होलिका दहन जिसे ‘छोटी होली’ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह होली के रंगीन त्यौहार से एक दिन पहले मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु की मदद से ‘होलिका’ नाम की राक्षसी की मौत का जश्न होता है। होलिका दहन 2023 (Holika Dahan 2023) में 7 मार्च को हर्षोल्लास के साथ किया जाएगा।
इसी के साथ होलिका दहन फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। अगले दिन, रंगों का त्यौहार (धुलैंडी, धुलंडी और धूली के नाम से भी जाना जाता है) मनाया जाता है। इस त्यौहार का उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जिसे सभी लोग एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लागकर खुशी के साथ मनाते है।
फाल्गुन के हिंदू महीने के दौरान पूर्णिमा के दिन होली का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है और इसलिए होलिका दहन रंग खेलने वाली होली से एक दिन पहले मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार होली फरवरी-मार्च के महीने में मनाई जाती है। होलिका दहन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो पूरे भारत में किया जाता है। यह हिंदुओं का दो दिवसीय त्यौहार है और होली (holi) की पूर्व संध्या को ‘होलिका दहन’ कहा जाता है।
भारत के कुछ हिस्सों में इसे ‘होलिका’ या ‘कामदु चिता’ के नाम से भी जाना जाता है। यह उन त्यौहारों में से एक है, जो सभी धार्मिक भेदभावों को खत्म करती है। एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार होने के बावजूद, यह अन्य समुदायों और क्षेत्रों द्वारा भी मनाई जाती है। साथ ही होली का त्यौहार ढेर सारे रंगों, मस्ती और उल्लास के साथ मनाया जाता है और भाईचारे, समानता के संदेश को बढ़ावा देता है।
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हिंदू शास्त्रों के अनुसार, होलिका दहन ‘प्रदोष काल’ (सूर्यास्त के ठीक बाद की अवधि) के दौरान किया जाना चाहिए, जबकि पूर्णिमा तिथि प्रबल होती है। इस तिथि के पूर्वार्द्ध में भद्रा (अशुभ समय) प्रबल रहता है, इसलिए भद्रा के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए। साथ ही होलिका दहन 2023 (Holika Dahan 2023) 7 मार्च, मंगलवार के दिन किया जाएगा।
यहां 2023 होलिका दहन का मुहूर्त, तिथि और भद्रा का समय हैः
| सूर्योदय | 7 मार्च 2023, सुबह 06ः28 |
| सूर्यास्त | 7 मार्च 2023, शाम 06ः28 |
| पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 06 मार्च 2023 को दोपहर 04ः17 |
| पूर्णिमा तिथि समाप्त | 07 मार्च 2023, शाम 06ः10 |
| होलिका दहन मुहूर्त | 07 मार्च 2023, शाम 06ः28 से रात 08ः56 तक |
| भद्रा मुख समय | 07 मार्च 2023, दोपहर 02ः58 से शाम 05ः06 तक |
| भद्रा पुंछ समय | 07 मार्च 2023, दोपहर 04ः53 से शाम 06ः10 तक |
| भाई दूज | 9 मार्च 2023, गुरुवार |
| बसौड़ा( शीतला अष्टमी) | 15 मार्च 2023, बुधवार |
होलिका दहन की कहानी शक्तिशाली राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की कहानी से शुरू होती है, जिसे ब्रह्मा द्वारा वरदान दिया गया था कि वह अमर रहेगा और अपनी पसंद का कोई भी रूप लेने की शक्ति होगी, इन शक्तियाँ ने उसे अजेय बना दिया था।
हिरण्यकश्यप इतना शक्तिशाली था कि सभी को उसे भगवान मानकर उसकी पूजा करनी पड़ती थी। लेकिन उनके पुत्र प्रह्लाद, जो भगवान विष्णु के भक्त थे, ने अपने पिता को भगवान के रूप में पूजा करने से इनकार कर दिया। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को अपनी महानता दिखाने की कई बार कोशिश की। लेकिन हर बार असफल रहा।
प्रह्लाद की जिद से तंग आकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी, जिसे ब्रह्मा देव से वरदान के रूप में अग्नि से सुरक्षित रहने की शक्ति प्राप्त हुई थीू। हिरण्यकश्यप ने होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने को कहा ताकि प्रह्लाद आग में जलकर मर जाए। लेकिन सभी को आश्चर्य हुआ, जब होलिका और प्रह्लाद ने आग में प्रवेश किया, तो होलिका ही जल गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित रहा। इस घटना ने साबित कर दिया कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्रह्लाद के साथ था।
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की इस जीत की याद दिलाता है, क्योंकि भगवान विष्णु के प्रति प्रह्लाद की भक्ति ने उन्हें आग से बचने में मदद की, जबकि होलिका जिसे आग में न जलने का वरदान था, वह अग्नि मे भस्म हो गई।
बता दें कि होलिका दहन (holika dahan) बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। इस दिन पवित्र अग्नि की पूजा की जाती है और इसमें अनाज चढ़ाया जाता है। होलिका दहन के बाद उसकी बची हुई राख को घर लाने की भी परंपरा है। इसे पवित्र वेदी में रखा जाता है।
होलिका दहन की तैयारी एक महीने पहले शुरू हो जाती है, जब लोग जलाऊ लकड़ी, सूखे टहनियाँ, गोबर के उपले आदि इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा, फाल्गुन की पूर्णिमा पर और अमावस्या से पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के बाद लोग रंग वाली होली के जश्न में शामिल होने की तैयारी में लग जाते हैं।
रंगों का त्यौहार यानी होली से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है। इन आठ दिनों के दौरान किसी भी तरह का पवित्र कार्य करना अशुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस दौरान आपके घर में किसी के जन्म-मरण से जुड़ा कोई कार्य हुआ है, तो आपको घर में शांति पूजा का आयोजन जरूर करना चाहिए।
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अगर आप छोटी होली 2023 पूजा का आयोजन करने का विचार कर रहे हैं, तो आपको कई खास चीजों की खास जरूरत होगी। वे हैं:- गाय के गोबर से बने उपले, गाय का गोबर, गंगाजल या साफ पानी, कुछ फूलों की माला, सूत, पांच प्रकार के अनाज, रोली-मौली, अक्षत, हल्दी, बताशे (मिठाई), रंग-गुलाल, फल-मिठाई आदि।
पूजा विधि:
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