल उसी विचार पर जिएं। मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, आपके शरीर के प्रत्येक भाग को, उस विचार से परिपूर्ण होने दें, और बस हर दूसरे विचार को छोड़ दें। यही सफलता का रास्ता है। उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए

हमारी मानसिकता ही दुनिया का निर्माण करती है। विचार चीज़ों को अच्छा बनाते हैं और बुरा भी वही बनाते हैं। पूरा विश्व हमारे मस्तिष्क में है बस हमें रौशनी की ज़रूरत है। स्वतंत्र होने का साहस करो। जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो, और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो।

बहुत बडा ज्ञान थोड़े शब्दों में व्यक्त करना एक महत्त्वपूर्ण कला है।आप जैसे विचार करेंगे वैसे आप हो जाएंगे। अगर अपने आप को निर्बल मानेंगे तो आप निर्बल बन जाएंगे और यदि जो आप खुद को समर्थ मानेंगे तो आप समर्थ बन जाएंगे।

यह भी पढिये – जीवन को यदि सुखी करना है तो यह जरूर पढिये

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