हिंदू कैलेंडर के अनुसार अधिक दर्श अमावस्या, श्रावण माह की अमावस्या को कहते हैं। इस दिन को विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह अमावस्या भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दिन को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान शिव को आध्यात्मिक उपलब्धियों की प्राप्ति हुई थी। इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। बता दें कि अधिक दर्श अमावस्या 2023 में 15 अगस्त यानि मंगलवार को मनाई जाएगी।
इस अमावस्या के दिन भगवान शिव के दर्शन करने और पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा, इस दिन कर्म और धर्म के अनुसार दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। लोग इस दिन घी, जौ, उड़द दाल, गेंहूं आदि का दान करते हैं। इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण का कार्य भी किया जाता हैं। अधिक दर्श अमावस्या के दिन श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को सुख, समृद्धि और शुभकामनाएं देते हैं।
अधिक दर्श अमावस्या 2023 | 15 अगस्त 2023, मंगलवार |
अमावस्या तिथि प्रारम्भ | 15 अगस्त 14ः12 |
अमावस्या तिथि समाप्त | 16 अगस्त 16ः37 |
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हिन्दू धर्म में अधिक दर्श अमावस्या बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन के अनुसार, चंद्रमा और सूर्य एक ही नक्षत्र में स्थित होते हैं, जिसे अधिक दर्श नाम से जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।
अधिक दर्श अमावस्या के दिन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और विभिन्न तीर्थस्थलों पर स्नान किया जाता है। इस दिन दान-पुण्य का अधिक महत्व होता है और लोग अन्न, कपड़े, वस्त्र, चादर, धन आदि का दान करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन नक्षत्रों में बदलाव होता है, इसलिए इस दिन धन लाभ के लिए उपाय भी किए जाते हैं। अमावस्या तिथि पर पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए श्राद्ध भी किया जाता है।
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अधिक दर्श अमावस्या पूजा विधि कुछ इस प्रकार है:
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अधिक दर्श अमावस्या व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत का उद्देश्य मन को शुद्ध करना होता है और ईश्वर के दिशा में समर्पित होना होता है। इस व्रत के लाभ निम्नलिखित हैं:
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एक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने एक राजा को उसके सपने में दर्शन दिए और उन्होंने राजा को यह बताया कि उनके पितृ उन्हें अपने साथ ले जाना चाहते हैं। इसके बाद राजा ने भगवान से इस बात का कारण पूछा, तब भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि आपको संध्या के समय देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद राजा ने भगवान विष्णु की बात मानकर विधि-विधान से माता लक्ष्मी और अपने पितृ की पूजा की थी। उस दिन से अधिक दर्श अमावस्या को पितृ पक्ष भी कहा जाने लगा और लोग अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध तथा पूजा करने लगे।
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हिंदू धर्म में अधिक दर्श अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन कई धार्मिक काम किए जाते हैं। कुछ लोग अमावस्या तिथि पर सुबह जल्दी स्नान करके पितृ तर्पण पूजा करते हैं। इस दिन वैदिक मंत्रों का जप भी किया जाता है ताकि सभी पितरों को शांति मिल सके।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस दिन सूर्य और चन्द्रमा की उपस्थिति भी अधिक महत्वपूर्ण होती है। इसलिए कुछ लोग इस दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ध्यान करते हैं। यदि कोई जातक अमावस्या व्रत नहीं कर सकता है, तो वह अपने घर में साफ-सफाई और पूजा करके इस दिन का लाभ प्राप्त कर सकता है।
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इस दिन कुछ विशेष कार्यों को करने से शुभ फल प्राप्त हो सकते है। अधिक दर्श अमावस्या पर निम्नलिखित कार्यों को करना शुभ होगा:
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अधिक दर्श अमावस्या के दिन कुछ उपाय करने से आप शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। इन निम्नलिखित उपायों को करना शुभ होगा:
अधिक दर्श अमावस्या 2023 के दिन गाय को कुछ विशेष आहार देना शुभ माना जाता है। ये निम्नलिखित खाद्य पदार्थ गाय को दिए जाने चाहिए:
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