अपने लिए एक अच्छा घर खरीदना हर व्यक्ति का सपना होता है, जिसके लिए वह दिन-रात कड़ी मेहनत भी करता है। लेकिन कई बार उसका यही सपनों का घर उसकी बरबादी का कारण बन जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि घर खरीदते समय व्यक्ति वास्तु शास्त्र के नियमों का अध्ययन नहीं करता है, जिसके कारण उसे परेशानी का अनुभव करना पड़ता है। प्लॉट वास्तु शास्त्र के अनुसार जब भी आप अपने लिए किसी प्लॉट को खरीदने जाए, तो वास्तु के सिद्धांतों का अध्ययन जरूर करें। वास्तु के सिद्धांतों की सहायता से आप वास्तु दोष से उत्पन्न होने वाली परेशानियों से बच सकते हैं। हालांकि अपने लिए वास्तु अनुकूल प्लॉट खरीदना काफी मुश्किल काम होता है। बता दें कि प्लॉट वह खाली जगह होती है, जहां पर आप अपना घर, फैक्ट्री, दुकान आदि बना सकते हैं। प्लॉट खरीदना और वहां अपना व्यवसाय करना बिल्कुल जिंदगी के सफर की नई शुरुआत करने जैसा होता है।
अगर वास्तु सिद्धांतों के अनुसार प्लॉट का चुनाव करते हैं, तो यह आपके जीवन में काफी लाभदायक साबित हो सकता है। इससे आपके जीवन में सुख समृद्धि के साथ-साथ सफलता भी आएगी और आप अपनी आय में वृद्धि भी कर सकेंगे। इसीलिए वास्तु शास्त्र अनुसार प्लॉट का चुनाव करना बेहद जरूरी है। जब आप अपने लिए प्लॉट खरीदने जाएं, तो आपको कई तरह की बातों को ध्यान में रखना चाहिए जैसे- प्लॉट का आकार, दिशा, जमीन, ऊंचाई, सड़क, आसपास का वातावरण आदि। ये सभी चीजें आपके प्लॉट के लिए बेहद जरूरी होती हैं, इसीलिए वास्तु शास्त्र के दिशा निर्देशों के अनुसार आपको प्लॉट का आकलन करना चाहिए।
ऐसा कहा जाता है कि अगर वास्तु सिद्धांतों के अनुसार प्लॉट का आकलन न किया जाए, तो व्यक्ति के घर, दुकान या फैक्ट्री में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है, जिससे उसे बड़ी हानि होने की संभावना है। आमतौर पर लोग प्लॉट खरीदते समय कानूनी दस्तवाजों की अच्छी तरह जांच परख करते हैं। जबकि प्लॉट खरीदने के बाद वास्तु शास्त्र के नियमों पर गौर करते हैं। प्लॉट खरीदने के लिए यह तरीका सही नहीं है। आपको प्लॉट खरीदने से पहले ही कानूनी दस्तावेजों के साथ-साथ वास्तु के नियमों को जान लेना चाहिए ताकि आपको प्लॉट खरीदने के बाद किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े। साथ ही प्लॉट में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन हो और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहे। इसीलिए प्लॉट खरीदते समय वास्तु सिद्धांतों का आकलन करना बेहद जरूरी है।
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वास्तु अनुसार स्क्वायर प्लॉट वाणिज्यिक (कमर्शियल) और आवासीय (रेसिडेंशियल) उद्देश्यों के लिए काफी अच्छा माना जाता है। साथ ही स्क्वायर प्लॉट का कोई अधूरा कोना नहीं होता है, जो कि वास्तु के अनुसार काफी भाग्यशाली माना जाता है। आपको अधिक लाभ के लिए उत्तर-पूर्व या पूर्व मुखी या उत्तर-मुखी वर्गाकार (स्क्वायर शेप) प्लॉट का चुनाव करना चाहिए।
आयताकार या रैक्टेंगुलर प्लॉट आपके आवासीय प्रवास (रेसिडेंशियल अकोमोडेशन) या व्यावसायिक स्थान (बिजनेस लोकेशन) को पूर्णता प्रदान करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर या दक्षिण ढलान वाली संपत्ति अच्छी होती है। अधिकतम लाभ के लिए 1:2 या उससे कम की लंबाई और चौड़ाई के अनुपात के साथ रैक्टेंगुलर प्लॉट का चुनाव करना चाहिए।
इस तरह का प्लॉट शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, जो प्लॉट के लिए बिल्कुल भी अच्छी नहीं होती।
प्लॉट के लिए शुभ आकार | प्लॉट के लिए अशुभ आकार |
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स्क्वायर | गोलाकार |
आयातकार (रैक्टेंगुलर) | अंडाकार |
गोमुखी प्लॉट (घर के लिए) | सेमी सर्कल |
शेरमुखी प्लॉट( व्यवसाय के लिए) | यू और एल आकार के प्लॉट |
एलीफेंट आकार का प्लॉट | त्रिकोणीय (ट्राइएंगुलर) |
बुल आकार का प्लॉट | कार के आकार और स्टार आकार के प्लॉट्स |
कोने का विस्तार और ढलान वाले प्लॉट |
जमीन खरीदते समय वास्तु नियमों का ज्ञान काफी आवश्यक होता है। वास्तु अनुसार लॉयन आकार सामने से चौड़ा होता है। लेकिन पीछे की ओर से संकीर्ण होता है, जो एक शेर के शरीर की संरचना जैसा दिखता है। वास्तु में इसे शेरमुखी प्लॉट कहा जाता है, जो संपत्ति के मालिक के लिए बहुत भाग्यशाली माना जाता है। इस तरह के प्लॉट की स्थिति निम्न प्रकार होनी चाहिएः
गाय आकार की भूमि गाय का प्रतिनिधित्व करती है। वास्तु में इस तरह की आकृति को गोमुखी प्लॉट कहा जाता है। इस तरह का प्लॉट, उसके मालिक के लिए सौभाग्य लाता है। हिंदू परंपरा के अनुसार गाय को एक पवित्र पशु माना जाता है, जिसकी पूजा की जाती है। इसलिए ये प्लॉट किसी भी उद्देश्य के लिए शुभ होता है। गोमुखी प्लॉट स्थिति निम्न प्रकार होनी चाहिएः
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एक अनियमित आकार वह होता है, जिसमें समान भुजाएं या समान कोण नहीं होते हैं। साथ ही अनियमित प्लॉट में जमीन सम या संतुलित नहीं होती है। कहा जाता है कि अनियमित आकार के प्लॉटों में बुरी ऊर्जा होती है, क्योंकि इसमें चुंबकीय बल असमान रूप से फैलते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर प्लॉट का आकार अशुभ हो, तो यह दुख, धन की हानि और अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
वास्तु शास्त्र में जातक के लिए शुभ आकार वर्गाकार और आयत (स्क्वायर और रैक्टेंगल) हैं। ये प्लॉट आकार मालिक के लिए समृद्धि, भलाई और खुशी लेकर आते हैं। अन्य आकृतियों जैसे कि वृत्त, U या L-आकार के प्लॉटों में कोने नहीं होते हैं, जो अनुपलब्ध अनुभाग के आधार पर गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं। गोल, अंडाकार (ओवल), त्रिकोणीय (ट्राइएंगल), अर्धवृत्ताकार (सेमिसर्कल), गाड़ी के आकार और तारे के आकार के प्लॉटों से भी बचना चाहिए।
आकार | प्रभाव |
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गोमुखी प्लॉट | इस तरह के आकार वाला प्लॉट घर बनाने के लिए काफी शुभ माना जाता है, क्योंकि यह आकृति गाय का प्रतिनिधित्व करती है। |
सिंह मुखी (शेरमुखी) प्लॉट | व्यवसाय भवन (बिजनेस के लिए बिल्डिंग) के लिए उपयुक्त होता है। |
त्रिकोणीय आकार का प्लॉट | इस तरह के प्लॉट में जातक को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। |
अंडाकार (ओवल) या अर्धवृत्ताकार (सेमी सर्कल) | इस तरह के प्लॉट में रहने की वजह से जातक को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इसमें स्वास्थ्य समस्या भी शामिल है। |
गोलाकार आकार | यह इमारत बनाने के लिए काफी अच्छा होता है। |
पॉलीगन प्लॉट | इस तरह के प्लॉट से व्यक्ति को जीवन में कई तरह के परेशानियों का अनुभव करना पड़ सकता है। |
हेक्सागनल | जातक के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। |
ऑक्टेगनल | इस तरह का प्लॉट जातक को कर्ज में दबा देता है। |
पहिए के आकार का प्लॉट | इससे जातक को आर्थिक हानि होती है। |
धनुष के आकार का प्लॉट | यह जातक के भय को बढ़ता है। |
ढोलक के आकार का प्लॉट | परिवार के सदस्यों को परेशानी और शत्रुता में वृद्धि होती है। |
घड़े के आकार का प्लॉट | जातक को गंभीर बीमारी से जूझना पड़ सकता है। |
वरहन मुखी आकार (सुअर के मुख का आकार) | इस तरह के प्लॉट से रिश्तेदार की मृत्यु की खबर आती है। |
कछुए के आकार का प्लॉट | मालिक और परिवार वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। |
हाथ के पंखे के आकार का प्लॉट | जातक को धन से जुड़ी परेशानी का अनुभव करना पड़ सकता है। |
पंख के आकार का प्लॉट | इस तरह का प्लॉट अशुभ और जातक के दुर्भाग्य का कारण बनता है। |
स्टार के आकार का प्लॉट | इस तरह के प्लॉट में रहने की वजह से जातक कानूनी मुकदमों में फंस जाता है। |
बाल्टी के आकार का प्लॉट | इस तरह के प्लॉट से जातक हमेशा कर्जदार बना रहता है। |
यह स्वाभाविक है कि सभी प्लॉट वर्गाकार या आयातकार (स्क्वायर और रैक्टेंगल) नहीं हो सकते हैं। प्लॉटों में प्रक्षेपण, विस्तार या कोने हो सकते हैं। प्रक्षेपण का अर्थ है कि प्लॉट में एक अतिरिक्त स्थान होना, जिसे प्लॉट से घटाने पर एक नियमित वर्ग या आयत बना दिया जाता है। दूसरी ओर प्रत्यावर्तन एक अतिरिक्त स्थान है, जिसे जब प्लॉट में जोड़ा जाता है, तो यह एक नियमित वर्ग या आयत बन जाता है।
एक्सटेंशन यानी प्लॉट का विस्तार भी तभी फायदेमंद होते हैं जब वे उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व और पूर्व-उत्तर-पूर्व दिशाओं में होते हैं। अगर अन्य दिशाओं में प्लॉट का विस्तार हो तो उसे अशुभ माना जाता है। दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम में विस्तार वाले प्लॉटों को उपयुक्त नहीं माना जाता है, क्योंकि वे अपने साथ दुर्भाग्य लाते हैं। साथ ही कोनों में किसी भी बड़े विस्तार या कटे हुए प्लॉटों से बचना चाहिए। अगर आवश्यक हो, तो वास्तु विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
प्लॉट लेते समय इसके सभी कारकों, वास्तु प्रभावों को अच्छी तरह जान लेना चाहिए। इसके बाद ही आप किस उद्देश्य से प्लॉट खरीद रहे हैं, यह स्पष्ट होना चाहिए। इसके बाद ही प्लॉट खरीदना चाहिए।
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प्लॉट वास्तु शास्त्र के अनुसार जमीन खरीदने के लिए उत्तर-पूर्व का कोना सबसे शुभ माना जाता है। अगर प्लॉट के इस तरफ कट होता है, तो यह अशुभ माना जाता हैं। इसके कारण जातक को जीवन में प्रगति में बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
रहने के उद्दूश्ये से उत्तर-पश्चिम कोने में एक कट वाला प्लॉट परिवार के लिए अच्छा नहीं होता है। इससे परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर संपत्ति व्यावसायिक उपयोग के लिए है, तब भी आपको लाभ नहीं होगा।
दक्षिण-पश्चिम कट जीवन में अनावश्यक दबाव लेकर आता है। आपको अपने रिश्तों, नौकरी, स्वास्थ्य, धन या मनोवैज्ञानिक समस्याओं की वजह से दबाव महसूस हो सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व कट में दोष होता है, जो कि आपके जीवन में बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। इसमें गरीबी, बीमारी और परिवार या व्यवसाय को नुकसान होना शामिल हैं। अगर आपके पास दक्षिण-पूर्व कट के साथ एक कमर्शियल प्लॉट है, तो इसे वास्तु उपायों से ठीक करने का प्रयास करें।
सभी दिशाओं का अपना एक अलग महत्व होता है। चारों दिशाएं जातक के जीवन में सुख-दुख दोनों ला सकते हैं। इसलिए दिशा के अनुसार प्लॉट का चुनाव करना बेहद जरूरी होता है। लेकिन जो प्लॉट चारों ओर से खुला हो, वह बहुत अच्छा और लाभदायक माना जाता है। व्यक्ति को अपने लिए इस तरह का प्लॉट खरीदना चाहिए। वास्तु में चारों ओर से खुला प्लॉट शुभ माना जाता है।
वैसे तो कोने के प्लॉट रहने के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। लेकिन दक्षिण और पूर्व कोनों पर सड़क या पैदल मार्ग होना अच्छा नहीं माना जाता है। इससे आपके घर में नकारात्मकत ऊर्जा आती है, इसलिए आपको इस तरह के प्लॉटों को खरीदने से बचना चाहिए।
अगर आप अपने घर के अंदर ही ऑफस बनाना चाहते हैं, तो आपको शेरमुखी प्लॉट का चुनाव करना चाहिए। शेरमुखी प्लॉट सामने की ओर पीछे की तुलना में ज्यादा चौड़ा होना चाहिए। इस तरह का प्लॉट लेने से आपका बिजनेस दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करेगा। लेकिन आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि यह आकार रहने के उद्देश्य से लेना सही नहीं है। अगर इस तरह के आकार के प्लॉट में घर बनवाकर रहना मजबूरी हो, तो बेहतर होगा कि आप एक बार वास्तु विशेषज्ञ से इस संदर्भ में बात कर लें।
जिस प्लॉट के तीन ओर सड़क हो, वह रहने के साथ-साथ कार्यालय के लिए भी काफी शुभ माना जाता है। लेकिन जो दिशा बंद होनी चाहिए, वह है दक्षिणी भाग। जबकि पश्चिम, पूर्व और उत्तर की ओर से सड़कें होनी चाहिए। तीन तरफ सड़क वाला प्लॉट ऑफिस और घर के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है।
घर बनाना हर किसी का सपना होता है इसीलिए घर बनाने से पहले प्लॉट के बारे में जानकारी हासिल करना बेहद जरूरी होता है। अगर आप सर्कुलर आकार की भूमि खरीद रहे हैं, तो यह रहने के उद्देश्य से काफी उपयोगी होगी।
एक प्लॉट को व्यवस्थित तरीके से काटा जाता है और केवल एक वास्तुकार ही इसकी स्थलाकृति को समझ सकता है। लेकिन आपको प्लॉट का चयन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि उत्तर दिशा में कोई खुली जगह न हो। खुले स्थान का दक्षिण दिशा की ओर होना सबसे अच्छा माना जाता है। जबकि उत्तर दिशा में खुले स्थान के एक बड़ा हिस्से का होना अशुभ माना जाता है। यह विनाश को आकर्षित करता है, इसलिए इससे बचना बेहद जरूरी है।
प्लॉट के प्रवेश द्वार को काटने के लिए सबसे अच्छी दिशा मध्य-पश्चिम या प्लॉट के उत्तरी भाग होता है। पश्चिम दिशा की ओर मुख वाले प्लॉट को खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि यह परिवार के सदस्यों के लिए अशुभ होता है।
जिस प्लॉट में चारों तरफ सड़क हो, उसे शुभ माना जाता है। अगर सभी ओर सड़क बनाना संभव न हो, तो अपने व्यवसाय के अनुसार प्लॉटों का चयन किया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति पेशे से शिक्षक, पुजारी, प्रोफेसर या दार्शनिक है, तो उनके लिए पूर्वमुखी प्लॉट सबसे अच्छा है। इसी तरह जो प्रशासन विभाग या सरकारी कर्मचारी हैं, उसके लिए उत्तरमुखी प्लॉट सबसे उपयुक्त है। व्यवसायी लोगों के लिए दक्षिणमुखी प्लॉट शुभ माना जाता है, जबकि समाज सेवा करने वाले लोगों के लिए पश्चिम दिशा का प्लॉट काफी अनुकूल होता है।
पेड़-पौधे हमेशा इंसान के लिए सबसे अच्छे माने गए हैं। पौधे व्यक्ति को भोजन से लेकर स्वस्थ वातावरण, भाग्य और खुशी प्रदान करते हैं। घर में बगीचा होने से घर का माहौल बदल जाता है। घर रहने के लिए एक खुशहाल जगह बन जाता है। इसी तरह वास्तु में हरियाली से घिरे प्लॉट को अच्छा निवेश माना जाता है। चारों ओर की हरियाली प्लॉट से सभी नकारात्मकता को दूर करती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
हमेशा ऐसे प्लॉट खरीदने से बचें, जिसके साथ किसी तरह का अंधविश्वास जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस तरह के प्लॉट में रहना नामुमकिन सा हो जाता है। इसी तरह प्लॉट खरीदने से पहले उसके आसपास के इलाकों के बारे में भी अच्छी तरह से जांच परख कर लेना चाहिए। वास्तु के अनुसार प्लॉट के आगे, पीछे या बगल में मकबरे, कब्रिस्तान और श्मशान घाट नहीं होने चाहिए। अगर ऐसा प्लॉट मिल रहा हो, तो उसे खरीदने से बचें। असल में ये वे स्थान हैं, जहां मृत लोगों को जलाया जाता है या उनकी कब्रें बनाई जाती हैं। शव जलाए या दफनाए जाने के कारण चारों ओर नकारात्मक कंपन होते हैं। इन स्थानों के पास प्लॉट होने से उस स्थान पर अनिष्ट शक्तियां आकर्षित होती हैं। नतीजतन ऐसे प्लॉट में रहना मुश्किल हो जाता है, जिसके आसपास श्मशान घाट होते हैं। इसके साथ ही अगर प्लॉट के पश्चिम या दक्षिण दिशा में कोई नदी या नहर बह रही हो, तो ऐसे प्लॉट को नहीं खरीदना चाहिए।
स्कूल, कॉलेज या थिएटर के पास प्लॉट लेने से बचना चाहिए। ये स्थान बड़े और भीड़-भाड़ वाले होते हैं, जहां शोरगुल, हंगामा, जाम होते हैं, जो कि अराजकता की ओर ले जाते हैं। इस तरह की संपत्ति को नुकसान भी हो सकता है, इसलिए स्कूल, कॉलेज और थिएटर से कुछ दूरी पर प्लॉट खरीदना बेहतर होता है। आपको अपने पड़ोसियों की छत पर भी नज़र रखनी चाहिए। अगर उनके छत से पानी गिर रहा है, तो प्लॉट का चयन नहीं करना चाहिए।
जब आप कोई प्लॉट खरीदने जा रहे हों, तो आपको इस बात पर गौर करना चाहिए कि कहीं आस-पास ऊंची इमारतें और अपार्टमेंट है या नहीं। वास्तु अनुसार दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम दिशा में ऊंची इमारत वाला प्लॉट का चुनाव करना चाहिए। जबकि उत्तर दिशा में ऊंचा भवन मानसिक समस्याओं को बढ़ावा देता है और शांति को दूर करता है। इसलिए इस दिशा के प्लॉट न खरीदें।
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अगर प्लॉट के आसपास या उसकी गली में अलग-अलग बिजली के खंभे, पोल या खंभों से सटे प्लॉट है, तो आपको इसका चुनाव नहीं करना चाहिए। ऐसा प्लॉट परिवार के लिए अशुभ माना जाता है। साथ ही इस तरह के प्लॉट के सामने खंभा होने की वजह से सामने वाला हिस्सा बिल्कुल अनुपयोगी रह जाता है। जैसा कि हमने आपको पहले भी सलाह दी है, हमेशा प्लॉट का चुनाव वास्तु शास्त्र के सिद्धांतो के अनुरूप ही करना चाहिए।
शुभ प्लॉट | सामान्य प्लॉट | अशुभ प्लॉट |
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प्लॉट के पूर्व से उत्तर-पूर्व भाग की ओर आने वाली सड़क। | प्लॉट की पश्चिम दिशा की ओर से आ रही सड़क प्लॉट के उत्तर पश्चिम भाग से टकरा रही हो। | अगर प्लॉट के पश्चिम कोने से आ रही सड़क दक्षिण-पश्चिम भाग से जुड़े। |
प्लॉट के उत्तर आ रही सड़क उत्तर पूर्व भाग से टकरा रही हो। | प्लॉट की दक्षिण दिशा से आ रही सड़क प्लॉट के दक्षिण पूर्व भाग से जुड़े। | प्लॉट के पूर्व दिशा से आ रही सड़क प्लॉट के दक्षिण पूर्व भाग से टकराए। |
उत्तर की ओर से आ रही सड़क पश्चिम भाग से जुड़े। | ||
प्लॉट के दक्षिण की ओर से आ रही सड़क प्लॉट के दक्षिण-पश्चिम भाग से टकरा रही हो। |
प्लॉट वास्तु शास्त्र में प्लॉट के दक्षिण-पश्चिम की ओर कोई तालाब या कुआं शुभ नहीं माना जाता है। अगर प्लॉट में कोई कुआं, तालाब, झील, नदी या उत्तर-पूर्व की ओर बहने वाली धारा है, तो भी जातक को परेशानी हो सकती है। अगर मिट्टी की बात करें, तो लाल, भूरी या पीली मिट्टी खेती के लिए और भवन की नींव के लिए अच्छी होती है। काली और चिकनी मिट्टी पानी को धारण करती है और नींव में नमी पैदा करती है। साथ ही भूमि के प्लॉट, जिनमें फल और औषधीय जड़ी-बूटियां उगाने की क्षमता होती है, वह काफी अच्छी मानी जाती है, जबकि कंटीली झाड़ियों का प्लॉट में होना अच्छा नहीं होता है।
वास्तु के अनुसार रेतीली मिट्टी वाला प्लॉट खरीदना अशुभ होता है, क्योंकि यह घर की नींव का भार वहन नहीं कर सकता। इसी तरह आपको ऐसा प्लॉट भी नहीं खरीदना चाहिए, जिसमें बहुत सारे कीड़े लगे हों। दरअसल कीड़े मिट्टी को ढीला कर देते हैं और फिर यह मिट्टी निर्माण के लिए को उपयोगी नहीं रह जाती है।
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