आपको बता दें कि व्यक्ति के जीवन में ज्योतिष शास्त्र का बहुत महत्व होता है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ही व्यक्ति की कुंडली में हो रही हलचल के बारे में पता चला लगाया जाता है। साथ ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ही व्यक्ति के जीवन में आने वाली चीजों के बारे में भविष्यवाणी की जाती है। वही ज्योतिष में ऐसे कुछ योग होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन को काफी प्रभावित करते हैं। आपको बता दें कि यह ज्योतिष योग व्यक्ति की कुंडली से जुड़े हुए होते हैं। इन्हीं योगो के कारण जातक के जीवन में कई तरह के बदलाव होते है। कभी- कभी ये बदलाव अच्छे होते है, तो कभी ये बदलाव जातक के जीवन में ढेरो परेशानियां लेकर आते है।
वही ज्योतिष योग की सहायता से इस बात का भी पता लगाया जाता है कि व्यक्ति के जीवन में परेशानी क्यो उत्पन्न हो रही है। ज्योतिष विज्ञान में यह योग काफी महत्वपूर्ण होते हैं। चलिए जानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में इन योगो का क्या महत्व होता है और ज्योतिष शास्त्र में कितने योग होते हैं –
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ज्योतिष में कितने योग होते हैं?
आपको बता दें कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार शुभ समय में कार्यो को किया जाना काफी शुभ माना जाता है। वही ऐसा माना जाता है कि अशुभ समय में किए गए कार्य सफल नहीं होते हैं। साथ ही ज्योतिष गणनाओं के अनुसार कुछ योग शुभ होते हैं, तो कुछ योग काफी अशुभ होते हैं। आपको बता दें कि ज्योतिष में कुल 27 प्रकार के योग होते हैं। अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि ये योग क्या होते है? आपको बता दें कि सूर्य- चंद्रमा की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। वहीं दूरियों के आधार पर ही 27 योग बनते हैं। और वह 27 योग इस प्रकार हैं –
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1. विष्कुम्भ
2. प्रीति
3. आयुष्मान
4. सौभाग्य
5. शोभन
6. अतिगण्ड
7. सुकर्मा
8. धृति
9. शूल
10. गण्ड
11. वृद्धि
12. ध्रुव
13. व्याघात
14. हर्षण
15. वज्र
16. सिद्धि
17. व्यतिपात
18. वरीयान
19. परिध
20. शिव
21. सिद्ध
22. साध्य
23. शुभ
24. शुक्ल
25. ब्रह्म
26. इन्द्र
27. वैधृति
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1.ज्योतिष योग विष्कुम्भ
ज्योतिष योग में विष्कुम्भ योग को काफी अशुभ योग माना जाता है। लेकिन इस योग के साथ पैदा व्यक्ति काफी तेज दिमाग वाले होते है।आपको बता दें कि इस योग में जिस भी व्यक्ति का जन्म होता है, वह बहुत ही भाग्यशाली और उत्तम गुणों वाला होता है। साथ ही इस योग में पैदा व्यक्ति को आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। इसी के साथ ये लोग अपने व्यक्तित्व से बाकी लोगों को प्रभावित करते हैं। जिससे इनकी मित्रता का दायरा काफी बड़ा हो जाता है।
2. ज्योतिष योग प्रीति
आपको बता दें कि प्रीति योग का संबंध अर्थ प्रेम से होता है। साथ ही मेल-मिलाप बढ़ाने, प्रेम विवाह करने तथा अपने रूठे मित्रों एवं संबंधियों को मनाने के लिए प्रीति योग में ही प्रयास करने से जातक को सफलता मिलती है। इसके अलावा झगड़े सुलझाने या समझौता करने के लिए भी यह योग काफी शुभ होता है। साथ ही इस योग में किए गए कार्य से जातक का मान सम्मान बढता है।
3. ज्योतिष योग आयुष्मान
जो भी व्यक्ति आयुष्मान योग में पैदा होता है वह व्यक्ति लम्बे समय तक जीवित है। साथ ही इस योग में पैदा लोग कविताओं और गीतों के काफी शौकीन होते हैं। आपको बता दें कि ये लोग काफी शक्तिशाली होते हैं और अपने विपक्षी को पराजित करने में भी सक्षम होते हैं।
4. सौभाग्य योग
इस योग में पैदा लोग काफी सौभाग्य वाले होते है। इस योग के जातक विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति अधिक लगाव रखते हैं।
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5. शोभन योग
आपको बता दें कि इस योग में पैदा जातक सुन्दर और आकर्षक होते हैं। वही इन लोगो का साथी सुन्दर और अच्छे गुणों वाला होता है। ये लोग संतान पक्ष से भी काफी भाग्यशाली होते हैं। साथ ही इनकी संतान काफी आज्ञाकारी होती है। इन्हें लडाई -झगडे पसंद नही होते है।
6. अतिगण्ड योग
यह योग काफी दुखद योग माना गया है। आपको बता दें कि इस योग में किए गए कार्य काफी दुखदायक होते हैं। यह योग धोखा, निराशा और अवसाद का कारण होता है। साथ ही इस योग में किसी भी तरह का शुभ या मंगल कार्य नहीं करना चाहिए और ना ही किसी तरह का नया कार्य शुरु करना चाहिए।
7. सुकर्मा योग
आपको बता दें कि यह योग काफी शुभ होता है। साथ ही इस योग में किए गए कार्यों में किसी भी प्रकार की कोई बाधा नहीं आती है और कार्य शुभफलदायक होता है। इसी के साथ इस योग में पैदा लोग ईश्वर में काफी विश्वास रखते है।
8. धृति योग
किसी भवन, स्थान का शिलान्यास, भूमी पूजन या नींव पत्थर रखने के लिए यह घृति योग काफी उत्तम माना जाता है। साथ ही इस योग में रखा गया नींव पत्थर आजीवन सुख-सुविधाएं देता है। इस योग में पैदा लोग काफी धैर्यवान होते है।
9. शूल योग
जब सात ग्रह किसी तीन राशि में मौजूद होते है, तो शूल योग बनता है। वही इस योग में किए गए कार्यों से जातक को हर जगह दुख ही दुख मिलता हैं। साथ ही इस योग में कोई भी शुभ कार्य न करें अन्यथा आप जिंदगी भर पछताना पड सकता है।
10. गण्ड योग
आपको बता दें कि गण्ड योग में किए गए हर कार्य में अड़चनें ही पैदा होती है। इस योग किए गए कार्य में जातक को कभी भी सफलता नही मिलती है। जब भई कोई भी नया काम शुरू करें, तो पहले गण्ड योग का अवश्य पता करना चाहिए।
11. वृद्धि योग
वृद्धि योग में किए गए कार्य में बहुत वृद्धि होती है। यदि आप नया रोजगार या व्यापार शुरू करना चाहते है, तो यह योग सबसे बढ़िया है। आपको बता दें कि इस योग में किए गए काम में कभी रुकावट नही आती। और ना ही किसी तरह का झगड़ा होता है।
12. ध्रुव योग
किसी भी स्थिर कार्य जैसे भवन या इमारत आदि का निर्माण करने के लिए ध्रुव योग काफी अच्छा होता है। वही कोई भी अस्थिर कार्य जैसे कोई गाड़ी अथवा वाहन लेना इस योग में बिल्कुल भी सही नहीं होता है।
13. व्याघात योग
यदि व्याघात योग में कोई कार्य किया जाता है, तो उसमें बाधाएं जरुर आती है। इस योग में जिस भी जातक का जन्म होता है वह हर काम में काफी अच्छा होता है। यदि इस योग में व्यक्ति किसी का भला करने जाए, तो भी उसका नुकसान ही होता है।
14. हर्षण योग
आपको बता दें कि इस योग में किए गए कार्य खुशी ही प्रदान करते हैं। हालांकि, हर्षण योग में पितरों को मनाने वाले कर्म नहीं किए जाते है।
15. वज्र योग
वज्र योग में वाहन आदि नहीं खरीदने चाहिए।क्योकि इससे हानि या दुर्घटना हो सकती है। वही इस योग में सोना नही खरीदना चाहिए। क्योकि सोना चोरी होने का खतरा रहता है। साथ ही यदि इस योग में कोई कपड़ा खरीदा जाए, तो वह जल्द ही फट जाता है या खराब हो जाता है।
16. सिद्धि योग
आपको बता दें कि ज्योतिष योग में सिद्धि योग प्रभु का नाम जपने के लिए बहुत उत्तम है। वही इस योग में जो भी कार्य शुरू किया जाता है उसमे सफलता जरुर मिलती है।
17. व्यतिपात योग
व्यतिपात योग में किए जाने वाले कार्य से काफी हानि होती है। इस योग में किए गए कार्य से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
18. वरीयान योग
यदि आप कोई मंगलदायक कार्य करने जा रहे हैं, तो वरियान योग उस कार्य के लिए काफी अच्छा होता है। हालांकि, वरियान योग जातक को पितृ कर्म का कार्य नहीं करना चाहिए।
19. परिध योग
परिध योग में शत्रु के विरूद्ध किए गए कार्य में सफलता मिलती है। इसका मतलब आप अपने शुत्रओं पर विजय प्राप्त कर लेते है।
20. शिव योग
शिव योग बहुत ही शुभदायक होता है। आपको बता दें कि शिव योग में ध्यान, आराधना आदि करना शुभफलदायक होता हैं। वही अगर जातक इस योग में प्रभु का नाम लेता है, तो सफलता जरुर मिलती है।
21. सिद्ध योग
सिद्धि योग में कोई भी कार्य सीखने की शुरुआत करेंगे, तो आपको सफलता जरुर मिलेगी। आपको बता दें कि वार, नक्षत्र और तिथि के बीच के आपसी तालमेल होने पर सिद्धि योग का बनता है।
22. साध्य योग
किसी से विद्या या कोई विधि सीखने के लिए साध्य योग काफी उत्तम होता है। साध्य योग में कार्य सीखने या करने में खूब मन लगता है और सफलता भी मिलती है।
23. शुभ योग
शुभ योग में किसी भी प्रकार का महान या जनहित का कोई कार्य करना शुभफलदायी होता है। इस योग में शुभ कार्य करने से मनुष्य महान बनता है तथा प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
24. शुक्ल योग
शुक्ल योग में गुरु या प्रभु की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। आपको बता दें कि जिस जातक का जन्म शुक्ल योग में होता है, वह सभी प्रकार की कलाओं में पारंगत होता है। साथ ही जातक की कविताओं में रूचि होती हैं।
25. ब्रह्म योग
यदि कोई शांतिदायक कार्य करना हो, तो यह योग काफी उत्तम होता है। यदि किसी को झगड़ा आदि सुलझाना हो, तो यह योग काफी सफल होता है।
26. इन्द्र योग
आपको बता दें कि यदि कोई राज्य पक्ष का कार्य रुका हो, तो उसे इस योग में पुरा किया जा सकता है। साथ इस योग में जातक को अपने कार्य प्रात:, दोपहर अथवा शाम को करने चाहिए।
27. वैधृति योग
वैधृति योग स्थिर कार्यों के लिए काफी उत्तम होता है। साथ ही कोई भाग-दौड़ वाला कार्य अथवा यात्रा आदि के लिए वैधृति योग सही नहीं है।
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