होली, भारत के सबसे प्रतीक्षित त्यौहारों में से एक है, जो रंगों, भाईचारे, शांति और समृद्धि का उत्सव माना जाता है। हिंदू त्यौहार के रुप में, होली, सभी सामाजिक-आर्थिक और धार्मिक बाधाओं को पार करता है और सभी लोगों को एक साथ लाता है। इसीलिए, इसे वसंत उत्सव के रूप में भी जाना जाता है।
हिंदू कैलेंडर 2023 के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को होली का उत्सव बड़े ही जोर-शोर से मनाया जाता है। यदि प्रतिपदा दो दिन पड़ रही हो, तो पहले दिन को धुलंडी (वसंतोत्सव या होली) का दिन माना जाता है। चलिए जानते है कि होली 2023 तिथि (Holi 2023) और ज्योतिष अनुसार यह भी जानें की कौन-सा रंग आपके लिए शुभ रहेगा।
होली को रंगों से प्रेरणा लेकर, इसे वसंत ऋतु के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है। चाहे होलिका दहन हो या बड़ी होली, यह त्यौहार धूम-धाम से मानाने के लिए प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को धुलंडी के नाम से भी जाना जाता है, जो हरियाणा राज्य में लोकप्रिय नाम है और हिंदू पौराणिक कथाओं में यह सबसे प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक है।
रंगों का यह त्यौहार न केवल भारत देश में बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, यह मस्ती और आनंद का त्यौहार है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं, सभी गिले-शिकवे भुलाकर प्यार और भाईचारे के रंग में रंग जाते हैं। यही नहीं, पकवान खिलाकर आपस में प्यार बांटते हैं। इसीलिए, आपसी मतभेद दूर करने के लिए यह सबसे उत्तम पर्व माना जाता है। साथ ही कई जगहों पर संगीत का भी आयोजन किया जाता है।
प्राचीन कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि होली उत्सव का पहला दिन भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की होलिका पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन और भक्त प्रह्लाद की बुआ थी। इस दिन होलिका की चिता को जलाया जाता है। अगले दिन रंग और गुलाल के साथ विशेष पकवानों का लुत्फ उठाया जाता है। होली पर इन परंपराओं का सबसे ज्यादा महत्व होता है।
होली के त्यौहार के पीछे हिरण्यकश्यप-प्रह्लाद की कहानी, राधा-कृष्ण की कहानी और राक्षसी धुंडी की कहानी जैसी कई कथाएं हैं। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली से एक दिन पहले उचित अलाव के साथ होलिका दहन किया जाता है। यह हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के वध का जश्न होता है। अलाव उस आग का प्रतीक है, जिसमें होलिका (हिरण्यकश्यप की बहन) ने प्रह्लाद को मारने की कोशिश करते हुए खुद को जला लिया।
रंगवाली होली भगवान कृष्ण और राधा के अमर प्रेम की याद में भी मनाई जाती है। एक बार भगवान कृष्ण ने माता यशोदा से पूछा कि वह राधा जी की तरह गोरे क्यों नहीं हैं। माता यशोदा ने मजाक में भगवान कृष्ण को राधा जी के चेहरे पर रंग लगाने का सुझाव दिया, क्योंकि इससे उनका रंग भी काला हो जाएगा। फिर भगवान कृष्ण, राधा जी और गोपियों के साथ विभिन्न रंगों से खेले। तभी से इस दिन को रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। ओग्रेस (महिला राक्षस) धुंडी की कथा कहती है कि उसे भगवान शिव के श्राप के कारण पृथु के लोगों द्वारा पीछा किया गया था।
इसी के साथ होली हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन (फाल्गुन पूर्णिमा) महीने की अंतिम पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। बता दें कि होली 2023 में, 8 मार्च 2023, यानी मंगलवार के दिन देशभर में धूम-धाम से मनाई जाएगी।
होली उत्सव | तारीख | स्थान |
लड्डूमार होली | 1 मार्च, 2023 | बरसाना |
लट्ठमार होली | 2 मार्च, 2023 | बरसाना |
लट्ठमार होली | 3 मार्च, 2023 | नंदगाव |
फूलवाली होली | 5 मार्च, 2023 | वृन्दावन और मथुरा |
छड़ी मार होली | 6 मार्च, 2023 | गोकुल |
विधवा होली | 7 मार्च, 2023 | वृन्दावन |
होलिका दहन | 7 मार्च, 2023 | मथुरा |
धुलैंडी | 8 मार्च, 2023 | मथुरा |
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मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में रंगपंचमी होली के 5वें दिन के बाद मनाई जाती है। इसे होली से भी ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है। रंग पंचमी पर महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में लोग सूखे रंगों से खेलते हैं। रंगों का यह त्यौहार जाति, वर्ग या लिंग की परवाह किए बिना एकता और प्रेम का प्रतीक माना जात है। इलाहाबाद में, यह त्यौहार दो दिनों के लिए होता है। पहले दिन आम जनता रंग खेलती है और दूसरे दिन व्यापारी मंडल (व्यापारी) इलाहाबाद की सड़कों पर होली खेलते हैं। अगले दिन सड़कों पर फटे कपड़े और रंग उनके होली मनाने के अपार उत्साह का प्रमाण हैं। हर साल की तरह होली 2023 को भी धूम-धाम से मनाया जाएगा।
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होली के दिन लोग विशेष रूप से एक दूसरे के यहाँ इस अवसर पर पकाए गए स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का स्वाद लेने के लिए जाते हैं। इसके अलावा, परिवारों की महिलाएं वास्तविक उत्सव से 10-15 दिन पहले होली के लिए नाश्ता तैयार करना शुरू कर देती हैं। इस प्रकार, यहां उन खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है, जो होली पर एक प्रमुख आकर्षण हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, होली के त्यौहार के दौरान सूर्य और चंद्रमा आकाश में एक दूसरे के विपरीत छोर पर होते हैं। जिस स्थान पर चन्द्रमा सिंह और कन्या राशि में स्थित हो वह स्थान शुभ होता है। जबकि सूर्य मीन और कुंभ राशि में स्थित है। राहु प्राय: धनु राशि में गोचर करता है। साथ ही वास्तु विशेषज्ञ इसे वास्तु पूजा करने के लिए बहुत ही शुभ दिन मानते हैं। होलिका दहन और धुलेंडी यानी होली के दिन अपने घर, संपत्ति और वाहन की वास्तु पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद कर सकता है। खास बात यह है कि इस दिन लोग पवन देवता की पूजा करने के लिए पतंग भी उड़ाते हैं।
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इन दोनों राशियों का स्वामी मंगल ग्रह है और ज्योतिष अनुसार मंगल ग्रह लाल रंग का प्रतीक होता है। इसीलिए इन दोनों राशियों को होली खेलते समय लाल, गुलाबी या इससे मिलते-जुलते रंगो गुलाल का इस्तेमाल करना चाहिए।
इन राशियों का स्वामी शुक्र ग्रह है और शुक्र ग्रह सफेद, गुलाबी रंग का प्रतिनिधित्व करता है। और सफेद रंग से होली खेलना संभव नहीं है। इसीलिए आप सिल्वर और गुलाबी रंग से होली खेल सकते हैं।
इन राशियों का स्वामी ग्रह बुध है और यह ग्रह हरे रंग का प्रतिनिधित्व करता है। माना जाता है कि हरे रंग का उपयोग करना जातक के लिए सुखदाई होता है। होली के दिन इस राशि के जातक पीले, नारंगी और हल्के गुलाबी रंग से भी होली खेल सकते हैं।
इन राशियों का स्वामी शनि ग्रह है और शनिदेव काले और नीले रंग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस राशि के लिए नीला रंग काफी शुभ होता है। लेकिन काले रंग से होली खेलना संभव नहीं है, इसीलिए आप नीला, हरा या फिरोजी रंग से होली खेल सकते हैं।
इन राशियों का स्वामी बृहस्पति है और बृहस्पति पीले रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इसी के साथ होली के दिन इस राशि के लोगों को पीला और नारंगी रंग से होली खेलनी चाहिए।
कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा ग्रह है और चंद्रमा सफेद रंग का प्रतिनिधित्व करता है। सफेद रंग से होली खेलना संभव नहीं होता, इसीलिए आप किसी भी एक रंग में थोड़ा दही या दूध मिला सकते हैं। और उस रंग से होली खेल सकते हैं। वही सिंह राशि के स्वामी सूर्यदेव है। इसके कारण इस राशि के लोगों को नारंगी, लाल या पीले रंग से होली खेल सकते हैं।
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