फाल्गुन मास की पूर्णिमा 17 मार्च 2022 को दोपहर बाद 13 बजकर 29 मिनट से प्रारम्भ हो रही है और 18 मार्च के 12बजकर 47मिनट तक रहेगी। प्रत्येक पूर्णिमा के पूर्वाद्ध में विष्टि नामक करण होता है जिसे भद्रा कहते हैं। भद्रा शनि की बहन है और अशुभ मानी जाती है।यह भद्रा सिंह राशि में होगी जिसका वास पृथ्वी लोक में होगा इस कारण पृथ्वी के वासियों के लिए इस भद्रा में शुभ कार्य करना वर्जित बताया है।भद्रा काल 17 मार्च के 13 बजकर 29 मिनट से प्रारम्भ होकर रात्रि के 1बजकर 08 मिनट तक है, अर्थात इसका विस्तार निशीथ काल (मध्य रात्रि के बाद का समय) तक रहेगा।
दिल्ली में प्रदोष काल 17 मार्च 2022 को सूर्यास्त के बाद 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 55 मिनट तक है। होलिका दहन के लिए सर्वोयुक्त काल भद्रारहित प्रदोषकाल युक्त पूर्णिमा माना जाता है। इस बार प्रदोष काल में भद्रा है और अगले दिन 18 मार्च में पूर्णिमा में प्रदोष काल नहीं है, तो ऐसे में सवाल उठता है कि होलिका दहन कब करना चाहिए?शास्त्रों में कहा गया है कि यदि भद्रा निशीथ काल से पहले समाप्त हो रही हो तो भद्रा की समाप्ति और निशीथ काल के प्रारम्भ होने के पहले के बीच के समय में होलिका दहन करना चाहिए पर इस बार यह भी संभव नहीं हो रहा। भद्रा का मुख काल सब से अधिक अशुभ होता है इसलिए शास्त्रों में बताया गया है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भद्रा के मुखकाल को छोड़कर कार्य किए जा सकते हैं। 17 मार्च 2022 में भद्रा का मुखकाल रात्रि में 22 बजकर 07 मिनट से 24बजकर 08 मिनट ( 18 मार्च का 00 बजकर 08 मिनट) तक है। अतः इस बार 17 मार्च 2022 को होलिका दहन प्रदोष काल (सायं 6:30 बजे से 08:55 बजे के दौरान) में किया जाना चाहिए।
Blog by – Astrologer Gyan Sharan
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