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Baisakhi 2023: जानें कब है बैसाखी 2023? त्यौहार का इतिहास और ज्योतिषीय महत्व

बैसाखी भारत का एक प्रसिद्ध त्यौहार है, जो सदियों से मनाया जा रहा है। यह त्यौहार हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है और इस दिन किसानों के लिए खेती का नया साल शुरू होता है। बैसाखी का शब्द ‘वैसाख’ से लिया गया है, जो हिंदू कैलेण्डर के अनुसार वैशाख महीने का नाम है। हिंदू कैलेण्डर में यह पहला महीना माना जाता है और समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में इस दिन का अधिक महत्व होता है। वहीं इस बार बैसाखी 2023 (Baisakhi 2023) में 14 अप्रैल 2023 को शुक्रवार के दिन धूम-धाम से मनाई जाएगी।

इस दिन को खेतों में फसल की उपज का त्यौहार माना जाता है, क्योंकि इस दिन किसान अपनी अच्छी उपज की खुशी मनाते हैं। इसके अलावा, भारत के विभिन्न हिस्सों में इस दिन भंडारे, मेले और नाच-गाने का आयोजन किया जाता है। साथ ही बैसाखी का महत्व भारत के विभिन्न हिस्सों में भिन्न हो सकता है। इसे खेती का नया साल मनाने के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में भी माना जाता है। बैसाखी का महत्व सिख धर्म में भी बहुत अधिक होता है। यह सिखों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है, जब उन्हें खालसा पन्थ का गठन करने के लिए उपदेश दिया गया था। इस दिन सिख समुदाय द्वारा गुरुद्वारों में भक्ति और सेवा के लिए भावनात्मक रूप से काम किया जाता है।

इसके अलावा, बैसाखी को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इस दिन के उत्सव का आयोजन भी किया जाता है। उदाहरण के लिए, असम में बैसाखी को बोहाग बिहू के नाम से जाना जाता है, जबकि पंजाब में इसे वैसाखी या बैसाखी दा त्यौहार कहा जाता है।

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बैसाखी 2023ः शुभ तिथि और महत्व

बैसाखी 202314 अप्रैल 2023, शुक्रवार
बैसाखी संक्रान्ति का क्षण15ः12
मेष संक्रान्ति14 अप्रैल 2023, शुक्रवार

इस शुभ दिन पर, किसान समुदाय रबी फसल की अच्छी उपज के लिए भगवान का धन्यवाद करते है। इसके साथ ही वह प्रार्थना करते है कि आने वाला समय और भी अधिक सुखद और फलदायी हो। बैसाखी का पर्व सिख समुदाय के लिए और भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। बैसाखी का पर्व खालसा के जन्म की याद दिलाता है। इसी दिन सिख धर्म के खालसा पंथ की स्थापना हुई थी। वर्ष 1699 में, सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने आनंदपुर साहिब के केसगढ़ में, सभी दीक्षित सिखों के सामूहिक दल, खालसा की स्थापना की थी।

यह बैसाखी एक हिंदू उत्सव है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है। इस उत्सव को सबसे ज्यादा पंजाब राज्य में मनाया जाता है और यहां पर इसे बैसाखी दा त्यौहार के नाम से जाना जाता है। इस उत्सव को खेती के नए साल के रूप में मनाया जाता है, जब खेती में उत्पादकता और खुशहाली की उम्मीद होती है। इस दिन किसान अपने खेतों में जाकर अपनी फसल को काटते हैं और इसे महानतम सम्मान देकर धन्यवाद करते हैं। इस दिन खाने-पीने का विशेष महत्व होता है और खेती से संबंधित नृत्य और गीत भी गाए जाते हैं।

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बैसाखी पर्व का ज्योतिषीय महत्व

बता दें कि बैसाखी एक प्रमुख पंजाबी त्यौहार है, जो सभी समुदायों में मनाया जाता है। यह त्यौहार वसंत के मौसम के आगमन को दर्शाता है और समूचे उत्तर भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार, बैसाखी के दिन सूर्य ग्रह मेष राशि में प्रवेश करता है। यही कारण है कि इस पर्व को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस दिन कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान करने से जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिती मजबूत हो जाती है और जातक को हानिकारक प्रभावों से छुटकारा मिल जाता है। इससे बैसाखी का ज्योतिषीय महत्व बढ़ जाता है।

इस दिन सूर्य का उदय सबसे पहले दिखाई देता है और इसलिए यह एक बहुत ही पवित्र पर्व माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, बैसाखी का दिन एक शुभ समय होता है, जब नए कार्य शुरू किए जा सकते हैं। इस दिन नए संबंध, नए व्यापार और अन्य नए परियोजनाओं को भी आरंभ किया जा सकता है। इस दिन ज्योतिषीय दृष्टि से यह महत्वपूर्ण होता है कि एक व्यक्ति के जीवन में एक नया अध्याय शुरू हो। यह एक शुभ समय होता है, जब नई संभावनाएं उभरती हैं और नए सपने और उद्देश्यों की शुरुआत होती है।

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कैसे मनाएं 2023 में बैसाखी का पावन पर्व?

बैसाखी 2023 (Baisakhi 2023) को भारत के विभिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न तरीकों से मनाया जाएगा। यहां कुछ आम तरीके बताए गए हैं, जो बैसाखी मनाने के लिए अनुशंसित हैं:

  • भंडारे: बैसाखी के मौके पर अधिकतर पंजाबी लोग भंडारे आयोजित करते हैं। इन भंडारों में पंजाबी खाने की विभिन्न विधियों के साथ-साथ पंजाबी ध्वनियों का भी आनंद लिया जाता है।
  • सिख गुरुद्वारे: बैसाखी को सिखों के लिए एक पवित्र उत्सव माना जाता है। इस दिन गुरुद्वारे में भजन-कीर्तन और अन्य पारंपरिक कार्यक्रम होते हैं।
  • खेती मेला: बैसाखी को खेती के नए साल के रूप में मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है। इस दिन खेतों में मेले आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग नृत्य, गीत और खेती से संबंधित अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं।
  • हरियाणवी मेले: बैसाखी के मौके पर हरियाणवी मेले भी आयोजित किए जाते हैं। इन मेलों में नृत्य, गीत, मुख्य खाने का प्रबंध किया जाता हैं।
  • सिख गुरुद्वारे जाना: बैसाखी के दिन सिख धर्मालय में भजन-कीर्तन और अन्य पारंपरिक कार्यक्रम होते हैं। साथ लोग सिख गुरुद्वारों में जाकर इन कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं।

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बैसाखी मनाने के कुछ महत्वपूर्ण कारण

बैसाखी एक प्रमुख पंजाबी त्यौहार है, जो उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह त्यौहार बहुत से कारणों से मनाया जाता है।

  • वसंत ऋतु का आगमन: बैसाखी वसंत ऋतु के आगमन का समय होता है। यह उत्सव वसंत ऋतु का स्वागत करता है।
  • समुदाय के एकता के लिए: बैसाखी एक ऐसा उत्सव है, जो समुदाय के सभी लोगों के बीच एकता और समरसता का संदेश देता है।
  • सिखों के लिए त्यौहार: बैसाखी सिख समुदाय के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन को सिख समुदाय में खास रूप से मनाया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय महत्व: बैसाखी एक अंतर्राष्ट्रीय उत्सव भी है, जो पंजाबी समुदाय के लोगों द्वारा विदेशों में भी मनाया जाता है।

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सिखों के पावन पर्व बैसाखी से जुड़ी प्रसिद्ध कथाएं

बैसाखी से जुड़ी अनेक प्रसिद्ध कथाएं हैं, जो भारतीय संस्कृति के अंतर्गत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इसमें से कुछ प्रमुख कथाएं हैं:

गुरु गोबिंद सिंह जी की बैसाखी

बैसाखी का दिन सिख धर्म के पंथकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। सिख धर्म के पंथक गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने अपने पंथीओं को समर्पित करने के लिए पांच योद्धा चुने थे, जो पंच प्यारे कहलाए। साथ ही उनके ही निर्देश पर सिखों के लिए खालसा पंथ के प्रतीक के तौर पर 5 ककार यानि केश, कंघा, कृपाण, कच्छ और कड़ा को अनिवार्य किया गया था।

भगत सिंह की शहादत

बैसाखी के दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान शहीद, भगत सिंह की शहादत का भी स्मरण किया जाता है। भगत सिंह ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई की थी। उन्होंने ब्रिटिश राज्यपाल की हत्या के लिए फांसी पर चढ़ने से पहले बैसाखी के उत्सव में भाग लिया था।

खेती से जुड़ा है यह त्यौहार

एक कथा के अनुसार, बैसाखी त्यौहार की मूल उत्पत्ति खेती से जुड़ी है। यह त्यौहार वैसाख महीने में उत्तर भारत के किसानों के लिए खेती के समय का महत्वपूर्ण दिन होता है। वैसे तो इस दिन के अनेक इतिहास हैं। लेकिन सबसे विस्तृत और महत्वपूर्ण कथा अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब से जुड़ी है।

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बैसाखी 2023 के दिन इन बातों का रखें विशेष ध्यान

बैसाखी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो कई राज्यों में मनाया जाता है। यह त्यौहार खेती की बुआई के बाद मनाया जाता है और इस दिन लोग धन, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। यहां कुछ बैसाखी के दिन करने और नहीं करने वाली चीजों के बारे में बताया गया है:

क्या करना चाहिए:

  • बैसाखी के दिन गुरुद्वारे में जाकर प्रार्थना करें और सभी लोगों को बैसाखी की बधाई दें।
  • अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिठाई बांटें और उन्हें बैसाखी की बधाई दें।
  • बैसाखी की परंपराओं को समझें और उन्हें सम्मान दें।
  • समाज सेवा करें, जैसे कि दान दें या जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
  • बैसाखी पर रंग-बिरंगे कपड़े पहनें और खुशहाली मनाएं।

क्या नहीं करना चाहिए:

  • अनुचित तरीके से शराब पीना या अन्य नशीली पदार्थ नहीं पीने चाहिए।
  • किसी भी तरह की हिंसा करना या अन्य लोगों को तंग नहीं करना चाहिए।
  • पूर्वाग्रह करना या किसी भी तरह की भ्रमात्मक गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए।

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बैसाखी के पवित्र पर्व से जुडे कुछ रोचक तथ्य

सिखों का पवित्र पर्व यानि बैसाखी एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध त्यौहार है, जो धूम-धाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार अपने विविध संस्कृतियों, परंपराओं, नृत्य और गीत के लिए जाना जाता है। कुछ रोचक तथ्य निम्नलिखित हैं:

  • बता दें कि बैसाखी का नाम उस महीने से लिया गया है जब यह मनाया जाता है। अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार, यह त्यौहार 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है।
  • सिखों का पवित्र त्यौहार यानि बैसाखी के दिन अमृतसर के हरमंदिर साहिब में लाखों लोग एकत्र होते हैं और पंज प्यारे के नाम से प्रसाद बांटा जाता है।
  • बैसाखी एक खेती के मौसम का त्यौहार है, जब नए फसल की बुआई की जाती है।
  • सिखों का त्यौहार यानि बैसाखी के दिन गतिविधियों में नृत्य, संगीत, गिद्दा, बांसुरी वादन और मिठाई बनाई जाती हैं।
  • बैसाखी का त्यौहार सिखों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।

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