अपना घर कौन नही चाहता! आज हर व्यक्ति चाहता है कि उसका खुद का घर हो जिसमें प्रवेश करने से पहले वो गृह प्रवेश समारोह आयोजित करें। आपको बता दें कि अपने नए घर में ग्रह प्रवेश करना एक व्यक्ति के जीवन में बहुत ही मूल्यवान पल होता है, जिसके लिए वह ग्रह प्रवेश मुहूर्त 2023 (griha pravesh shubh muhurat 2023) का चुनाव करता है ताकि उसके नए घर में उसके नए जीवन पर किसी तरह की कोई विपता न आएं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बहुत अधिक मेहनत और प्रयासों के बाद एक व्यक्ति अपना घर बनाने में सक्षम होता है। और यह घर उसके लिए काफी मूल्यवान होता है।
वहीं आपने मूल्यवान घर के इस सपने को सफल बनाने के लिए यह आवश्यक है कि गृह प्रवेश नए घर में हो या पुराने घर में शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। जिसका कारण यह है कि शुभ लग्न और तिथि में आपके घर में प्रवेश करने से आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। और गृह प्रवेश मुहूर्त की गणना तिथियों (तीथियों), दिनों, लग्न और नक्षत्र के आधार पर की जाती है। क्योंकि किसी भी अन्य महत्वपूर्ण क्षण की तरह गृह प्रवेश भी काफी महत्वपूर्ण समारोह है। चलिए ग्रह प्रवेश मुहुर्त के बारें में विस्तार से पढ़ते हैः
जिस तरह किसी भी शुभ काम के लिए जातक किसी पुजारी या अनुभवी ज्योतिष से शुभ मुहूर्त की सलाह लेता है ताकि उसका वह काम सफल रहे। ठीक उसी प्रकार हिंदू धर्म के अुनसार किसी नए घर मे प्रवेश करने से पहले उस घर में पूजा आदि का कार्य पूरी विधि-विधान से करवाया जाता हैं। ताकि नए घर में जातक को किसी भी तरह की कोई परेशनी न हो और उसके घर में सुख-शांति बनी रहें।
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आपको बता दें कि किसी भी अन्य महत्वपूर्ण क्षण की तरह गृह प्रवेश या गृह प्रवेश समारोह कई लोगों द्वारा एक नए निवास में प्रवेश करने से पहले किया जाने वाला एक शुभ अनुष्ठान है। हालांकि, कुछ लोग भाग्यशाली या शुभ दिनों को ध्यान में रखते हुए ही समारोह करते हैं। ताकि उन्हें जीवन में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
वैदिक ग्रंथों के अनुसार गृह प्रवेश मुहूर्त 2023 का महत्व
आपको बता दें कि गृह प्रवेश मुहूर्त 20223 (griha pravesh muhurat 2023) के अनुसार आप निम्नलिखित परिदृश्यों में गृह प्रवेश संस्कार का आयोजन कर सकते हैं:
तिथि | शुभ मुहूर्त | नक्षत्र |
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25 जनवरी 2023, बुधवार | रात 8 बजकर 5 मिनट से 26 जनवरी सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक | उत्तर भाद्रपद |
27 जनवरी 2023, शुक्रवार | सुबह 9 बजकर 10 मिनट से शाम 6 बजकर 37 मिनट तक | रेवती |
30 जनवरी 2023, सोमवार | रात 10 बजकर 15 मिनट से 31 जनवरी सुबह 7 बजकर 10 मिनट तक | रोहिणी |
तिथि | शुभ मुहूर्त | नक्षत्र |
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1 फरवरी 2023, बुधवार | सुबह 7 बजकर 10 मिनट से दोपहर 2 बजकर 1 मिनट तक | मृगशिरा |
8 फरवरी 2023, बुधवार | रात 8 बजकर 15 मिनट से 9 फरवरी सुबह 6 बजकर 23 मिनट तक | उत्तराफाल्गुनी |
10 फरवरी 2023, शुक्रवार | सुबह 00 बजकर 18 मिनट से 11 फरवरी सुबह 7 बजकर 3 मिनट तक | चित्रा |
22 फरवरी 2023, बुधवार | सुबह 6 बजकर 54 मिनट से 23 फरवरी 3 बजकर 24 मिनट तक | उत्तर भाद्रपद |
तिथि | शुभ मुहूर्त | नक्षत्र |
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8 मार्च 2023, बुधवार | सुबह 6 बजकर 39 मिनट से 9 मार्च सुबह 4 बजकर 20 मिनट तक | उत्तराफाल्गुनी |
10 मार्च 2023, शुक्रवार | सुबह 6 बजकर 37 मिनट से रात 9 बजकर 42 मिनट तक | चित्रा |
13 मार्च 2023, सोमवार | रात 9 बजकर 27 मिनट से 14 मार्च सुबह 6 बजकर 33 मिनट तक | अनुराधा |
17 मार्च 2023, शुक्रवार | सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 18 मार्च 2 बजकर 46 मिनट तक | उत्तराषाढ़ा |
तिथि | शुभ मुहूर्त | नक्षत्र |
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6 मई 2023, शनिवार | रात 9 बजकर 13 मिनट से 7 मई सुबह 5 बजकर 36 मिनट तक | अनुराधा |
15 मई 2023, सोमवार | सुबह 9 बजकर 8 मिनट से 16 मई सुबह 1 बजकर 3 मिनट तक | उत्तर भाद्रपद |
20 मई 2023, शनिवार | रात 9 बजकर 30 मिनट से 21 मई सुबह 5 बजकर 27 मिनट तक | रोहिणी |
22 मई 2023, सोमवार | सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 37 मिनट तक | मृगशिरा |
29 मई 2023, सोमवार | सुबह 11 बजकर 49 मिनट से 30मई सुबह 4 बजकर 29 मिनट तक | उत्तराफाल्गुनी |
31 मई 2023, बुधवार | सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक | चित्रा |
तिथि | शुभ मुहूर्त | नक्षत्र |
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12 जून 2023, सोमवार | सुबह 10बजकर 34 मिनट से 13 जून सुबह 5 बजकर 23 मिनट तक | उत्तर भाद्रपद, रेवती |
तिथि | शुभ मुहूर्त | नक्षत्र |
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17 नवंबर 2023 शुक्रवार | सुबह 1 बजकर 17 मिनट से 18 नवंबर सुबह 6 बजकर 46 मिनट तक | उत्तराषाढ़ा |
22 नवंबर 2023 बुधवार | शाम 6 बजकर 37 मिनट से 23 नवंबर सुबह 6 बजकर 50 मिनट तक | उत्तर भाद्रपद |
23 नवंबर 2023 वीरवार | सुबह 6: 50 से रात 8:01 तक | उत्तर भाद्रपद, रेवती |
27 नवंबर 2023 सोमवार | दोपहर 2:45 से 28 नवंबर सुबह 6:54 तक | रोहिणी |
29 नवंबर 2023 बुधवार | सुबह 6:54 से दोपहर 1: 59 मिनट तक | मृगशिरा |
तिथि | शुभ मुहूर्त | नक्षत्र |
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8 दिसंबर 2023 शुक्रवार | सुबह 8:54 से 9 दिसंबर सुबह 6:31 तक | चित्रा |
15 दिसंबर 2023 शुक्रवार | सुबह 8:10 से रात 10:30 तक | उत्तराषाढ़ा |
21 दिसंबर 2023 वीरवार | सुबह 9: 37 मिनट से रात 9:09 तक | रेवती |
आमतौर पर यह माना जाता है कि नए घर में प्रवेश करने के लिए गृह प्रवेश या गृह प्रवेश समारोह किया जाता है, जो सही नही है। वास्तु शास्त्र के अनुसार आमतौर पर गृह प्रवेश तीन प्रकार के होते हैं:
अपूर्वा : जब कोई रहने के लिए नए घर में प्रवेश करता है, तो उसे अपूर्व गृह प्रवेश कहा जाता है।
सपूर्वा : किसी कारणवश यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य स्थान पर रहता है और अपना घर खाली छोड़ देता है। कुछ समय बाद जब वे अपने घर वापस चले जाते हैं, तो इसे सपूर्व गृह प्रवेश कहा जाता है।
द्वांधव : प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से यदि किसी व्यक्ति को बेबस होकर अपना घर छोड़ना पड़ता है। उसे अपने पुराने घर में फिर से रहने के लिए गृह प्रवेश पूजा विधि करनी होगी। इस शब्द को द्वांधव गृह प्रवेश के नाम से जाना जाता है।
अपने नए घर में जाने से पहले या पुराने घर में फिर से प्रवेश करने से पहले, सुनिश्चित करें कि आप 2023 में गृह प्रवेश के लिए इन कुछ बातों को ध्यान में रखें:
गृह प्रवेश समारोह करने और गृह प्रवेश पूजा करने से कई लाभ हैः
वास्तु शास्त्र भारतीय विज्ञान का प्राचीन रूप है जिसमें दिशाओं के महत्व का उल्लेख किया गया है। वास्तु शब्द का अर्थ एक ऐसी जगह है जहां भगवान और इंसान एक साथ रहते हैं। मानव शरीर पांच तत्वों से बना है और घर के लिए वास्तु इन तत्वों से संबंधित माना जाता है। वास्तु के अनुसार हर दिशा में भगवान का वास होता है। हर दिशा से सकारात्मक ऊर्जा किसी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती है। इसीलिए गृह प्रवेश से पहले वास्तु पूजा और शांति अवश्य करनी चाहिए।
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कभी-कभी, यह देखा गया है कि लोग अपने नए घर में प्रवेश करते हैं, जो निर्माणाधीन है। हिंदू धर्म में और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस गतिविधि को सही नहीं माना जाता है। इन वैदिक ग्रंथों में कुछ अनुष्ठानों का उल्लेख किया गया है जिनका पालन गृह प्रवेश से पहले किया जाना चाहिए।
क्या हम गृह प्रवेश से पहले वस्तुओं को स्थानांतरित कर सकते हैं?
नए घर में पूजा करने से पहले आपको अपने घर का कोई भी फर्नीचर नहीं लाना चाहिए।
क्या गृह प्रवेश के बाद घर में सोना जरूरी है?
गृह प्रवेश हमारी परंपरा का हिस्सा है। और वास्तु ऊर्जा क्षेत्रों के रंग में परिवर्तन गृह प्रवेश के बाद होता है। इसलिए नए घर में हवन या पूजा के बाद आप वहां सो सकते है।
गृह प्रवेश के बाद हमें क्या नहीं करना चाहिए?
आपको मुख्य द्वार पर स्वस्तिकऔर कमल का चिन्ह लगाना चाहिए, क्योंकि इन प्रतीकों को शुभ माना जाता है। फर्श को रंगोली या चावल के फूलों से खूबसूरती से सजाएं। यदि आपके परिवार में कोई गर्भवती महिला है या उसकी मृत्यु हो गई है, तो आपको गृह प्रवेश करने से बचना चाहिए। गृह प्रवेश पूजा करने के बाद किसी को भी खाली हाथ न जाने दें।
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