मनुष्य इस संसार में जन्म लेकर आता है। एक बच्चे के बचपन से जीवन का सफर शुरू करता है। शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत नौकरी करके धन सम्पति अर्जित करता है। विवाह बंधन में बंधता है और परिवार को आगे बढ़ाता है। फिर अपने बच्चों के साथ नया सफर शुरू हो जाता है। जिंदगी भर परिवार की उलझनों में ही व्यस्त रहता है। वयस्क होने पर अपने जीवन के अंतिम छोर पर पहुंच जाता है। इस तरह वह बचपन से लेकर बुढ़ापे तक इस सांसारिक माया मोह में फंस कर रह जाता है। परिवार के सुख में हँसता है, उनके दुःख में रोता भी है। लेकिन मरणोपरांत आत्मा का गमन एक शरीर से दूसरे शरीर में होता है। जो कि सार्वभौमिक सत्य है और यह जीवन चक्र हमेशा ही चलता रहता है। जो मनुष्य इस जीवन चक्र से निकल जाता है उसे मोक्ष प्राप्त करना कहते हैं।
मनुष्य का जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाना ही मोक्ष कहलाता है। अर्थात मोक्ष प्राप्त करने के पश्चात् मनुष्य को जन्म लेने की आवश्कता नहीं पड़ती है। उसकी आत्मा परमपिता परमेश्वर में ही विलीन हो जाती है।
किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मोक्ष का योग काफी दुर्लभ होता है। मोक्ष प्राप्ति योग का कुंडली में होना काफी शुभ माना जाता है। मोक्ष की प्राप्ति करना बहुत ही कठिन काम होता है। इसे प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करनी पड़ती है। बड़े से बड़े साधु-संतों ने भी मोक्ष को प्राप्त करने के लिए कई वर्षों तक घोर तपस्या में लीन रहना पड़ा था। यहां तक कि भगवान बुद्ध को भी निर्वाण प्राप्त करने के लिए अपना संपूर्ण जीवन साधना में व्यतीत करना पड़ा था। लेकिन अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में यह योग बनता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति मिल जाती है। इस योग के प्रभाव के कारण ही मनुष्य अपने जीवन में सत्कर्म करता जाता है। उसका मन माया मोह से विचलित नहीं होता है। वह वैराग्य के भाव लेकर अपने जीवन को यापन करने लगता है।
यह योग मनुष्य के जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करता है। इसी योग का प्रभाव होता है की मनुष्य का भगवान के साथ अनोखा रिश्ता बन जाता है। व्यक्ति हर समय भगवान को अपने समीप ही महसूस करता रहता है। यही कारण होता है कि मनुष्य के अंदर हर छण एक आत्मविश्वास की शक्ति समाहित होती है। वह अपने जीवन में हर मुश्किल और नामुमकिन कामों को आसानी के करता चला जाता है। उस व्यक्ति को नाकामियों की कोई परवाह नहीं रह जाती है।
इस योग के प्रभाव से ही भगवान का व्यक्ति के प्रति असीम कृपा रहती है। और जिस पर स्वयं भगवान की कृपा हो उसे कोई दुःख कैसे प्राप्त हो सकता है। यह योग व्यक्ति के जीवन को सुखमय बना देता है जिससे वह बिना कष्ट के जीवन व्यतीत करता है। यह व्यक्ति हमेशा दूसरों के सुख के बारे में भी सोचता है। दूसरों को सही मार्ग पर जाने को प्रशस्त करता है। सकारात्मक सोच के कारण प्रभावित व्यक्ति समाज में सम्मान के साथ-साथ अपना एक अलग स्थान भी बनाने की क्षमता रखता है। इनकी धन सम्पति में कभी कोई कमी नहीं आती है।
आज के समय में मोक्ष की प्राप्ति करना अत्यधिक दुर्लभ कार्य है। भगवान ही किसी व्यक्ति को मोक्ष प्रदान करा सकते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य अपने सत्कर्मों के कारण भी मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। वैसे तो सत्कर्मो की सूची बहुत ही लम्बी होती है, परन्तु कुछ उपाय आप कर सकते हैं।
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