खिड़की और दरवाजों के लिए वास्तु शास्त्र

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  • वास्तु अनुसार खिड़की और दरवाजों की दिशा
  • खिड़की और दरवाजों का आकार
  • खिड़की और दरवाजों के लिए शुभ रंग
  • खिड़की और दरवाजों की सजावट के लिए वास्तु शास्त्र
  • खिड़की और दरवाजे का वास्तु दोष
  • खिड़की और दरवाजें के वास्तु दोष का प्रभाव
  • दरवाजे और खिड़की का लॉक
  • दरवाजा और खिड़की किस सामग्री से बनी हो है?
  • दरवाजे और खिड़की के सामने क्या होना चाहिए?
  • दरवाजे के सामने अगर सीढ़ी हो, तो क्या करें?
  • दरवाजें और खिड़की की सम संख्या
  • क्रॉस वेंटिलेशन
  • दीवार का केंद्र
  • साज-सज्जा का सामान
  • समरूपता
  • खिड़की और दरवाजों के लिए वास्तु टिप्स
  • अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

जिस तरह लोग अपने घर, दुकान, बाथरूम, किचन आदि को बनाते समय वास्तु के नियमों का पालन करते है ठीक उसी प्रकार आपको अपने घर की खिड़कियों और दरवाजों के लिए भी वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए, क्योंकि खिड़कियां और दरवाजें घर की ऊर्जा प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। दरवाजों और खिड़कियों की सहायता से ही जातक के घर में सकारात्मक और नकारत्मक ऊर्जा आना-जाना लगा रहता हैं। दरवाजे और खिड़कियाँ आपके घर का प्रवेश द्वार होती हैं, जबकि आपके मेहमान आपके घर आने पर सबसे पहली चीज यानी दरवाजों का सामना करते हैं और उनकी प्रशंसा करते हैं। घर, दरवाजे और खिड़कियों के लिए साज-सज्जा भी काफी महत्वपूर्ण होती है, जिसे वास्तु नियमों की सहायता से करना चाहिए।

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वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान पर आधारित है, जो मनुष्य और प्रकृति के बीच शांति और एकजुटता के सामंजस्य को बढ़ावा देता है। वास्तु शास्त्र सौर ऊर्जा, तापीय ऊर्जा, ब्रह्मांडीय ऊर्जा, चुंबकीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, चंद्र ऊर्जा और प्रकाश ऊर्जा जैसे आसपास के वातावरण में प्रचलित विभिन्न ऊर्जाओं पर निर्भर है। ये परिणामी ऊर्जाएं शांति, समृद्धि और आपकी उपलब्धियों जैसी सकारात्मकता विशेषताओं के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करती हैं। अक्सर यह कहा जाता है कि जब इन सिद्धांतों के अनुसार एक घर बनाया जाता है, तो आप और आपका परिवार जीवन में अद्वितीय भाग्य और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

हालाँकि, यदि आपकी खिड़कियां या दरवाजें इन सिद्धांतों के अनुसार नहीं बनाए गए हैं, तो यह नकारात्मक ऊर्जाओं को जन्म दे सकते हैं, जिससे आपके जीवन में अवांछित मुद्दे और तनाव पैदा हो सकते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो वास्तु आपके घर के भीतर एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाने के लिए रूप और ऊर्जा के बीच एक गतिशील संतुलन बनाए रखने में मदद करते हुए जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करता है।

दरवाजें और खिड़की की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे न केवल आपके घर में हवा, ऊर्जा और प्रकाश के लिए एक मार्ग प्रदान करते हैं बल्कि आसपास की नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा भी प्रदान करते हैं। इसलिए यह सर्वोपरि हो जाता है कि उन्हें सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह और संचलन के लिए खुशी और संतोष की भावना पैदा करने के लिए सही स्थिति में बनाया जाएं। आपको अपने घर में दरवाजें और खिड़कियों का निर्माण करवाते समय वास्तु के नियमों का पालन जरुर करना चाहिए, ताकि आपको वास्तु दोष का सामना न करना पड़ें। चलिए जानते है खिड़की और दरवाजों से जुड़े वास्तु शास्त्र के नियमों के बारें में।

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वास्तु अनुसार खिड़की और दरवाजों की दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार हमेशा उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम में होना चाहिए, क्योंकि इन दिशाओं को वास्तु में काफी शुभ माना जाता है। मुख्य द्वार दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशाओं में नहीं लगाना चाहिए। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार अपने घर में सकारात्मक लाने के लिए खिड़कियों को दरवाजों के विपरीत लगाना चाहिए। इसके अलावा, खिड़कियां लगाने के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा अच्छी नहीं मानी जाती है। उत्तर की दीवार पर ईशान कोण की ओर खिड़कियां लगाने से घर में हवा और रोशनी आती है। वास्तु यह भी कहता है कि घर में खिड़कियों की संख्या सम संख्या होनी चाहिए न कि विषम।

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चलिए जानते है कि वास्तु अनुसार किस दिशा में खिड़की और दरवाजें लगाना शुभ होता हैं।

दिशा दरवाजा खिड़की
उत्तर शुभ शुभ
पूर्व शुभ शुभ
पश्चिम शुभ शुभ
दक्षिण अशुभ अशुभ
उत्तर-पूर्व शुभ शुभ
दक्षिण-पश्चिम अशुभ अशुभ

खिड़की और दरवाजों का आकार

वास्तु अनुसार घर में खिड़कियां और दरवाजें होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि खिड़कियां और दरवाजे ऊर्जा के प्रभाव में सहायक होते हैं, इसीलिए अपने घर में खिड़की और दरवाजें बनवाते समय आपको वास्तु नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसी के साथ आपको इन के आकार पर भी ध्यान देना चाहिए।

  • वास्तु दिशानिर्देशों के अनुसार जातक को अपने घर का मुख्य दरवाजा बनवाते समय उसकी लंबाई हमेशा चौड़ाई से दोगुनी रखनी चाहिए।
  • वही आपको अपने घर के मुख्य दरवाजे का आकार घर के बाकी दरवाजों से बड़ा रखना चाहिए।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के दरवाजों के लिए लकड़ी की चौखट का उपयोग करना सही होता है।
  • अगर आप अपने घर में खिड़कियां लगाना चाहते हैं, तो आपको इन्हें सम संख्या यानी 2, 4, 6, 8, 10 आदि में लगानी चाहिए।
  • वास्तु शास्त्र में दरवाजे और खिड़कियों का आकार बेहद महत्वपूर्ण होता है, इसीलिए उन्हें ध्यान पूर्वक बनाना चाहिए।
  • आपके घर की खिड़कियां दरवाजे के मुताबिक आकार में छोटी होनी चाहिए।
  • वास्तु अनुसार आपको अपने घर में खिड़कियां और दरवाजें इस प्रकार लगाने चाहिए कि वह अंदर की तरफ खुले ना कि बाहर की तरफ।

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खिड़की और दरवाजोंं के लिए शुभ रंग

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  • वास्तु के अनुसार घर के दरवाजों को रंगने से घर में सकारात्मक वातावरण पैदा होता है, जिससे जातक को काफी लाभ होता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार दरवाजों पर हल्के पीले, लकड़ी के रंग या मिट्टी के रंग का चुनाव करना चाहिए।
  • वास्तु अनुसार आपको घर के दरवाजों पर लाल या नारंगी जैसे चमकीले रंगों के प्रयोग से बचना चाहिए।
  • आपको मुख्य द्वार को रंगने के लिए कभी भी काले रंग का प्रयोग न करें, क्योंकि यह गहरे रंग उदासी, अहंकार आदि नकारात्मक भावनाओं को जन्म देते हैं।
  • घर के बेडरूम के दरवाजे के लिए सफेद रंग का चुनाव करना चाहिए, क्योंकि यह रंग जातक के जीवन में शांति और खुशियां लाता है।

दिशा अनुसार दरवाजों के लिए रंग

  • पश्चिम: नीला और सफेद।
  • दक्षिण और दक्षिण-पूर्व: चांदी, नारंगी और गुलाबी।
  • दक्षिण-पश्चिम: पीला।
  • उत्तर: हरा।
  • उत्तर-पूर्व: क्रीम और पीला।
  • उत्तर-पश्चिम: सफेद और क्रीम।
  • पूर्व: इस दिशा के लिए सफेद, लकड़ी का रंग या हल्का नीला रंग।

वास्तु अनुसार खिड़की और दरवाजों के लिए शुभ और अशुभ रंग

दिशा दरवाजा
काला ( अशुभ) काला (अशुभ)
धातुई पेंट( शुभ ) लकडी का रंग( शुभ)
लकडी का रंग( शुभ) लाल( शुभ)
हल्के रंग ( शुभ) भूरा ( शुभ)
सफेद ( शुभ) गुलाबी( शुभ)
हल्का पीला ( शुभ) धातुई पेंट ( शुभ)
बेज ( शुभ) हल्का पीला ( शुभ)

खिड़की और दरवाजों की सजावट के लिए वास्तु शास्त्र

  • वास्तु शास्त्र के अनुसार आपको अपने घर के दरवाजों और खिड़कियों को सजाना चाहिए, ताकि वह आकर्षित लग सकें।
  • वास्तु शास्त्र घर के दरवाजों को तोरण से सजा सकते हैं। यह घर के लिए काफी शुभ माने जाते हैं।
  • इसी के साथ आप अपने घर के दरवाजे पर माता लक्ष्मी, ओम, स्वास्तिक आदि जैसे शुभ चिन्हों को लगा सकते हैं।
  • वही आप अपने घर के मुख्य दरवाजे को मनी प्लांट, तुलसी आदि पौधों से सजा सकते हैं। लेकिन आपको कांटेदार पौधों का इस्तोमाल नहीं करना चाहिए।
  • घर में धन की वृद्धि के लिए आप मुख्य द्वार पर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति रख सकते हैं या उनकी तस्वीर लगा सकते हैं।
  • खिड़कियों को और भी आकर्षक बनाने के लिए आप तोरण का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • आप अपने घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए काले घोड़े की नाल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • आप अपने घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली बना सकते हैं।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार आपको अपने घर की खिड़की और दरवाजें को एक ही प्रकार की सामग्री से बनाना चाहिए।
  • इसी के साथ आप अपनी खिड़कियों पर पेड़ पौधे भी सजा सकते हैं।

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खिड़की और दरवाजों का वास्तु दोष

  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है। लेकिन अगर आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है, तो यह वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है।
  • इसी के साथ घर की बड़ी और मुख्य खिड़कियां उत्तर या पूर्व दिशा में होनी चाहिए। दक्षिण दिशा में होने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के खिड़की और दरवाजे अंदर की तरफ खुलने चाहिए, क्योंकि अगर यह दरवाजे बाहर की तरफ खोलते हैं, तो वास्तु दोष उत्पन्न कर सकते हैं।
  • वही आपको अपने घर में खिड़कियां और दरवाजे की कुल संख्या सम( 2,4,6,8,10) होनी चाहिए। अगर यह विषय में होती है, तो घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।
  • अगर घर के खिड़की और दरवाजे सही आकार में ना बनाए जाएं, तो भी घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है।
  • वास्तु शास्त्र में दिशा काफी महत्वपूर्ण होती हैं, इसीलिए खिड़की दरवाजों को सही दिशा में बनाना चाहिए। अगर इन सही दिशा में ना बनाई जाएं, तो घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।
  • अगर आप अपने घर के मुख्य दरवाजे पर काले रंग का पेंट करते हैं, तो यह भी वास्तु दोष का कारण बनता है।
  • वही आपको घर के खिड़की पर भी काले रंग का पेंट नहीं करना चाहिए। इसके कारण वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार त्रिकोण आकार, गोलाकार, वर्गाकार या बहुभुज आकृति में नहीं होना चाहिए। यह वास्तु दोष का कारण बनता है।
  • इसी के साथ कुछ दरवाजे ऐसे होते हैं, जिनमें खिड़कियां भी साथ में होते हैं। लेकिन ऐसे दरवाजे घर में वास्तु दोष का कारण बनते हैं।
  • वास्तु शास्त्र मुख्य द्वार खोलते ही सामने सीढ़िया नहीं होनी चाहिए। इसके कारण घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।

खिड़की और दरवाजें के वास्तु दोष का प्रभाव

  • पूर्व दिशा में दरवाजा और खिड़की बनाने से जातक को लाभ होता है।
  • अगर आपके घर के खिड़की और दरवाजे अंदर की बजाय बाहर की तरफ खोलते हैं, तो इसके कारण घर में धन हानि हो सकती है।
  • आपके घर खिड़कियां और दरवाजे सम संख्या में होने चाहिए अगर ऐसा नहीं होता है, तो इसके कारण जातक को वास्तु दोष का सामना करना पड़ता है।
  • अगर किसी कारणवश आप अपने घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में नहीं बना पाए, तो आपको रोजाना पूजा पाठ के बाद मुख्य द्वार के दोनों ओर गणेश जी का चिन्ह लगाना चाहिए, ऐसा करने से वास्तु दोष दूर हो जाता है।
  • अगर आप अपने घर के खिड़की और दरवाजे पर काले रंग का पेंट करते हैं, तो यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करता है।
  • अगर खिड़की और दरवाजे सही आकार में नहीं होते, तो वह घर में वास्तु दोष उत्पन्न करते हैं, जिसके कारण जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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दरवाजे और खिड़की का लॉक

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  • खिड़की और दरवाजें वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का प्रवेश द्वार सकारात्मक ऊर्जा, धन और समृद्धि को आकर्षित करता है। सुनिश्चित करें कि मुख्य दरवाजे का ताला सुचारू रूप से काम करें।
  • यदि मुख्य द्वार पूर्व की ओर है, तो आपको तांबे के ताले का प्रयोग करना चाहिए। पश्चिममुखी द्वार के लिए लोहे के ताले सबसे अच्छे होते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व शनिदेव करते हैं। उत्तर दिशा में पीतल के ताले का प्रयोग करें। यदि मुख्य द्वार दक्षिण में है, तो पांच धातुओं से बना एक ताला चुनें जो 'पंच धातु' है।
  • जंग लगे या टूटे हुए ताले और चाबियों का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह घर के लिए शुभ नहीं होते हैं। लकड़ी की चाबियों के लिए ऊर्जा को संतुलित करने के लिए चाबियाँ धातु से बनी होनी चाहिए।
  • वहीं चाबियों को हमेशा एक उचित स्टैंड में रखें। इसे खाने की मेज पर जूते के रैक के ऊपर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार आपको अपनी खिड़की में लॉक जरूर लगवाना चाहिए।

दरवाजा और खिड़की किस सामग्री से बनी हो?

वास्तु शास्त्र के अनुसार सामने के दरवाजे को डिजाइन करने के लिए लकड़ी को एक शुभ सामग्री माना जाता है। मुख्य द्वार उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी से बना होना चाहिए। कोई भी सागौन की लकड़ी या होन वुड जैसी किस्मों को चुनाव कर सकते है। नारियल या पीपल के पेड़ की लकड़ी का प्रयोग न करें।

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पूरी दुनिया में कई तरह के पेड़ मौजूद हैं जिसका मतलब है कि लकड़ी की विभिन्न किस्में उपलब्ध हैं। लोगों को अक्सर लगता है कि सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली लकड़ी का उपयोग करना जो कि कीमत में सस्ता हो, उस पर विचार किया जाना चाहिए। लेकिन वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार सागौन की लकड़ी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सागौन उपलब्ध ठोस लकड़ी में से एक के रूप में जाना जाता है, जिसका उपयोग लंबे समय तक चलने वाले दरवाजों और खिड़कियों के लिए किया जाता है।

दरवाजे और खिड़की के सामने क्या होना चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार के सामने किसी भी प्रकार का वैध जैसे मार्ग वेद, वृक्ष वेद, पंख वेद, जल वेद, मंदिर, स्तंभ नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह घर के लोगों के लिए आर्थिक परेशानी लेकर आता है। घर की खिड़कियों को दक्षिण दिशा में नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि यह गम की दशा मानी जाती है। दक्षिण दिशा में खिड़की बनाने से घर में जातक अशांति और स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आपके घर में दक्षिण दिशा में खिड़की है, तो आपको उसे हमेशा बंद रखना चाहिए।

आपको पौधों या हैंगिंग जैसे किसी अवरोध के बिना प्रवेश द्वार को साफ और अच्छी तरह से बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही प्रवेश द्वार के सामने मंदिर से बचना चाहिए और प्रवेश द्वार को चौड़ा, साफ और सकारात्मक रखें।

दरवाजें के सामने अगर सीढ़ी हो, तो क्या करें?

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वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के प्रवेश दरवाजें के सामने सीढ़ी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह घर में वास्तु दोष उत्पन्न करती है, इसीलिए आपको मुख्य दरवाजे को खोलते ही सामने सीढ़ियों का निर्माण नहीं करवाना चाहिए। लेकिन अगर आपके घर में सीढ़ियां हैं, तो आपको वास्तु दोष के उपाय करने चाहिए। इसके लिए आपको सीढ़ियां के बीच में एक घंटी या शीशा लगाना चाहिए, इससे वास्तु दोष दूर हो जाता है। इसी के साथ मुख्य द्वार एवं सीढ़ियों के मध्य नकली पौधे या फूलों या क्रिस्टल बॉल से टांग कर वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है।

दरवाजें और खिड़की की सम संख्या

वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि घर में चाहे कितनी भी खिड़कियां और दरवाजे हों, वे सम संख्या में होने चाहिए। एक, तीन, पाँच, सात, नौ, और तेरह आदि संख्या से बचना चाहिए। ऊर्जा के बेहतर प्रवाह के लिए खिड़कियों और दरवाजों की एक समान संख्या का उपयोग करने का प्रयास करें।

क्रॉस वेंटिलेशन

खिड़कियां और दरवाजे विशेष रूप से क्रॉस वेंटिलेशन के उद्देश्यों के लिए होती हैं। यदि आप नया घर बना रहे है, तो क्रॉस-वेंटिलेशन को ध्यान में रखते हुए खिड़कियों को ठीक करने का प्रयास करें। इसके अलावा, सभी खिड़कियों और दरवाजों को विपरीत दिशा में लगाना चाहिए। क्योंकि यह अधिक प्रकाश को आकर्षित करेगा और अधिक हवा को प्रवेश करने और क्षेत्र को हल्का रखेगा।

दीवार का केंद्र

वास्तु शास्त्र के अनुसार कमरे के बीच में कोई खंभा, दरवाजा या कुछ और नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, दरवाजे कभी भी दीवार के केंद्र में नहीं होने चाहिए, क्योंकि वे कोनों में अच्छे लगते हैं।

साज- सज्जा का सामान

एक घर अपने फर्नीचर, पेंटिंग, मूर्तियों और साज-सज्जा के सामानों के बिना अधूरा है। वास्तु शास्त्र कहता है कि घर की साज-सज्जा करना बहुत अच्छा है। लेकिन बेहतर परिणाम और अधिक समृद्धि के लिए चौकोर आकार की वस्तुओं का उपयोग न करें। ऐसे फर्निशिंग रखने की कोशिश करें जो कम कट के साथ गोलाकार, आयताकार और किसी भी अन्य अद्वितीय आकार के हों और सुरुचिपूर्ण दिखें।

समरूपता

घर को अच्छा और आकर्षक दिखाने के लिए खिड़कियों के लिए हमेशा सही अनुपात और ऊंचाई का ध्यान रखें। वास्तु शास्त्र बताता है कि सभी खिड़कियों में समरूपता होनी चाहिए और ऊंचाई के संबंध में दाईं ओर और समान अनुपात में होनी चाहिए।

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खिड़की और दरवाजें के लिए वास्तु टिप्स

खिड़की और दरवाजें घर के लिए काफी महत्वपूर्ण होते है और वास्तु हमें कुछ बुनियादी मानदंडों के बारे में एक अंतर्दृष्टि और सुझाव भी देता है, जिनका दरवाजे और खिड़कियों के निर्माण के दौरान पालन किया जाना चाहिए:

  • वास्तु के अनुसार आपके घर की खिड़कियां और दरवाजे सम संख्या में होने चाहिए जैसे 2, 4, 6, 8 आदि।
  • वास्तु के अनुसार आपका मुख्य द्वार किसी भी तरह की बाधा से मुक्त होना चाहिए जैसे कि पौधे, बड़े पेड़, सीढ़ियां, खंभा आदि। इसके अतिरिक्त, आपके दरवाजे के मुख्य द्वार के सामने मंदिर नहीं होना चाहिए। इसी तरह भगवान का कोई भी चित्र दरवाजे के बाहर नहीं लगाना चाहिए।
  • गणेश, ओम, लक्ष्मी और स्वस्तिक चित्रों जैसे शुभ सजावटी सामानों से दरवाजें को सजाया जा सकता है।
  • दरवाजें और खिड़कियां एक-दूसरे के विपरीत होनी चाहिए। यह हवा के उचित प्रवाह को सक्षम करने के लिए किया जाता है, जिससे कमरों के बीच क्रॉस-वेंटिलेशन की सुविधा मिलती है। इसके अलावा, एक कमरे से दूसरे कमरे तक प्रकाश के पर्याप्त संचरण मे भी मददगार है।
  • अपने मुख्य दरवाजों का निर्माण करते समय आपको हमेशा सागौन का विकल्प चुनना चाहिए, क्योंकि यह निस्संदेह दरवाजे और खिड़कियों के निर्माण में उपयोग की जाने वाली सबसे अच्छी सामग्री है।
  • यदि आपके घर में दो मुख्य द्वार हैं, तो उस स्थिति में पूर्व की दिशा में उत्तर और पश्चिम, पश्चिम के साथ उत्तर और पूर्व की दिशा में दरवाजों के संयोजन का विकल्प चुनें। हालाँकि, दक्षिण और पश्चिम / पूर्व की दिशा से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
  • इसी तरह खिड़कियों का चुनाव करते समय उत्तर की दीवार में खिड़कियां लंबी और चौड़ी होने के साथ-साथ उत्तर-पूर्व की ओर अधिक झुकी होनी चाहिए। यह हवा और आवश्यक सूर्य की रोशनी को बिना किसी रुकावट के घर के भीतर प्रसारित करने में सक्षम बनाता है।
  • इसके अलावा पूर्व की ओर की दीवार पर रखी गई किसी भी खिड़की का झुकाव उत्तर-पूर्व की ओर अधिक होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • दो घरों या अपार्टमेंटों का मुख्य प्रवेश द्वार एक-दूसरे की ओर बाहर की ओर नहीं खुलना चाहिए, क्योंकि यह अत्यंत अशुभ माना जाता है।
  • दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर वाली खिड़कियों से किसी भी कीमत पर बचना चाहिए, क्योंकि सूर्य के प्रकाश की हानिकारक, गर्म पराबैंगनी किरणें इस दिशा में अधिकतम प्रक्षेपित होती हैं। इसलिए इस दिशा में खिड़कियां न खोलने की सलाह दी जाती है।
  • एक महत्वपूर्ण कारक जिस पर प्रत्येक घर के लिए विचार किया जाना चाहिए, वह यह है कि हवा का संचलन हर समय बिंदु पर होना चाहिए। नियमित अंतराल पर प्रवाह सुनिश्चित करते हुए हवा को अपने परिसर में स्वतंत्र रूप से प्रवेश करने और बाहर निकलने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि यदि आपके परिसर में रुका हुआ पानी है, तो आपके घर में हवा का अपर्याप्त प्रवाह होने से हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा मिल सकता है। इससे उत्पन्न होने वाली स्थिर हवा घर के घर के लोगों के लिए उपयुक्त नहीं होती है। इस प्रकार उचित वेंटीलेशन खुश और स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करता है।
  • आपके घर की सभी खिड़कियाँ एक समान आकार की होनी चाहिए और साथ ही ऊँचाई और आकार में भी समानुपातिक होनी चाहिए। इसके अलावा, दरवाजे और खिड़कियां आकार में आयताकार होना चाहिए। फैंसी आकार और अनियमित आकार के दरवाजे रखने से बचें, क्योंकि उन्हें शुभ नहीं होते।
  • आपको स्वचालित दरवाजों से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार जो दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं, उनका असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
  • दरवाजे और खिड़कियां किसी भी क्षति या दरार से रहित होनी चाहिए। यदि कोई क्षति या दरारें पाई जाती हैं, तो उन्हें तत्काल बदल दिया जाना चाहिए, क्योंकि इसे वास्तु के अनुसार अत्यंत अशुभ माना जाता है।
  • यदि आपके दरवाजे या खिड़कियां खोलते या बंद करते समय शोर करते हैं, तो इसे जल्द से जल्द मरम्मत या बदल देना चाहिए या इसके परिणामस्वरूप आपके घर में अनावश्यक झगड़े हो सकते हैं।
  • वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा की ओर बना हुआ द्वार अत्यंत अनुकूल माना जाता है। इसके अलावा, पश्चिमी और उत्तरी दिशाओं का सामना करने वाले प्रवेश द्वार भी बनाए जा सकते हैं। हालांकि, दक्षिण दिशा में किसी भी प्रवेश को अत्यधिक अनुपयुक्त माना जाता है। इसी तरह अपने घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में या किसी भी संपत्ति के लिए खिड़कियां या दरवाजे बनाने से बचें।

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