हिंदू धर्म में विवाह से पहले वर और वधू की कुंडली मिलान करने की प्रथा है, ताकि दोनों की कुंडली से उनके गुण, दोष, मांगलिक दोष आदि का पता लगाया जा सकें। कुंडली मिलान करते समय वर और वधू के सुखद जीवन को प्रभावित करने वाले सभी दोषों का पता लगाया जाता है, ताकि आगे दापत्य को परेशानी का अनुभव न करना पड़े। जातक की कुंडली में ऐसे कई दोष होते है, जो व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। उसी में से एक मांगलिक दोष है। बता दें कि एक मांगलिक व्यक्ति का गैर-मांगलिक व्यक्ति से विवाह करना अनर्थकारी माना जाता है, जिससे उसके साथी की मृत्यु भी हो सकती है।
आमतौर पर, मांगलिक दोष को भारतीय ज्योतिष में सबसे कुख्यात दोषों में से एक माना जाता है। कई जगह इसे कुजा दोष के नाम भी जाना जाता है। यही कारण है कि व्यक्ति के विवाह करने की योजना बनाने से पहले इस दोष की जांच कुंडली मिलान के जरीये की जाती है। यह दोष तब सक्रिय होता है, जब मंगल जन्म कुंडली में पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है। जन्म के भाव में अन्य पाप ग्रहों के साथ होने पर मंगल अधिक खतरनाक हो जाता है। आज आप इस लेख में जानेंगे कि जातक की कुंडली में कैसे बनता है मंगल दोष और किस उपाय को करके जातक इस दोष से छुटकारा या इसके प्रभाव को कम कर सकता है।
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वैदिक ज्योतिष में मंगल को एक क्रूर ग्रह के रूप में परिभाषित किया गया है। इसलिए इसकी मात्र उपस्थिति व्यक्ति के जीवन में कहर बरपा सकती है। मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक के विवाह में देरी हो सकती है। यदि मांगलिक दोष वाले व्यक्ति का विवाह भी हो जाता है, तो कुछ समय के बाद जातक को मानसिक तनाव, गृह कलह, संतानहीनता, तलाक जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। इसकी उच्च राशि मकर है और कर्क इसकी नीच राशि है। इसके अलावा, मंगल धनु, सिंह, मीन राशि से मित्रवत संबंध रखता है, जबकि वृषभ, तुला और कुंभ इसकी शत्रु राशियां मानी जाती हैं।
मांगलिक दोष क्या है, इसका लोगों को थोड़ा बहुत ही ज्ञान होता है। वे आमतौर पर जानते हैं कि यह मंगल ग्रह से संबंधित है और विवाह में बाधा उत्पन्न कर सकता है। हालांकि, इसकी बेहतर समझ से मांगलिक दोष के प्रभाव और इससे संबंधित उपायों के बारे में और जानने में मदद मिल सकती है।
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दक्षिण भारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि मंगल दूसरे भाव में हो, तो मंगल दोष बनता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में स्थित है, तो इसे मंगल दोष कहा जाता है। साथ ही लग्न कुंडली, शुक्र कुंडली और चन्द्र राशि कुंडली की गणना जन्म कुंडली में मांगलिक दोष की पहचान करती है। दोष की डिग्री विशेष भाव में मंगल के स्थान पर निर्भर करती है।
ज्योतिषी विवाह के समय मंगल दोष की उपस्थिति की पहचान कर सकते हैं। वे मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए सर्वोत्तम उपाय प्रदान कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि लड़की या लड़के के 28वें साल में पहुंचते ही मंगल दोष समाप्त हो जाता है। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में ऊपर बताई गई मंगल की स्थिति हो, तो यह मांगलिक कुंडली कहलाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लग्न से होने पर मंगल दोष नीच का होता है। वहीं यदि चंद्र से मंगल दोष होता है, तो शुक्र से मंगल दोष होने पर यह अधिक प्रबल होता है।
इसे समझने का दूसरा तरीका यह है कि यदि जन्म कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे और 12वें भाव में मंगल की स्थिति हो, तो यह नीच मांगलिक दोष होता है। वहीं अगर मंगल 7वें और 8वें भाव में हो, तो इसे वृहद या उच्च मंगल दोष कहा जाता है। मंगल दोष की समान तीव्रता वाले लोग ज्योतिष के अनुसार आराम से शादी कर सकते हैं। अर्थात नीच मंगल दोष वाला व्यक्ति दूसरी नीच मंगल दोष वाले व्यक्ति से विवाह कर सकता है।
हालांकि, ऐसे मामलों में जब तीव्रता मेल नहीं खाती है, तो जातक को ज्योतिष की मदद लेनी चाहिए उदाहरण के लिए, यदि एक व्यक्ति में उच्च मंगल दोष है, जबकि दूसरे में कम मंगल दोष है, ऐसे मामलों में मंगल दोष उपचार खोजने के लिए आप हमारे ज्योतिषियों से परामर्श कर सकते है।
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जो लोग इस दोष के साथ पैदा होते हैं, वे अत्यधिक जुझारू और गर्म स्वभाव के होते हैं। ये आसानी से हर बात पर भड़क जाते हैं। साथ ही जिन जातकों की कुंडली में मगंल दोष होता है, वे प्रतिस्पर्धी स्वभाव के होते हैं। यहां तक कि वे अपने भागीदारों के साथ प्रतिद्वंद्वियों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। उनका यह अजीब रवैया उनके साथी के साथ उनके रिश्ते को प्रभावित कर सकता है। ज्योतिषियों का मानना है कि जब मंगल जातक की कुंडली में विवाह भाव प्रथम, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और 12वें भाव में स्थित हो, तो यह स्थिति कुंडली में मंगल दोष का निर्माण करती है। लोगों का मानना है कि इस दोष के कारण जातक को परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस दोष के कुछ सकारात्मक प्रभाव भी है।
चलिए जानते है इस दोष के नकारात्मक और सकरात्मक प्रभाव क्या हैः
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एक बार जब आप पता लगा लेते हैं कि आप मंगल दोष से पीड़ित हैं या नहीं, तो कुछ उपाय हैं जिनकी सहायता से आप इससे मुक्त हो सकते हैंः
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मंगल दोष के उपाय जातक के रक्षक हो सकते हैं। लेकिन फिर भी कुछ योग ऐसे होते हैं, जो स्वत: ही मांगलिक और कुजा दोष को रद्द कर देते हैं।
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