इस्लाम धर्म विश्व का दूसरा सबसे विस्तृत धर्म है। सम्पूर्ण विश्व में इस्लाम के लगभग 2 अरब अनुयायी है।
विशेषज्ञों का मानना है की इस्लाम धर्म की शुरुआत 7वी शदी के आस-पास मक्का (आज का सऊदी अरब) में हुई। इस्लाम धर्म की शुरुआत हजरत मोहम्मद साहब के जीवन के आस-पास ही केंद्रित थी।
इस्लाम धर्म की शुरुआत हजरत मोहम्मद साहब के जीवन के आस-पास ही केंद्रित थी।
हजरत मोहम्मद साहब का जन्म 570 ईसवी में मक्का में हुआ। परिवार का प्रभुत्व मक्का के एक बड़े धार्मिक स्थल पर था। मोहम्मद साहब ने हजरत खरदीजा नाम की विधवा व्यापारी के लिए काम करना आरम्भ किया और फिर उसी से निकाह किया। इस्लामिक ग्रंथों के अनुसार, “गेब्रियल” नाम की एक परी 610 ईसवी में मुहम्मद से मिलने आयी, जब वह एक गुफा में ध्यान कर रहे थे ।
गेब्रियल ने मुहम्मद साहब को अल्लाह का सन्देश सुनाया और उन शब्दों के प्रचार का आदेश दिया। 613 ईशवी के आस-पास मोहम्मद साहब ने अपने ज्ञान उपदेश के प्रचार की शुरुआत की। उन्होंने कहा की ईश्वर की तरफ से उन्हें सन्देश आया है की ईश्वर एक है। ईश्वर सभी को सच्चाई और ईमानदारी की राह पर चलने को कहता है। मोहम्मद साहब ने मूर्ति पूजा का भी विरोध किया।
622 ईसवी में मोहम्मद साहब मक्का से मदीना की यात्रा पर निकले। इस यात्रा को हिजरा कहा जाता है। यही से इस्लामी कैलेंडर की भी शुरुआत हुई। लगभग 7 वर्षो बाद मुहम्मद साहब मक्का वापस आये और उन्होंने अपने दुश्मनो से युद्ध कर मक्का को जीत लिया। 632 ईसवी में अपनी मृत्यु तक मोहम्मद साहब ने इस्लाम का प्रचार जारी रखा।
मोहम्मद साहब की मृत्यु के बाद यह बहस हुई की कौन मोहम्मद की जगह नेता के रूप में लेगा। इससे कुछ विवाद उत्पन्न हुए और दो सम्प्रदाय उभरे – शिया और सुन्नी।
शिया संप्रदाय का मानना था की मोहम्मद साहब के बाद आने वाले 4 वारिस मोहम्मद द्वारा ही भेजे गए थे। विश्व के 90 % मुस्लिम, शिया समुदाय के ही है।
सुन्नी संप्रदाय का मानना था की केवल अली ही सही उत्तराधिकारी थे और वो पहले 3 वारिशों को मानने से इंकार करते है। ईरान, इराक और सीरिया में सुन्नी मुस्लिम की सख्या काफी है।
शिया और सुन्नी संप्रदाय के अंदर भी कई अलग-अलग समुदाय मौजूद है : वहाबी, अलावी, ख़वारिज।
कुरान को इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र ग्रथ का दर्जा प्राप्त है। कुरान में लिखे शब्दों को अल्लाह के शब्द कहा गया है।
कुछ मुस्लिमो का मानना है की मुहम्मद साहब के लेखकों ने उनके शब्दों को लिख दिया था। क्यूंकि मोहम्मद को खुद कभी लिखना और पढ़ना नहीं आया।
अन्य लोगो का मानना है की मोहम्मद साहब की मृत्यु के तुरंत बाद अबू बक्र ने कुरान का संकलन करवाया।
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