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जानें क्यों शुभ होता है माथे पर तिलक लगाना और क्या हैं इसके ज्योतिषीय फायदे

हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह माथे पर लगाया जाने वाला एक छोटा-सा चिह्न होता है, जो कि पूजा अथवा अन्य धार्मिक अवसरों पर लगाया जाता है। तिलक लगाने का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि धार्मिक अवसरों पर सभी लोगों को पहचान मिल जाए कि वे एक धर्म का हिस्सा हैं। यह इस बात का भी संकेत होता है कि व्यक्ति किसी एक धर्म का अनुयायी है और उसके अनुसार जीवन जीना चाहता है।

इसके अलावा, तिलक लगाने का अर्थ यह भी होता है कि व्यक्ति उस धर्म के देवताओं और उनकी कृपा पर विश्वास रखता है। साथ ही तिलक जातक के लिए भगवान की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है। इसलिए हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाना एक अहम रीति है, जो धार्मिक और सामाजिक दोनों तरह से महत्वपूर्ण माना जाता हैं।

माथे पर तिलक लगाने का आध्यात्मिक महत्व

हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं इसका आध्यात्मिक अर्थ बहुत गहरा होता है, जिसे समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हिंदू धर्म में तिलक लगाना शुभ माना जाता है और यह व्यक्ति को दिव्यता और आध्यात्मिकता का अनुभव कराता हैं। यह एक रूप होता है, जिससे व्यक्ति अपनी आत्मा को बाहरी दुनिया से अलग करके भगवान की अधिकारिता को स्पष्ट करता है।

तिलक में उपयोग किये जाने वाले रंगों का भी अपना महत्व होता है, जैसे- श्रीवत्स या भगवान विष्णु के चक्र के चिह्न का लाल या केसरिया रंग तिलक में उपयोग किया जाता है। वहीं शिव जी के तिलक में भस्म उपयोग किया जाता है। कुछ जातियों में गोरोचन, केसर या नीले रंग का तिलक भी लगाया जाता है। संक्षिप्त में, हिंदू धर्म में तिलक लगाना भगवान की अधिकारिता का एक प्रतीक होता है, जो व्यक्ति को आध्यात्मिक और भगवान के निकटता का अनुभव कराता है।

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माथे पर लगाएं जानें वाले तिलक के प्रकार

हिंदू धर्म में तिलक कई प्रकार के होते हैं। यह धार्मिक उत्सव, संस्कार और धार्मिक अवसरों पर लगाये जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख तिलक के बारे में निम्नलिखित हैं:

  • श्रीवत्स: यह तिलक भगवान विष्णु भक्तों द्वारा लगाया जाता है। इस तिलक में चौदह वर्णों का आकार होता है और इसे जल से बनाया जाता है।
  • उपवीत: यह ब्राह्मण वर्ण के लोगों के द्वारा धारण किया जाता है। इस तिलक के अंतर्धान से पहले इसका अनुष्ठान किया जाता है और इसे उन्नत परंपराओं में सदाचार का प्रतीक माना जाता है।
  • गोपीचंदन: यह तिलक भगवान कृष्ण भक्तों द्वारा लगाया जाता है। इस तिलक का आकार चार समान ध्रुवों के बीच बनता है और इसे चंदन से बनाया जाता है।
  • कुमकुम: यह तिलक देवी भक्तों द्वारा लगाया जाता है। इस तिलक का आकार त्रिकोण होता है और इसे कुमकुम से बनाया जाता है।
  • अष्टगंध: यह तिलक भगवान शिव भक्तों द्वारा लगाया जाता है। इसमें आठ विभिन्न प्रकार के गंधों का उपयोग किया जाता है। इन गंधों में चंदन, केसर, हल्दी, घी, दुग्ध, गोबर, जटामासी और बिल्वपत्र होते हैं। इस तिलक को तीन उंगलियों की लंबाई में व विस्तृतता के साथ लगाया जाता है।
  • ऊर्ध्व पुंड्रः यह तिलक भगवान शिव भक्तों द्वारा लगाया जाता है। इस तिलक का आकार त्रिपुंड होता है, जो भूमि पर स्थानित होता है। इस तिलक को भारत के कुछ राज्यों में शिवलिंग के ऊपर भी लगाया जाता है।
  • त्रिपुंडः यह तिलक भगवान शिव भक्तों द्वारा लगाया जाता है। इस तिलक का आकार तीन उंगलियों की लंबाई में होता है और इसे भस्म से बनाया जाता है।

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तिलक बनाने में होता है इन चीजों का उपयोग

हिंदू धर्म में तिलक बनाने के लिए विभिन्न सामग्री का उपयोग किया जाता है, जैसे:

  • चंदन: इस सामग्री का उपयोग सबसे अधिक तिलक में किया जाता है और यह शांति व सुख प्रदान करता है।
  • कुमकुम: यह लाल रंग का पाउडर होता है और देवी पूजा के दौरान इसका उपयोग होता है। साथ ही तिलक में भी इसका उपयोग किया जाता हैं।
  • हल्दी: हल्दी का प्रयोग उत्सव और पूजाओं के दौरान किया जाता हैं।
  • अखिल: अखिल एक प्रकार का रंग होता है, जो होली जैसे उत्सव में उपयोग किया जाता है और तिलक में भी इसका उपयोग होता हैं।
  • अष्टगंध: यह एक प्रकार का चूर्ण होता है, जो शिव भक्तों द्वारा तिलक लगाने के लिए प्रयोग में लिया जाता है।

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माथे पर तिलक लगाने से जातक के जीवन पर प्रभाव

व्यक्तित्व पर प्रभाव

हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाना धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है और इसका व्यक्तित्व पर भी असर पड़ता है। यह तिलक व्यक्ति के स्वभाव और व्यक्तित्व को दर्शाता है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए, तिलक लगाने से व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से संतुष्ट रहता है। इसके अलावा, तिलक लगाने से व्यक्ति की मानसिक ताकत बढ़ती है और उसे आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।

व्यक्तित्व के पक्ष से देखा जाए, तो तिलक व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान बढ़ाता है। इसके अलावा, तिलक लगाने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और उन्हें अपने विचारों और धार्मिक मूल्यों के लिए खड़े होने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक और व्यक्तित्व विकास का माध्यम होता है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

शास्त्रों में उल्लेख किए गए विभिन्न चिन्हों और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार तिलक आध्यात्मिक, सामाजिक और शारीरिक लाभ देता हैं। माथे पर तिलक लगाने से आंतरिक शांति और स्थिरता मिलती है। यह मान्यता है कि तिलक लगाने से मस्तिष्क की सुध बढ़ती है और मन शांत होता है। इससे व्यक्ति को मानसिक तनाव से राहत मिलती है और उसकी आवाज़ भी मधुर बनती है।

इसके अलावा, तिलक में उपयोग किए जाने वाले धातु या घने पदार्थों के कारण जातक की त्वचा संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं। इससे त्वचा सुगठित रहती है और निखरती है। अंततः, यह भी मान्यता है कि माथे पर तिलक लगाने से जातक को धार्मिक और आध्यात्मिक उत्साह मिलता है और वह अपने जीवन के कार्यों में अधिक सक्रिय होता है।

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जातक की ग्रह दशा पर प्रभाव

हिंदू ज्योतिष में माथे पर तिलक लगाने का गहरा महत्व है। जन्म कुंडली में नौ ग्रह होते हैं और इन ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। माथे पर तिलक लगाने से जातक के ग्रहों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं:

  • सूर्य ग्रह: माथे पर सूर्य ग्रह का तिलक लगाने से जातक को आत्मविश्वास, सम्मान और नेतृत्व की क्षमता मिलती है।
  • चंद्रमा ग्रह: माथे पर चंद्र ग्रह का तिलक लगाने से जातक को शांति, संतोष और धैर्य की क्षमता मिलती है।
  • मंगल ग्रह: माथे पर मंगल ग्रह का तिलक लगाने से जातक को साहस, उत्साह और सम्मान की क्षमता मिलती है।
  • बुध ग्रह: माथे पर बुध ग्रह का तिलक लगाने से जातक को बुद्धि, बुद्धिमानी और उच्च स्तर का ज्ञान मिलता है।
  • गुरु ग्रह: माथे पर गुरु ग्रह का तिलक लगाने से जातक को विद्या, ज्ञान, उच्च दर्जे की सफलता मिलती है।
  • शुक्र ग्रह: माथे पर शुक्र ग्रह का तिलक लगाने से जातक को सुंदरता, समृद्धि, प्रेम और वैभव मिलता है। इसके अलावा, यह तिलक समाज में आकर्षण बढ़ाने में भी मदद करता है।
  • शनि ग्रहः माथे पर शनि ग्रह का तिलक लगाने से जातक को संघर्ष, परिश्रम, धैर्य और अधिकार मिलता है। इसके अलावा, यह तिलक उस व्यक्ति के लिए भी लाभदायक होता है, जो शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हो रहा हो। शनि ग्रह का तिलक काले रंग का होता है।
  • राहु और केतुः राहु और केतु ग्रहों का तिलक अनिश्चितता, उनिष्टता और अनिश्चयपूर्णता के लिए जाना जाता है। यह तिलक नकारात्मक विचार और भ्रमों से मुक्ति के लिए संदेश देता है। इसे लगाने से जातक के जीवन में स्थिरता और निरंतरता के लिए संकेत मिलता है।

मन पर प्रभाव

तिलक लगाने से मन पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है। धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो माथे पर तिलक लगाने से मन में शांति और संतुलन की अनुभूति होती है। यह मान्यता है कि तिलक लगाने से मन की भावनाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वैदिक ज्योतिष में माथे पर तिलक लगाना अहम माना जाता है। साथ ही तिलक लगाने से ज्योतिष दृष्टि से मन को धार्मिक और सकारात्मक बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा, तिलक लगाने से शरीर के चक्रों में ऊर्जा का संचार होता है, जो मन को शांति और सुखद अनुभव देता है।

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इंद्रियों पर प्रभाव

तिलक लगाने का धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थ होता है। लेकिन कुछ लोग इसे भोगविलास और अधिक आकर्षक बनाने के लिए भी लगाते हैं। इसलिए आमतौर पर इसका इंद्रियों पर ज्यादा प्रभाव नहीं होता है। फिर भी कुछ लोग इसे इंद्रियों को शांत करने का एक तरीका मानते हैं। उन्हें लगता है कि माथे पर तिलक लगाने से अन्य लोग उन्हें आकर्षित करने के लिए अधिक प्रवर्तित होते हैं और वे अपनी इच्छाओं को पूरा करने में सफल हो सकते हैं।

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देवताओं द्वारा लगाएं जाने वाले तिलक का महत्व

भगवान शिव

भगवान शिव का तिलक त्रिशूल, चंदन और रक्त के तीन बिंदुओं से बनता है। यह तिलक अस्थिरता को दर्शाता है, जो समाज में स्थिरता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

त्रिशूल के बिंदु स्वतंत्रता को दर्शाते हैं, चंदन के बिंदु संयम को दर्शाते हैं और रक्त के बिंदु अनुशासन को दर्शाते हैं। इस तरह, भगवान शिव के तिलक का अर्थ है कि जातक को स्वतंत्र रूप से अपनी संयमित शक्ति का उपयोग करते हुए अपनी जिम्मेदारियों को सम्मान और अनुशासन के साथ निभाना चाहिए।

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भगवान विष्णु

भगवान विष्णु के तिलक को शंख, चक्र और गदा के तीन बिंदुओं से बनाया जाता है। यह तिलक विशेष रूप से वैष्णव समुदाय के लोगों द्वारा लगाया जाता है।

शंख का बिंदु शक्ति को दर्शाता है, जो भगवान विष्णु की शक्ति है जो सृष्टि की समस्त प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती है। चक्र का बिंदु ज्ञान को दर्शाता है और इसे भगवान विष्णु की ज्ञान शक्ति के रूप में जाना जाता है, जो सभी जीवों के लिए उपलब्ध होती है। गदा का बिंदु धर्म को दर्शाता है, जो भगवान विष्णु की धर्म शक्ति है, जो अन्य लोगों के साथ ईश्वर की इच्छा का अनुसरण करती है।

इस तरह, भगवान विष्णु के तिलक का अर्थ है कि जातक को अपनी शक्ति, ज्ञान और धर्म के साथ समस्त प्रकार की जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए। यह तिलक अस्थिरता और स्थिरता के संतुलन को दर्शाता है और समस्त जीवों के बीच शांति और सहयोग को प्रोत्साहित करता है।

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भगवान ब्रह्मा

हिंदू धर्म में भगवान ब्रह्मा के तिलक का अर्थ है ज्ञान और विद्या की प्राप्ति। भगवान ब्रह्मा को संसार के सृजन का कार्य दिया गया है और उन्होंने अपनी अद्भुत ज्ञान शक्ति का उपयोग करके इस सृजन का कार्य पूरा किया। इसलिए भगवान ब्रह्मा का तिलक विद्या और ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक प्रतीक माना जाता हैं।

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