आज के समय में वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व हैं। वही ज्यादातर व्यक्ति वास्तु शास्त्र के अनुसार ही घर बनवाते हैं। बता दें कि वास्तु शास्त्र के अनुसार, वॉल कलर थेरेपी हमारे शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने, चिंता और नकातारात्मक ऊर्जा को कम करने में एक अहम भूमिका निभाती हैं। रंग विभिन्न स्थानों में ऊर्जा लाने में मदद करते है और घर के रंग परिवार के सदस्यों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के रंगों का महत्व हमारे जीवन में होता हैं। हर रंग किसी न किसी प्रकार से जातक के मन को प्रभावित करता हैं।
वास्तु विशेषज्ञ आपके घर के प्रत्येक स्थान की ऊर्जा आवश्यकता के अनुसार रंग चुनने की सलाह देते हैं। आप अपने घर के किसी विशिष्ट क्षेत्र के लिए जो रंग चुनते हैं वह दिशा और कमरों पर निर्भर करता है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह बनाए रखने और घर के बाहरी हिस्से के लिए वास्तु रंगों के अनुसार अशुभ संकेतों को दूर करने में बुद्धिमानी से रंग चुनने से आपको बहुत लाभ हो सकता है। तो चलिए जानते है वास्तु शास्त्र के अनुसार रंगों का क्या महत्व है और घर के लिए कलर टिप्स –
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नीला रंग सुंदरता से संबंधित होता है और घर के बाहरी हिस्से के लिए वास्तु रंगों के अनुसार यह बड़े क्षेत्रों के लिए सुखदायक रंग हो सकता है। हल्का नीले रंग आपके घर के लिए एक अच्छा विकल्प है। यह दिव्य ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करेगा और आपके दोस्तों को हमेशा आपके साथ रखेगा।
अपने जीवन में सकारात्मकता कौन नहीं चाहता? घर के बाहरी हिस्से के लिए वास्तु रंगों के अनुसार घर के लिए कलर टिप्स में पीला रंग घर में रहने वाले लोगों के जीवन में ढेर सारी सकारात्मकता और खुशियां लाता है। यह शक्ति का रंग है, इसलिए पदोन्नति पाने के लिए लोगों को अपने घर में सफलता और धन के रूप मे पीला रंग करना चाहिए।
हरा रंग विश्राम, प्रकृति और विकास का प्रतिनिधित्व करता है। घर के बाहरी हिस्से के लिए वास्तु रंगों के अनुसार हरा रंग आपके घर में सकारात्मकता लाने में मदद करेगा और आपके द्वारा चुने गए किसी भी अन्य रंग की तुलना में साफ दिखेगा।
किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो आपके घर या कार्यालय में बहस से बचना चाहता है, घर के बाहरी हिस्से को सफेद रंग में रंगना सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि घर के बाहरी हिस्से के लिए वास्तु रंग हैं।
यदि आप घर की बाहरी दीवारों के लिए सबसे अच्छे वास्तु रंगों में से एक चुनते हैं, तो संतरी रंग निराश नहीं करेगा। इससे आपके जीवन से खुशिया आएगी।
घर के बाहरी हिस्से के लिए वास्तु रंगों के अनुसार, बैंगनी रंग समृद्धि और गरिमा का संकेत देता है। यह रंग आपके लिए काफी अच्छा हो सकता है।
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अगर आप चाहते हैं कि आपका घर आराम और शांति से भरा रहे तो ब्राउन बेज कलर के साथ जाना आपके लिए बेस्ट ऑप्शन रहेगा।
गुलाबी एक घर का रंग है जो प्यार के लिए एक शुभ रंग है। वास्तु के अनुसार आपको अपने घर की बाहरी दीवारों पर गुलाबी रंग के हल्के शेड का प्रयोग करना चाहिए।
बैठक कक्ष , मेहमान का कमरा या स्वागत कक्ष हमारे घर का बहुत ही महत्त्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। यह वह स्थान होता है, जहां घर के सभी सदस्य एक साथ बैठते है और मेहमान भी जब घर में आते है तो सबसे पहले इसी कमरे में उनका स्वागत किया जाता है। बैठक कक्ष में ऐसे रंगों का प्रयोग करे जो आपके घर में चार चांद लगा दे।
बता दें कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के लिए कलर बैठक कक्ष में सफेद, गुलाबी, पीला, क्रीम या हल्का भूरा रंग तथा हल्का नीला का प्रयोग करना चाहिए । इन रंगों को बैठक कक्ष के लिए शुभ माना जाता हैं।
वास्तु रंगों के अनुसार शयन कक्ष की दीवारों पर गहरे रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जो आंखों को चुभने है। इस कक्ष में हल्के रंगों का का प्रयोग करना चाहिए, जो आपके मन को शांति व सौम्यता प्रदान करने वाला करेगे।
शयन कक्ष की दीवारों पर हल्का गुलाबी,आसमानी, हल्का हरा तथा क्रीम रंग का प्रयोग करना चाहिए।
साथ ही भोजन करने वाले कमरा का बहुत ही महत्त्व होता है क्योकि यह वह स्थान होता है, जहां घर का प्रत्येक सदस्य बैठकर एक साथ भोजन करते है। वहीं भोजन के दौरान कई बार बहुत ही महत्त्वपूर्ण निर्णय भी लिए जाते हैं। बता दें कि इस स्थान पर वैसे रंग का प्रयोग करना चाहिए, जो घर के सभी सदस्यों को जोड़ने तथा कोई भी निर्णय लेने में सहायक होता हो।
वहीं भोजन के कमरा में , गुलाबी, हल्का हरा, आसमानी या पीला रंग शुभ फल देता है।
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बता दें कि वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई घर को दक्षिण पूर्व दिशा जिसे आग्नेय कोण भी कहा जाता है में बनाना चाहिए। इस दिशा का स्वामी शुक्र ग्रह है तथा देवता अग्नि ( आग ) है। अपने रसोईघर में सकारत्मक ऊर्जा के लिए हमें शुक्र ग्रह से सम्बन्धित रंग का प्रयोग करना चाहिए, यह इसके लिए शुभ होता हैं।
रसोईघर के लिए सबसे शुभ रंग सफेद अथवा क्रीम माना जाता हैं। यदि रसोईघर में वास्तु दोष है तो रसोईघर के आग्नेय कोण में लाल रंग का भी प्रयोग किया जा सकता हैं।
वास्तु के अनुसार एक घर में पूर्व तथा दक्षिण पश्चिम दिशा अध्ययन कक्ष के लिए सबसे अच्छी जगह होती है। अध्ययन कक्ष के लिए हलके रंगों का ही प्रयोग करना बेहतर होता है।
अध्ययन कक्ष के लिए क्रीम कलर, हल्का जामुनी, आसमानी या पीला रंग, हल्का हरा या गुलाबी, का प्रयोग करना अच्छा माना जाता हैं।
स्नानघर एवं शौचालय में सफेद, गुलाबी , हल्का पीला या हल्का आसमानी रंग, का प्रयोग करने से मन को शांति मिलती हैं।
हमारी छत प्रकाश को परावर्तित कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का काम करती हैं, इसलिए इस स्थान पर ऐसे रंगों का प्रयोग करना चाहिए, जो परावर्तन में सहायक हो। काफी बार हम शुकून पाने के लिए अकेले छत पर जाते हैं। छत के लिए सबसे उपयुक्त रंग है सफेद अथवा क्रीम माना जाता हैं।
बता दें कि वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर को ईशान कोण में बनाया जाना चाहिए। यह वह स्थान होता है जहां बैठकर हम सब भगवान को याद करते है, और साधना के माध्यम से अपने मन की शांति तथा इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते है। इसलिए यहां पर ऐसे रंग का प्रयोग करना चाहिए जो हमें एकाग्रता प्रदान करे।
पूजा घर में गहरे अथवा विभिन्न प्रकार के अलग-अलग रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योकि वह मन को भ्रमित करने का काम करते हैं। शांति और एकाग्रता का प्रतीक सफेद, हल्के नीले या पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए। इस जगह के लिए नारंगी रंग को शुभ माना जाता हैं।
वास्तु शास्त्र में घर के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान कहते हैं, ऐसा माना जाता है कि यह ब्रह्म का निवास स्थान होता है इस स्थान में गहरे या भड़कीले भूरा, लाल, पीला, या हरा इन रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
इस स्थान पर कभी अन्धेरा नहीं होना चाहिए। उजाला करने के लिए सफेद या हल्के रंगों का प्रयोग करना उचित होता है।
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