ज्योतिष में कालसर्प दोष को सबसे खतरनाक माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार जातक की कुंडली में इस दोष की उपस्थिति से व्यक्ति को जीवन में कठिन समय का अनुभव करना पड़ता है। यदि किसी जातक की कुंडली में राहु और केतु ग्रह एक तरफ मौजूद होते हैं और बाकी सभी ग्रह इनके बीच में होते हैं, तो कालसर्प दोष बनता है।
ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु को छोड़कर सात मुख्य ग्रह हैं, उनमें से प्रत्येक लग्न, धन, सुख, संतान, रोग, गृहस्थ जीवन, आयु, भाग्य, कर्म, लाभ, प्रेम, व्यय आदि जैसे विभिन्न पहलुओं पर शासन करते हैं। कालसर्प दोष के कारण ग्रहों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, वहीं जिन पहलुओं का यह ग्रह प्रतिनिधित्व करते हैं, वे भी बाधित हो जाते हैं, जिससे जातक के जीवन में कई समस्याएं आती हैं। ज्योतिष शास्त्र में 12 कालसर्प दोष हैं, इनमें से प्रत्येक दोष जातक की कुंडली में राहु और केतु की स्थिति के अनुसार फल देता है।
यहां 12 कालसर्प दोष के बारे में विस्तार से बताया गया हैं और प्रत्येक से निपटने के लिए कुछ उपाय भी दिए गए हैं।
अनंत कालसर्प दोष जातक की कुंडली में तब बनता है, जब कुंडली के प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु मौजूद होता है। जब जातक की कुंडली में यह दोष होता है, तो उसे सफलता पाने के लिए अधिक समय तक संघर्ष करना पड़ता है। हालाँकि आप सफल होने के लिए बहुत मेहनत करोगे। लेकिन परिणाम आपको देर से ही मिलेगा। अनंत कालसर्प दोष आपको लगातार बाधाओं और चुनौतियों से परिचित कराकर आपके धैर्य की परीक्षा लेगा। इस दोष के कारण व्यक्ति को अपने जीवन के सभी पहलुओं में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि आप आशा नहीं खोते हैं, तो आपको बाद में सफलता मिलेगी।
जातक की कुंडली के दूसरे भाव में राहु और आठवें भाव में केतु होने पर कुलिक कालसर्प दोष बनता है। ऐसा माना जाता है कि यह दोष जातक के जीवन में आर्थिक नुकसान, कर्ज और कई अन्य बाधाएं लाता है। यदि आप किसी व्यवसाय में हैं, तो उसे पूरी ईमानदारी से करें। जब वैवाहिक जीवन की बात आती है, तो कुलिक दोष जातक के जीवन में परेशानी लाता है। हालाँकि, आपको लग सकता है कि आप समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं, इसलिए आपको अपने स्वास्थ्य की देखभाल करनी चाहिए। सिगरेट, तंबाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
वासुकि कालसर्प दोष तब बनता है, जब जातक की कुंडली में राहु तीसरे भाव में होता है और केतु नौवें स्थान पर विराजमान होता है। यह दोष न केवल जातक के जीवन में बाधा डालता है बल्कि उनसे संबंधित लोगों जैसे भाई-बहन, माता-पिता, जीवनसाथी आदि के जीवन में भी बाधा डालता है। इस दोष के कारण परिवार में अशांति का माहौल बन सकता है। हालाँकि, अच्छी बात यह है कि व्यक्ति को आर्थिक सफलता मिलेगी, क्योंकि वह इसके लिए कड़ी मेहनत कर सकता है।
कुंडली के चौथे भाव में राहु और दसवें भाव में केतु के विराजमान होने पर व्यक्ति की कुंडली में शंखपाल कालसर्प दोष बनता है। कुंडली में इस योग का बनना जातक के जीवन में आने वाली आर्थिक तंगी, बीमारी और अव्यवस्था का संकेत है। यह प्यार, बच्चे की शिक्षा आदि जैसे तत्वों को बाधित कर सकता है। यदि आप युवा है, तो आपको को जीवन में सही चीज का चुनाव करने में मुश्किल होगी। इस दोष के कारण जातकों को प्रॉपर्टी से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, इसलिए इस तरह का कोई भी सौदा उचित जांच-परख कर ही करना चाहिए।
जब कुंडली के पंचम भाव में राहु और 11वें भाव में केतु हो, तो पद्म कालसर्प दोष बनता है। यह योग छात्रों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है, क्योंकि वे पढ़ाई में एकाग्रता खो सकते हैं और गलत कार्यों में लिप्त हो सकते हैं। इसलिए इस दौरान माता-पिता को अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। आपको यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप अपने बच्चे को शिक्षा के क्षेत्र में सही विकल्प चुनने में मदद करें। साथ ही यह दोष करियर की प्रगति में बाधा डाल सकता है। यदि आप नए अवसरों की तलाश में हैं, तो आपको अपने साथी से सलाह करने के बाद निर्णय लेना चाहिए।
महापद्म कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु कुंडली के 6 वें भाव में हो और केतु 12 वें भाव में होता है। कालसर्प दोष के कारण जातक को स्वास्थ्य परेशानियो का सामना करना पड़ता है। लेकिन जब महापद्म कालसर्प दोष बनता हैं, तो व्यक्ति अपने सभी दुश्मनों पर आसानी से जीत हासिल कर लेता है। ज्ञान में वृद्धि और जीवन में कुछ सार्थक और बड़ा करने के लिए यह अवधि उत्तम है। हालांकि, दोष के कारण जातक को तनाव हो सकता है। इस दोष के कारण जातक को विदेश में व्यापार करने से लाभ हो सकता है।
तक्षक कालसर्प दोष तब बनता है जब कुंडली के सातवें भाव में राहु और लग्न या पहले भाव में केतु होता है। यदि जातक की कुंडली में यह दोष होता है, तो उसे विवाह में देरी का सामना करना पड़ सकता है। शादी में देरी आपके माता-पिता के लिए भी तनाव का कारण बन सकता है। अगर आप विवाहित हैं, तो ससुराल पक्ष के कारण परेशानी हो सकती है। ऐसी स्थितियां भी उत्पन्न हो सकती हैं जब आप तलाक के बारे में सोच सकते हैं। इसके अलावा, तक्षक कालसर्प दोष के कारण प्रेम विवाह पर विचार नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से शादी के बाद प्यार में बाधा आ सकती हैं।
कर्कोटक कालसर्प दोष तब बनता है जब जातक की कुंडली के दूसरे भाव में केतु और आठवें भाव में राहु होता है। कर्कोटक कालसर्प दोष धन प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी है। इस दोष के कारण करियर की प्रगति में बाधा आ सकती है, क्योंकि आपको नौकरी और पदोन्नति पाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं। कर्कोटक कालसर्प दोष के कारण जातक को सच बोलने की आदत हो जाती है। यह एक अच्छी बात है। लेकिन यह आदत जातक को अपने लिए अच्छे अवसर हासिल करने से रोक सकती है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपको सच नहीं बोलना चाहिए। लेकिन किसी से भी बात करने से पहले आपको सोच विचार जरूर करना चाहिए।
शंखचूड़ कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु छठे भाव में होता है और केतु कुंडली के बारहवें भाव में होता है। इस दोष की अच्छी बात यह है कि इस दोष के कारण जातक की सभी मनोकामनाएं आमतौर पर पूरी होती हैं। हालाँकि, इच्छाओं की पूर्ति में देरी हो सकती है, जो आपको निराश कर सकती है। शंखचूड़ कालसर्प दोष से जातक के परिवार और घर में अधिक कष्ट हो सकता है। इस अवधि में यह सुझाव दिया जाता है कि आप अपने परिवार पर ध्यान केंद्रित करें और लेन-देन न करें, क्योंकि इसके कारण आपको निकट भविष्य में परेशानी हो सकती हैं।
ज्योतिषियों के अनुसार, कुंडली में घातक कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु दसवें भाव में और केतु जातक की कुंडली के चौथे भाव में बैठता है। जब आपकी कुंडली में यह दोष होता है, तो आपको अपनी मां की सेवा और अधिक देखभाल करनी चाहिए। यह आपके जीवन की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेगा। हालाँकि, इस दौरान आपको अपनी मां से उस प्रकार का स्नेह नहीं मिलेगा, जिसकी आप इच्छा रखते है। घातक कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति अभिमानी हो जाता है। आपका अहंकार आपके व्यक्तिगत बल्कि आपके पेशेवर संबंधों में भी बाधा डाल सकता है।
विषधर कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु ग्रह 11वें भाव में हो और केतु 5वें भाव में बैठा होता है। यह दोष शिक्षा विशेषकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले के लिए घातक हो सकता है। इसके कारण जातक को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में काफी बाधाएं आती हैं। हालांकि, तमाम बाधाओं के बावजूद उनका धैर्य और प्रतिबद्धता उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं। यदि वे अपने देश के बजाय विदेश से अपना करियर बनाते हैं, तो ये लोग अपने पेशेवर जीवन में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। परिवार में जातक को दादा-दादी से लाभ मिलने के बाद भी संपत्ति का नुकसान उठाना पड़ता है।
शेषनाग कालसर्प दोष तब बनता है, जब कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु ग्रह विराजमान होता है। शेषनाग कालसर्प दोष के कारण लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हालांकि, इसमें थोड़ी देरी हो सकती हैं। इस दोष की उपस्थिति में जातक को अपनी आय से अधिक खर्च करने की आदत हो सकती है। यही कारण है कि जातक पर अधिक ऋण हो सकता है। 42 वर्ष की आयु के बाद जातक के जीवन में एक समय ऐसा आता है, जब वे समाज में स्वयं को प्रतिष्ठित स्थान पर पाता हैं। हालाँकि, इसके लिए आपको निरंतर कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होगी।
लोग काल सर्प दोष पूजा क्यों करते हैं?
वैदिक ज्योतिष में यह दोष तब होता है जब सभी 7 ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। इस प्रकार इस समस्या का सामना करने वाले किसी भी जातक की कुंडली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए काल सर्प दोष के दुष्प्रभाव को खत्म करने और दूर करने के लिए लोगों को काल सर्प दोष पूजा करनी चाहिए।
काल सर्प शांति क्या है?
काल सर्प निवारण या काल सर्प शांति वह विधि है, जिसे ज्योतिषी कुंडली में काल सर्प दोष के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए करते हैं। ज्योतिषी उपाय और पूजा का सुझाव देते हैं, जो लोगों को काल सर्प दोष के दुष्प्रभाव से दूर रखने में मदद करेंगे।
काल सर्प दोष पूजा करने का सबसे अच्छा समय कब है?
अमावस्या के दिन पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। हालांकि, लोग ग्रहण के दिन काल सर्प दोष पूजा भी कर सकते हैं। साथ ही रविवार, मंगलवार और नाग पंचमी भी पूजा करने के लिए बहुत अच्छे दिन होंगे।
कैसे पता चलेगा कि मुझे काल सर्प दोष है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होता है, तो वे सपने में अक्सर सांपों के बारे में सपने देखते हैं।
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