अधिकांश माता-पिता अपने बच्चे का पहला कदम, शब्द, भोजन आदि को एक सुनहरी याद की तरह सहेज कर रखना चाहते हैं। शुरुआती छह माह तक शिशुओं को केवल मां का दूध दिया जाता है। जबकि बच्चे को छह माह की उम्र में सबसे पहली बार ठोस या अर्ध ठोस भोजन दिया जाना शुरू होता है। जब बच्चा पहली बार भोजन करता है, वह क्षण बहुत खास होता है। हिंदू धर्म में शिशु को पहली बार भोजन कराने के लिए अन्नप्राशन संस्कार किया जाता है। इस संस्कार को संपन्न करने के लिए शुभ मुहूत की जांच की जाती है। यह बच्चे के जन्म नक्षत्र या राशि के आधार पर अच्छे मुहूर्त की जांच करके किया जाता है। पहला भोजन अन्नप्राशन के रूप में भी जाना जाता है। यह एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ भोजन करना होता है। अन्नप्राशन एक बच्चे के जीवन में ठोस भोजन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। अन्नप्राशन हिंदू पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है और बच्चे को सभी प्रकार के भोजन जैसे नमक, कड़वा, खट्टा और मसाला दिया जाता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि बच्चे को ऐसा भोजन न दिया जाए, जिसे वह आसानी से हजम न कर सके और न ही भोजन को बड़ी मात्रा में पेश न करें। बच्चे को भोजन कम मात्रा में दिया जाता है और सिर्फ नाम के लिए बालक को भोजन कराया जाता है। इस उत्सव का पालन देश के कई हिस्सों में विविध रीति-रिवाजों के साथ किया जाता है। इस लेख में आप अन्नप्राशन संस्कार 2023 से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों को जानेंगे।
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शुभ कार्य के लिए शुभ मुहूर्त की गणना करना काफी महत्वपूर्ण है। समय की इस गणना को "मुहूर्त" के रूप में जाना जाता है। अन्नप्राशन संस्कार 2023 के मुहूर्त (annaprashan shubh muhurat 2023) की गणना के लिए शिशु का नक्षत्र महत्वपूर्ण है। बालकों के लिए अन्नप्राशन संस्कार 2023 के शुभ मुहूर्त की गणना जन्म के 6वें, 8वें, 10वें, 12वें महीने में की जाती है और कन्याओं के लिए अन्नप्राशन मुहूर्त की गणना जन्म के समय से 5वें, 7वें, 9वें, 11वे महीने में की जाती है। मुहूर्त को समझने के बाद कोई भी नया कार्य शुरू करने से विशेष घटना में सफलता और खुशी मिलती है। एस्ट्रोटॉक पर ज्योतिषियों द्वारा प्रदान किए गए अन्नप्राशन मुहूर्त के बारे में विवरण दिया गया है।
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अन्नप्रासन मुहूर्त, जिसे चावल खिलाने की रस्म के रूप में भी जाना जाता है, तब किया जाना चाहिए जब बच्चा पांच से बारह महीने की उम्र का हो। लड़कों के लिए यह आमतौर पर सम महीनों में किया जाता है, जैसे जब बेटा 6, 8, 10 या फिर 12 महीने की उम्र का होता है। लड़कियों को यह आमतौर पर विषम महीनों में किया जाता है, जैसे जब उसकी उम्र 5वें, 7वें, 9वें या 11वें महीने की होती है। समय का चुनाव काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि अन्नप्राशन संस्कार तभी किया जाता है जब बच्चा में चावल और अनाज पचाने की क्षमता विकसित हो जाती है। यदि बच्चा अभी भी भोजन को पचाने की स्थिति में नहीं है, तो इस संस्कार को बाद की तारीख के लिए स्थगित किया जा सकता है।
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शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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4 जनवरी 2023, बुधवार | 08.00 -10:00, 12.00 - 16:00 |
12 जनवरी 2023, गुरुवार | 16:15-18:00 |
23 जनवरी 2023, सोमवार | 08.00 -08:40, 10.30 -17:00 |
26 जनवरी 2023, गुरुवार | 08.00-11:30 |
27 जनवरी 2023, शुक्रवार | 10:20-11:30, 13:30-21:50 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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3 फरवरी 2023, शुक्रवार | 07:50-09:40, 11:30-16:30 |
10 फरवरी 2023, शुक्रवार | 09:30-14:00, 17.00 -23:00 |
22 फरवरी 2023, बुधवार | 07:30-09:40, 11:30-17:30 |
24 फरवरी 2023, शुक्रवार | 07:30-11:00, 13:30-20:00 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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9 मार्च 2023, गुरुवार | 07:30-12:20, 15.10 -21:00 |
10 मार्च 2023, शुक्रवार | 07:35-10:15 |
23 मार्च 2023, गुरुवार | 7.00 -07:40, 09:50 -17.50 |
24 मार्च 2023, शुक्रवार | 07.00 -09:15, 12.00 -15.00 |
27 मार्च 2023, सोमवार | 18:25-20:10 |
31 मार्च 2023, शुक्रवार | 09:15-15:20, 18.00 -22:00 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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6 अप्रैल 2023, गुरुवार | 07:15-10:30 |
7 अप्रैल 2023, शुक्रवार | 15:15-21:40 |
10 अप्रैल 2023, सोमवार | 10:25-14:40 |
24 अप्रैल 2023, सोमवार | 11:50-20:40 |
26 अप्रैल 2023, बुधवार | 13:50-20:43 |
27 अप्रैल 2023, गुरुवार | 07:45-13:40 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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3 मई 2023, बुधवार | 07.00 -08:40, 11:15 -17:50 |
12 मई 2023, शुक्रवार | 06:25-08:10 |
17 मई 2023, बुधवार | 06:15-14:30, 17:10-22:50 |
22 मई 2023, सोमवार | 07:45-09:25 |
24 मई 2023, बुधवार | 07:30-11.40, 14:30-21:00 |
29 मई 2023, सोमवार | 14.00 -16:10, 18:50-22:40 |
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शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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1 जून 2023, गुरुवार | 16:15-18:20, 21.00 -22:30 |
8 जून 2023, गुरुवार | 08:50-15:30 ,8.00-20:00 |
19 जून 2023, सोमवार | 21:40-23:10 |
21 जून 2023, बुधवार | 06.00 -10:00, 12:30-17:00 |
28 जून 2023, बुधवार | 09:50-16:30 ,9.00 -22:30 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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5 जुलाई 2023, बुधवार | 07.00 -13:40, 16:15-22:00 |
7 जुलाई 2023, शुक्रवार | 09:15-15.40, 18:30-22:00 |
14 जुलाई 2023, शुक्रवार | 20.00 -21:30 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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21 अगस्त 2023, सोमवार | 06:30-10:40, 13:15-20:15 |
23 अगस्त 2023, बुधवार | 06:30-10:30 |
28 अगस्त 2023, सोमवार | 20:15-23:00 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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1 सितंबर 2023, शुक्रवार | 16:50-21:00 |
4 सितंबर 2023,सोमवार | 09:55-12:00 |
6 सितंबर 2023, बुधवार | 12:25-16:00 |
18 सितंबर 2023, सोमवार | 06:45-11:00 |
21 सितंबर 2023, गुरुवार | 15:30-17:00 |
25 सितंबर 2023, सोमवार | 07.00-08:00 |
27 सितंबर 2023, बुधवार | 08.00 -10:00, 13.00 -18:00 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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16 अक्टूबर 2023, सोमवार | 07:15-09:00, 12.00 -16:30 |
23 अक्टूबर 2023, सोमवार | 19:40-21:10 |
26 अक्टूबर 2023, गुरुवार | 13:25-17:00, 19:30-23:10 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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10 नवंबर 2023, शुक्रवार | 15:30-20:00 |
22 नवंबर 2023, बुधवार | 19:30-23:20 |
24 नवंबर 2023, शुक्रवार | 21:45-23:30 |
27 नवंबर 2023, सोमवार | 14:25-15:25 |
29 नवंबर 2023, बुधवार | 09.00-14:00 |
शुभ अन्नप्राशन मूहुर्त 2023 | समय |
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1 दिसंबर 2023, शुक्रवार | 17.00 -23:00 |
7 दिसंबर 2023, गुरुवार | 08.00 -12:00, 14.00 -18:00 |
15 दिसंबर 2023, शुक्रवार | 11:55-17:40, 20:30-22:20 |
18 दिसंबर 2023, सोमवार | 15:55-19:50 |
21 दिसंबर 2023, गुरुवार | 11:15-14:00, 15:50-22:00 |
22 दिसंबर 2023, शुक्रवार | 08.00 -09:15 |
28 दिसंबर 2023,गुरुवार | 08.00 -12:00, 13:45-21:35 |
29 दिसंबर 2023,शुक्रवार | 09.00 -13:20, 15:15-21:20 |
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सीधे शब्दों में कहें, तो अन्नप्राशन एक ऐसा समारोह है, जहां नवजात शिशु को पहली बार भोजन दिया जाता है। हम सभी जानते हैं कि बच्चे पैदा होने के बाद लगभग 6 महीने तक मां के दूध पर निर्भर रहते हैं। इसलिए जब उन्हें ठोस आहार खिलाना शुरू किया जाता है, तो यह काफी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए माता-पिता और परिवार के अन्य सभी सदस्य यह सुनिश्चित करते हैं कि यह सबसे अनुकूल मुहूर्त के दौरान और उचित अनुष्ठानों और संस्कारों के साथ किया जाए। अन्नप्राशन को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। साथ ही अन्नप्राशन संस्कार को पश्चिम बंगाल में मुखे भात, हिमाचल प्रदेश में भाठ खुलई और केरल में चोरूनू के नाम से जाना जाता है।
अन्नप्राशन अनुष्ठान या अन्नप्राशन विधि काफी दिलचस्प होती है। इसकी शुरुआत बच्चे को उसके मामा की गोद में बैठाने से होती है, जो उसे अपना पहला ठोस आहार खिलाते हैं। परिवार के अन्य सदस्य भी बच्चे को खिलाते हैं और उसे विभिन्न उपहार और कीमती सामान तोहफा स्वरूप देते हैं।
इस समारोह के दौरान मजेदार गतिविधियों में से एक है, जब बच्चे के सामने कलम, किताबें, सोने के आभूषण, भोजन और मिट्टी का एक छोटा सा ढेला जैसी कई चीजें एक थाली में रखी जाती हैं और बच्चे के सामने रखा जाता है। बच्चे को इनमें एक वस्तु चुनने के लिए दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कार्यक्रम के इस भाग से यह पता लगाया जा सकता है कि बच्चे की पसंद और उसकी रुचि के क्षेत्र क्या होंगे तथा जिसमें वह अपना भविष्य में बनाएगा। सोने के आभूषण को चुनने का मतलब है कि वह महान धन प्राप्त करेगा, कलम ज्ञान का प्रतीक है, मिट्टी चुनने का मतलब है कि उसके पास संपत्ति होगी। जबकि किताब या भोजन चुनने का मतलब है कि बच्च धर्मार्थ और सहानुभूतिपूर्ण होगा।
अन्नप्राशन संस्कार में बच्चे को अर्ध ठोस और ठोस आहार दिया जाता है। लेकिन खाने की तासीर सामान्य होती है और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इनमें मुख्य रूप से खीर या पायसम, मछली, मांस व्यंजन, दाल या सांबर और तले हुए चावल और पुलाव आदि अन्नप्राशन संस्कार 2023 में बच्चे को दिए जा सकते हैं।
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यह समझना महत्वपूर्ण है कि आपका शिशु बहुत छोटा है और उसे पहली बार ठोस आहार दिया जाएगा, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है।
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अन्नप्राशन संस्कार क्यों किया जाता है?
बच्चे को पहली बार ठोस आहार दिए जाने के तौर पर इस अनुष्ठान काे किया जाता है। यह संस्कार बच्चे के 6, 7 महीने की उम्र का हो जाने के बाद किया जाता है। साथ ही जब बच्चा 6 या 7 महीने का हो जाता है, तब बच्चे को मां के दूध के अलावा अन्य खाद्य पदार्थ दिया जाना जरूरी होता है ताकि उसका शारीरिक-मानिसक विकास बेहतर तरीके से हो सके। इसके साथ ही उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चे की पाचन शक्ति में भी बढ़ोतरी होती है।
बालक का अन्नप्राशन संस्कार कैसे किया जाता है?
अन्नप्राशन संस्कार पर बच्चे को साफ-सुथरे और नए कपड़े पहनाए जाते हैं। बच्चे के स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए घर पर पूजा और हवन भी किया जाता है। इसके बाद शिशु को मामा के हाथों से ठोस आहार का पहला निवाला प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है।
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