हिंदू कैलेंडर में, पूर्णिमा का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, जो चंद्रमा की अधिकतम चमक और पूर्णता का प्रतीक है। "पूर्णिमा" शब्द संस्कृत से आया है, जिसका अर्थ है 'पूरा चांद'। हिंदू धर्म में इस दिन को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में पूर्णिमा एक अत्यधिक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह एक चंद्र माह के अंत और दूसरे की शुरुआत का प्रतीक है। लोगों का मानना है कि इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और उसका गुरुत्वाकर्षण बल सबसे अधिक होता है। यह दिन आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए अत्यधिक शुभ है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई कोई भी पूजा या अनुष्ठान के सफल होने की संभावना अधिक होती है।
पूर्णिमा विभिन्न हिंदू त्यौहारों से भी जुड़ी है, जैसे होली, रक्षा बंधन और गुरु पूर्णिमा। लोग इन त्यौहारों को खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं में, पूर्णिमा को भगवान बुद्ध के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है, जिन्हें बौद्ध धर्म का संस्थापक माना जाता है। कहा जाता है कि यह वह दिन है, जब भगवान विष्णु अपने मत्स्य अवतार में प्रकट हुए थे, जो कि मछली का अवतार है।
हिंदू धर्म में, पूर्णिमा एक बेहद महत्वपूर्ण दिन है और हिंदू धर्म के लोग इसे खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। यह दिन आध्यात्मिक प्रतिबिंब, धार्मिक और खुशी के उत्सव का शुभ समय होता है।
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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पौषी पूर्णिमा 2023 | 06 जनवरी 2023, शुक्रवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 06 जनवरी रात 02ः14 |
पूर्णिमा समाप्त | 07 जनवरी सुबह 04ः37 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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माघ पूर्णिमा 2023 | 04 फरवरी 2023, रविवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 04 फरवरी रात 09ः29 |
पूर्णिमा समाप्त | 05 फरवरी दोपहर 01ः58 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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फाल्गुन पूर्णिमा 2023 | 07 मार्च 2023, मंगलवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 06 मार्च शाम 04ः17 |
पूर्णिमा समाप्त | 07 मार्च शाम 06ः09 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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चैत्र पूर्णिमा | 05 अप्रैल 2023, बुधवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 05 अप्रैल सुबह 09ः19 |
पूर्णिमा समाप्त | 06 अप्रैल सुबह 10ः04 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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वैशाख पूर्णिमा | 05 मई 2023, शुक्रवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 04 मई दोपहर 01ः44 |
पूर्णिमा समाप्त | 05 मई दोपहर 11ः03 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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ज्येष्ठ पूर्णिमा | 03 जून 2023, शनिवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 03 जून सुबह 11ः16 |
पूर्णिमा समाप्त | 04 जून सुबह 09ः11 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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गुरु पूर्णिमा | 03 जुलाई 2023, सोमवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 02 जुलाई रात 08ः21 |
पूर्णिमा समाप्त | 03 जुलाई शाम 05ः08 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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श्रावण पूर्णिमा | 31 अगस्त 2023, गुरुवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 30 अगस्त सुबह 10ः58 |
पूर्णिमा समाप्त | 31 अगस्त सुबह 07ः05 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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भाद्रपद पूर्णिमा | 29 सितंबर 2023, शुक्रवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 28 सितंबर शाम 06ः49 |
पूर्णिमा समाप्त | 29 सितंबर दोपहर 03ः26 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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शरद पूर्णिमा | 28 अक्टूबर 2023, शनिवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 28 अक्टूबर सुबह 04ः17 |
पूर्णिमा समाप्त | 29 अक्टूबर रात 01ः53 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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कार्तिक पूर्णिमा | 27 नवबंर 2023, सोमवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 25 नवबंर दोपहर 03ः53 |
पूर्णिमा समाप्त | 27 नवबंर दोपहर 02ः45 |
पूर्णिमा व्रत 2023 | पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त |
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2023 | 26 दिसबंर 2023, मंगलवार |
पूर्णिमा प्रांरभ | 26 दिसबंर सुबह 05ः46 |
पूर्णिमा समाप्त | 27 दिसबंर सुबह 06ः02 |
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पूर्णिमा से जुड़ी कई प्रसिद्ध कथाएं हैं, जो इस दिन के महत्व को बताती हैं और हिंदू धर्म की आध्यात्मिक मान्यताओं में अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं:
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्णिमा वह दिन है जब बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। भगवान बुद्ध की मां, रानी माया अपने माता-पिता के घर जा रही थीं, जब उन्हें अचानक प्रसव पीड़ा हुई और उन्होंने लुम्बिनी के एक बगीचे में भगवान बुद्ध को जन्म दिया। इसलिए जैसे ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, उन्होंने सात कदम उठाए और घोषणा की कि यह पृथ्वी पर उनका अंतिम जन्म होगा। यह कथा पूर्णिमा के आध्यात्मिक महत्व और ज्ञान प्राप्त करने के महत्व पर प्रकाश डालती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर बाढ़ आ गई थी और वह काफी खतरनाक थी, जिसके कारण पूरी पृथ्वी का विनाश हो सकता था। लेकिन पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान विष्णु मछली (मत्स्य) के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने ऋषि मनु को एक नाव बनाने और सभी जीवित प्राणियों और पौधों के बीजों को अपने साथ ले जाने का निर्देश दिया। जब बाढ़ शांत हुई, तो भगवान विष्णु ने मनु को अपना असली रूप दिखाया और उन्हें आशीर्वाद दिया। यह कहानी भगवान विष्णु की शक्ति और महत्व का प्रतीक है।
पूरे भारतवर्ष में फाल्गुन पूर्णिमा पर होली का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जाता है। कथा के अनुसार एक बार, हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद को मारना चाहता था, जो भगवान विष्णु का भक्त था। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में लेने और आग में प्रवेश करने के लिए कहा, क्योंकि उसके पास एक वरदान था जिसके कारण वह आग में नहीं जल सकती थी। हालांकि, होलिका जलकर राख हो गई थी और प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने बचा लिया था। यह कहानी बुराई पर अच्छाई की जीत और ईश्वर की भक्ति और शक्ति का प्रतीक है।
गुरु पूर्णिमा एक बेहद ही खास त्यौहार है, जो शिक्षकों और गुरुओं को समर्पित है। एक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि व्यास ने अपने शिष्य शुक से अपनी सिखाएं ज्ञान का ब्यौरा देने के लिए कहा, जिस पर शुक ने ऋषि व्यास से भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा प्रकट की। कहा जाता है कि इसके बाद से ही गुरु पूर्णिमा मनाई जानें लगी, जो अपने शिक्षकों और गुरुओं से सीखने के महत्व का प्रतीक है।
हिंदू धर्म के साथ-साथ दुनिया भर की कई अन्य संस्कृतियों में पूर्णिमा तिथि बहुत महत्व रखती है। यह दिन अत्यधिक शुभ है और यह आध्यात्मिक प्रथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों और उत्सवों से जुड़ा है। हिंदू धर्म में, पूर्णिमा एक चंद्र महीने के अंत और दूसरे की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन, चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और इसका गुरुत्वाकर्षण बल सबसे अधिक होता है। इसलिए कोई भी आध्यात्मिक या धार्मिक अनुष्ठान जो इस दिन किया जाता है, वह अधिक प्रभावी और लाभकारी होता है। पूर्णिमा व्रत के कई आध्यात्मिक लाभ होते हैं। पूर्णिमा विभिन्न हिंदू त्यौहारों और समारोहों से भी जुड़ी है, जैसे होली, रक्षा बंधन और गुरु पूर्णिमा। लोग इन त्यौहारों को बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं।
इसके अलावा, पूर्णिमा आत्मनिरीक्षण और आत्म-प्रतिबिंब के लिए एक अच्छा दिन है। यह आध्यात्मिक विकास पर विचार करने और ज्ञान प्राप्त करने का शुभ समय है। बहुत से लोग अपनी आत्मा को शुद्ध करने और पुण्य प्राप्त करने के लिए इस दिन पूर्णिमा व्रत रखते हैं और दान के कार्य करते हैं। इसके अलावा, पूर्णिमा जीवन के प्राकृतिक चक्र से भी जुड़ी है। पूर्णिमा पूर्णता और प्रयासों का प्रतिनिधित्व करती है। इस समय लोग देवी की पूजा भी करते है, जो उर्वरता, प्रचुरता और पोषण का प्रतिनिधित्व करती हैं। हिंदू धर्म में पूर्णिमा बहुत महत्व रखती है और इसे बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह आध्यात्मिक प्रतिबिंब, धार्मिक और खुशी के उत्सव का दिन है। यह एक चंद्र चक्र के पूरा होने और दूसरे की शुरुआत का प्रतीक है।
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यहां कुछ पूर्णिमा तिथि पर मनाएं जानें वाले त्यौहार दिए गए हैं, जो भारत में धूम-धाम से मनाए जाते हैं:
हिंदू पंचांग में पूर्णिमा का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हैं और लोग इसे भक्ति और उत्साह के साथ मनाते हैं। साथ ही कई लोग पूर्णिमा व्रत भी रखते है। प्रत्येक त्यौहार का अपना एक अलग महत्व और परंपराएं होती हैं और इस दिन लोग प्रार्थना, भगवान का आशीर्वाद लेने और प्रकृति की प्रचुरता का जश्न मनाने के लिए एक साथ एकत्रित होते हैं, जो एकता का प्रतीक माना जाता है।
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि पर पूजा करना बेहद ही शुभ माना जाता है। इस दिन दिव्य ऊर्जा अपने चरम पर होती है और पूजा करने से व्यक्ति को परमात्मा से जुड़ने और उनका आशीर्वाद लेने में मदद मिलती है। पूर्णिमा पूजा में आमतौर पर भगवान शिव, देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु सहित विभिन्न देवताओं की पूजा की जाती है। आमतौर पर, शाम के समय पूर्णिमा पूजा की जाती हैं और इसमें विभिन्न अनुष्ठान और भगवान को विभिन्न प्रकार का भोग अर्पित किया जाता है। पूजा की शुरुआत देवी-देवताओं के आह्वान के साथ मंत्रों के जाप और धूप और दीप जलाने से होती है। पूजा में देवताओं को फूल, फल और मिठाई का भोग लगाया जाता है। इसके बाद भजन और प्रार्थना की जाती है।
कुछ जगहों पर पूर्णिमा के दिन व्रत रखा जाता है और चंद्रमा की पूजा करने के बाद उपवास खोला जाता है। पूर्णिमा पूजा का महत्व भक्त को परमात्मा से जोड़ने और उनका आशीर्वाद लेने में मदद करता है। ऐसा माना जाता है कि पूजा करने से व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है, बाधाओं को दूर कर सकता है और अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त कर सकता है।
पूर्णिमा पूजा का आध्यात्मिक महत्व के अलावा, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह परिवारों और समुदायों के एक साथ आने, उनकी आस्था और परंपरा का जश्न मनाने, यह भोजन या प्रसाद बांटने और सामाजिक बंधनों को मजबूत करने का समय है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा पूजा एक अत्यधिक शुभ और लाभकारी अनुष्ठान है। यह परमात्मा से जुड़ने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का तरीका है। साथ ही पूर्णिमा पूजा के दौरान सभी लोग एक साथ मिलकर भगवान की पूजा करते हैं, जो एकता का प्रतीक और सामाजिक बंधन को मजबूत बनाने की ओर प्रेरित करता है। पूजा भक्ति और श्रद्धा के साथ की जाती है और यह आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और परमात्मा का आशीर्वाद पाने में मदद करती है।
पूर्णिमा पूजा करना परमात्मा से जुड़ने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। आप पूर्णिमा तिथि पर इस प्रकार भगवान का पूजन कर सकते है:
अगर जातक भक्ति भाव के साथ पूर्णिमा तिथि पर पूजा करता है, तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। आप घर या मंदिर में इस पूजा का आयोजन कर सकते है, क्योंकि यह पूजा भक्त को भगवान से जुड़ती है। पूर्णिमा पूजा 2023 करने से आप आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, बाधाओं को दूर कर सकते हैं और अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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हिंदू धर्म में पूर्णिमा पूजा करना अत्यधिक शुभ और लाभकारी माना जाता है। पूर्णिमा पूजा 2023 करने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
ज्योतिष में, पूर्णिमा को पूरे चंद्रमा का दिन माना जाता है, क्योंकि इसका मानव और पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। पूर्णिमा का कुछ ज्योतिषीय महत्व इस प्रकार है:
पूर्णिमा क्या है?
पूर्णिमा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है पूरा चंद्रमा। हिंदू पंचांग में यह एक महत्वपूर्ण दिन है, जब चंद्रमा आकाश में आकर्षित और पूर्ण रूप में दिखाई देता है।
पूर्णिमा कब पड़ती है?
हिंदू पंचांग में, पूर्णिमा हर महीने में एक बार आती है, जो चंद्र माह के शुक्ल पक्ष के 15 वें दिन मनाई जाती है।
पूर्णिमा का क्या महत्व है?
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बड़ा आध्यात्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास, ध्यान और दान जैसे आध्यात्मिक काम करने से सकारात्मक ऊर्जा और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।
पूर्णिमा से जुड़े कुछ अनुष्ठान क्या हैं?
लोग पूर्णिमा पर विभिन्न अनुष्ठान करते हैं, जैसे कि चंद्रमा की पूजा करना, पवित्र नदियों में स्नान करना, दान और उपवास रखना आदि। माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन यह अनुष्ठान करना शुभ होता हैं।
किस पूर्णिमा को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है?
आषाढ़ (जून-जुलाई) के महीने में आने वाली पूर्णिमा को सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि इसे गुरु पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है, जो अपने गुरुओं को सम्मान देने का शुभ दिन है।
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