ज्योतिष शास्त्र में ग्रह काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। क्योंकि इन्हीं के आधार पर व्यक्ति के जीवन में घट रही घटनाओं तथा आने वाले भविष्य की गणना की जाती है। कई बार अगर ग्रहों की गति सही ना हो, तो जातक को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह सही दशा में ना हो, तो भी व्यक्ति को परेशानी का सामना करना पड़ता है और अगर किसी जातक की कुंडली में ग्रहों की दशा सही होती हैं, तो व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी कई बीमारियों के लिए ग्रह जिम्मेदार होते हैं। बहुत से लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी होती है। जिसके लिए तरह-तरह की दवाइयां भी खाते हैं।
लेकिन कई बार दवाइयों का कोई असर नहीं होता। आपको बता दें कि इस स्थिति में ग्रह दशा सही ना होने के कारण यह परेशानी बढ़ सकती है। चलिए जानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में हाई ब्लड प्रेशर का क्या महत्व होता है-
ज्योतिष शास्त्र में हाई ब्लड प्रेशर (jyotish me high blood pressure) –
आपको बता दें कि शरीर में बहते हुए खून से नालियों में जो दबाव पड़ता है उसे ही रक्तचाप कहा जाता है। जब यह रक्त का बहाव तेज हो, तो उसे उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं। इसी के साथ निम्न रक्तचाप में रक्त का बहाव काफी कम हो जाता है। आपको बता दें कि रक्त का स्वामी मंगल होता है और दबाव का चंद्रमा इसलिए यह ग्रह हाई ब्लड प्रेशर का कारण होते है। गुरु के कारण नलियों में वसा जमा हो जाती है। सूर्य ग्रह के कारण दिल की गति पर प्रभाव होता है। साथ ही इस परेशानी को खान-पान और घरों को काफी हद तक बचा जा सकता है।
मंगल: आपको बता दें कि मंगल ग्रह को रक्त का स्वामी कहा जाता है और इसी के कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या प्रभावित होती है।
चंद्रमा: चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। लेकिन दबाव के लिए चंद्रमा काफी महत्वपूर्ण होता है। इसीलिए रक्तचाप में चंद्रमा और मंगल दोनों काफी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
बृहस्पति: बता दें कि बृहस्पति के कारण नलियों में वसा जमा हो जाती है और इससे भी हाई ब्लड प्रेशर प्रभावित होता है।
सूर्य: इसी के साथ सूर्य के कारण हृदय की पंपिंग और इससे रक्तचाप प्रभावित होता है। तथा इसे खान-पान और योग से काफी हद तक रक्तचाप से बचा जा सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के लिए मंगल ग्रह काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि जब मंगल ग्रह जातक की कुंडली में ज्यादा मजबूत हो जाता है, तो व्यक्ति को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इसी के साथ जब जातक की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति खराब होती है, तो व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी से गुजरना पड़ता है।
वही कुंडली में अग्नि तत्व की मात्रा ज्यादा होने पर यह परेशानी होती है।
साथ ही अगर राहु का संबंध केंद्र स्थानों से होता है, तो उच्च रक्तचाप की समस्या होती है।
वही जन्म की तारीख का संबंध 4, 8 या 19 ना होने से भी यह परेशानी बढ़ती है।
कब होता है लो ब्लड प्रेशर (jyotish me low blood pressure) –
जब व्यक्ति का चंद्रमा कमजोर होता है, तो उसका लो हाई ब्लड प्रेशर होता है।
सूर्य ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति को निम्न रक्तचाप की समस्या होती है।
इसी के साथ हथेली में चंद्र पर्वत पर कालिमा या दाग धब्बे होने पर व्यक्ति को लो ब्लड प्रेशर की परेशानी होती है।
वहीं अगर घर में अंधेरा ज्यादा है, व्यक्ति को लो ब्लड प्रेशर की परेशानी होती है।