हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो कार्तिक महीने में मनाया जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने जन्म लिया था। यह त्यौहार जैन भक्तों के लिए भी बहुत महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था। इस दिन भक्त पवित्र नदियों में स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं। जानिए कार्तिक पूर्णिमा 2023 की तिथि और इस दिन गंगा स्नान करने से क्या लाभ होता है।
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इस बार कार्तिक पूर्णिमा 2023 में 27 नवंबर को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर 2023 को 15:55 बजे शुरू होगी और 27 नवंबर को 14:47 बजे समाप्त होगी।
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हिंदू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा दोनों बेहद ही शुभ दिन हैं। वैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की 14वीं तिथि को पड़ती है, जबकि कार्तिक पूर्णिमा इसी महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। वैकुंठ चतुर्दशी, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपने धाम वैकुंठ के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए थे।
वैकुंठ चतुर्दशी के दिन लोग सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं और आटे से बने 14 दीयों को जलाकर अपने घरों के बाहर रखते हैं। साथ ही इस दिन भक्त अपने माथे पर तिलक भी लगाते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पा सकता है।
वहीं कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है। इसके अलावा, यह उस दिन को चिन्हित करता है जब भगवान विष्णु ने भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के रूप में जन्म लिया था। यह वह दिन है जब भगवान विष्णु पृथ्वी पर 14 साल के लंबे प्रवास के बाद अपने निवास वैकुंठ लौट आए थे।
कार्तिक पूर्णिमा पर, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस दिन लोग दीया, फूल और जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े दान करते हैं। ऐसा करने से जातक को भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
वैकुंठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा के बीच संबंध यह है कि दोनों त्यौहार भगवान विष्णु और उनके निवास स्थान वैकुंठ से जुड़ें हैं। इन दोनों त्यौहारों पर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता हैं।
कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक महीने में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है, जो आमतौर पर नवंबर के महीने में आता है। इसे देव दिवाली, त्रिपुरी पूर्णिमा और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में यह त्यौहार बहुत महत्व रखता है और पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इस अनुष्ठान को कार्तिक स्नान के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा वह दिन है जब भगवान विष्णु ने दुनिया को जलप्रलय से बचाने के लिए मत्स्य (मछली) के रूप में अपना पहला अवतार लिया था। यह भी माना जाता है कि इस दिन, भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था और इसलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है और माना जाता है कि इससे भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा, कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने से शारीरिक लाभ भी मिलता है। जैसा कि सर्दियों के मौसम में यह त्यौहार मनाया जाता है, तो पवित्र नदियों और तालाबों का पानी ठंडा होता है और ठंडे पानी में स्नान करने से रक्त परिसंचरण में सुधार, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और तनाव के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। कार्तिक पूर्णिमा का त्यौहार फसल के मौसम से भी जुड़ा हुआ है और किसान इस दिन अच्छी फसल के लिए भगवान की पूजा करते है और आशीर्वाद मांगते हैं।
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक मास में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनका दान नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इन चीजों का दान करने से जातक को नकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैः
ज्योतिष में पूर्णिमा का दिन अत्यधिक ही शुभ माना जाता है और इस दिन कुछ उपाय करने से जातक को बुरी ऊर्जा से छुटकारा मिल सकता हैः
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