हिंदू कैलेंडर के अनुसार चंद्रमा एक महीने में विभिन्न चरणों से गुजरता है, इसलिए हिंदू कैलेंडर में महीनों की गणना चंद्रमा की कलाओं के अनुसार की जाती है। चंद्रमा के चरण महीने को दो भागों में विभाजित करते हैं, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। दोनों पक्षों में प्रत्येक पंद्रह दिन होते हैं। हर काल के अंत में चंद्रमा या तो पूरी तरह से दिखाई देता है, जिसे पूर्णिमा कहा जाता है या बिल्कुल छिप जाता है, जिसे अमावस्या कहते है। पूर्णिमा और अमावस्या के बीच की अवधि को कृष्ण पक्ष और अमावस्या और पूर्णिमा के बीच के पंद्रह दिनों को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। इस लेख से जानें 2023 में कब है अमावस्या और कैसे रखें अमावस्या व्रत।
“अमा” और “वस्या” शब्द एक साथ रहने का संकेत देते हैं। साथ ही अमावस्या चंद्रमा की सबसे अंधेरी रात होती है, इसलिए कई लोग इस दिन कुछ भी नया शुरू करना अशुभ मानते हैं। लेकिन अमावस्या को तर्पण, व्रत और पितृ पूजन के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन लोग भगवान विष्णु की भी पूजा करते हैं। शास्त्रों में कहा जाता है कि यह दिन सबसे काला होता है, क्योंकि इस दिन आकाश में चांद दिखाई नहीं देता। यही कारण है कि लोग अमावस्या के दिन नियोजित गर्भधारण, गृह प्रवेश, भूमि या संपत्ति की खरीदारी, आभूषण की खरीदारी, महत्वपूर्ण यात्राएं, नामकरण संस्कार और प्रमुख व्यावसायिक लेनदेन आदि शुभ काम नहीं करते है।
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तिथि | अमावस्या व्रत 2023 | अमावस्या समय |
21 जनवरी 2023, रविवार | माघ अमावस्या | 21 जनवरी सुबह 06:17 से 22 जनवरी रात 02:22 तक |
20 फरवरी 2023,सोमवार | फाल्गुन अमावस्या | 19 फरवरी दोपहर 04:18 से 20 फरवरी दोपहर 12:35 तक |
21 मार्च 2023, मंगलवार | चैत्र अमावस्या | 21 मार्च रात 01:47 से 21 मार्च रात 10:52 तक |
20 अप्रैल 2023, गुरुवार | वैशाख अमावस्या | 10 अप्रैल सुबह 11: 23 से 20 अप्रैल सुबह 09:41 तक |
19 मई 2023, शुक्रवार | ज्येष्ठ अमावस्या | 18 मई रात 09:42 से 19 मई रात 09:22 तक |
18 जून 2023, रविवार | आषाढ़ अमावस्या | 17 जून सुबह 09:11 से 18 जून सुबह 10:06 तक |
17 जुलाई 2023, सोमवार | श्रावण अमावस्या | 16 जुलाई रात 10:08 से 18 जुलाई रात 12:01 तक |
16 अगस्त 2023, बुधवार | श्रावण अधिक अमावस्या | 15 अगस्त रात 12:42 से 16 अगस्त दोपहर 03:07 तक |
14 सितंबर 2023, गुरुवार | भाद्रपद अमावस्या | 14 सितंबर सुबह 04:48 से 15 सितंबर सुबह 07:09 तक |
14 अक्टूबर 2023, शनिवार | अश्विनी अमावस्या | 13 अक्टूबर रात 09:50 से 14 अक्टूबर रात 11:24 तक |
13 नवंबर 2023, सोमवार | कार्तिक अमावस्या | 12 नवंबर दोपहर 02:44 से 13 नवंबर दोपहर 02:56 तक |
12 दिसंबर 2023, मंगलवार | मार्गशीर्ष अमावस्या | 12 दिसंबर सुबह 06:24 से 13 दिसंबर सुबह 05:01 तक |
हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष धार्मिक महत्व होता है, क्योंकि इस दिन लोग अपने पूर्वजों और मृत परिवार के सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी पूजा और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते है। अधिकांश लोगों द्वारा अमावस्या के दिन को बेहद अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जिस भी व्यक्ति में पहले से ही मानसिक अस्थिरता है, अमावस्या के दिन वह और अधिक अस्थिर हो जाएगा। इस दिन चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण सब कुछ उसकी ओर खिंचा चला आता है और इस दिन पृथ्वी की बुरी शक्तियों को सबसे मजबूत माना जाता है।
अगर अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है, तो उसे और भी अधिक महत्व दिया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत आदि का पालन करने से महिलाएं गर्भवती होती हैं। साथ ही सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या का व्रत करने से भी व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। अमावस्या व्रत करने के लिए उसकी तिथि का पता होना बेहद आवश्यक होता है, इसके लिए आप ऊपर बताई गयी अमावस्या 2023 की तिथियों और समय को देख सकते है और उसके अनुसार व्रत रख सकते है। साथ ही यह व्रत व्यक्ति को सभी प्रकार के दुर्भाग्य और बुरी नजर से बचाने के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
इसके साथ ही यह किसी भी नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव को कम करने में भी अद्भुत काम करता है। साथ ही अमावस्या का व्रत अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर हो सके, तो इस दिन अपने पितरों के निमित्त खाने-पीने की चीजों का दान करना चाहिए। अगर आप पितृ पूजा करना चाहते है, तो उसके लिए यह तिथि शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन पितर धरती पर लौटते हैं और ऐसी स्थिति में उनके लिए भोजन की व्यवस्था अवश्य करनी चाहिए।
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जो कोई भी जातक अमावस्या का व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही अमावस्या का व्रत विधि-विधान से करने पर व्यक्ति की कुंडली में पाए जाने वाले कालसर्प दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होने लगते हैं। वहीं कई वैज्ञानिक मानते हैं कि अमावस्या का दिन तब होता है, जब पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण सबसे मजबूत होता है। इस स्थिति में व्रत करने से जातक के शरीर को विशेष लाभ होता है। साथ ही यह व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर होने लगते हैं। इसके अलावा, लोगों के जीवन में पर्याप्त धन और सुख भी आता है।
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अमावस्या को कई लोग अशुभ मानते हैं, क्योंकि इस दिन पर राहु ग्रह का शासन होता है। साथ ही अमावस्या इस स्थिति में चंद्रमा की न्यूनतम रोशनी से मेल खाती है। वहीं राहु इस परिदृश्य में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और जातक के दिमाग को कमजोर करता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में परेशानी भी पैदा करता है।
माना जाता है कि इस दिन राहु अधिक शक्तिशाली होता है और चंद्रमा का बल काफी कमजोर पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जातक केवल अच्छे कर्म ही करें, जिससे व्यक्ति का पुनर्जन्म हो सके। अक्सर यह देखा गया है कि इस दिन राहु ग्रह के प्रभाव के कारण, लोगों को अक्सर ऐसे कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता है, जो वे आमतौर पर नहीं करना चाहते हैं या जो उनके जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में इन चीजों से दूर रहना बेहद जरूरी है।
जातक की जन्म कुंडली में सूर्य और चंद्रमा एक साथ होना अमावस्या दोष बनाता है। सूर्य के प्रभाव में, चंद्रमा कमजोर हो जाता है और अमावस्या के दौरान भी कमजोर ही रहता है। इसके कारण चंद्रमा का अनुकूल प्रभाव पड़ना बंद हो जाता है। ऐसी स्थिति में अमावस्या दोष का अनुभव करने वाले लोगों के जीवन में बहुत कठिन समय आता है।
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