ज्योतिष शास्त्र के द्वारा भविष्य या भाग्य को जाना जाता है लेकिन इस तरह की 12 विद्याएं और भी हैं। किसी भी व्यक्ति का भविष्य बताने के लिए ज्योतिषी अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि भारत में अनेकों ज्योतिष विद्याएं प्रचलित हैं और हर विद्या के द्वारा भविष्य जानने का दावा भी किया जाता है। प्रत्येक विद्या किसी का भी भविष्य बताने में सक्षम होती है परंतु समस्या यह है कि आजकल ज्योतिष विद्याओ के संपूर्ण ज्ञानी कम ही मिलते हैं। ऐसे में बहुत से लोग भटकाने वाले भी मिल जाते हैं इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको उन सभी विद्याओं के बारे में बताएंगे जिनके द्वारा भविष्य जाना जाता है।
जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है कि यह कुंडली पर आधारित ज्योतिष विद्या है। इसको तीन भागों में बांटा गया है- होरा शास्त्र, संहिता ज्योतिष और सिद्धांत ज्योतिष। कुंडली ज्योतिष विद्या के अनुसार जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है तो उस समय आकाश में नक्षत्र तारा या ग्रह जहां मौजूद होता है उसके आधार पर ही जन्म लेने वाले व्यक्ति की कुंडली बनती है। जान लें कि 12 विद्याएं, 12 राशियों, 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों के अध्ययन के द्वारा ही किसी भी मनुष्य का भविष्य बताया जाता है।
यह गणितीय ज्योतिष विद्या अंक विद्या के नाम से भी जानी जाती है। इस विद्या के अंतर्गत हर ग्रह, नक्षत्र, राशि के अंक पर ही आधारित होता है। किसी जातक का भाग्य उसकी जन्मतिथि, साल आदि के जोड़ के द्वारा निकाला जा सकता है।
दक्षिण भारत की सबसे प्रचलित विद्या में नंदी नाड़ी ज्योतिष विद्या प्रमुख है। इसमें ताड़पत्र के द्वारा किसी भी जातक का भविष्य जानने का दावा किया जाता है। भगवान शंकर को इस विद्या का जन्मदाता कहा जाता है।
यह विद्या अधिकतर हिमाचल, कश्मीर तथा उत्तरांचल की है। यह एक बहुत ही कठिन विद्या है जिसके द्वारा इसको जानने वाले ज्योतिष कुंडली देखे बिना किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं।
हस्तरेखा ज्योतिष विद्या काफ़ी प्राचीन विद्या है तथा यह सारे भारत में प्रचलित है। इसमें हाथों की रेखाओं का अध्ययन करके किसी भी जातक का भविष्य तथा भूत बताया जा सकता है।
नक्षत्र ज्योतिष विद्या वैदिक काल में नक्षत्रों पर अधिक आधारित और प्रचलित थी। इस विद्या के द्वारा जातकों का भविष्य उनके नक्षत्र के आधार पर बताया जाता था।
अंगूठा शास्त्र विद्या सबसे अधिक दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। किसी भी मनुष्य के अंगूठे की छाप से जो रेखाएं उभर कर बनती हैं, उन रेखाओं के अध्ययन से उस व्यक्ति का भविष्य बताया जाता है।
भारत की सामुद्रिक विद्या भी काफ़ी पुरानी है। अगर कोई व्यक्ति अपना भाग्य जानना चाहता है तो उसके लिए उसके संपूर्ण शरीर का अध्ययन करना होता है। बता दें कि नाक नक्श, चेहरे की बनावट, माथे की रेखा के साथ-साथ सारे शरीर की बनावट का अध्ययन करने के बाद ही किसी भी जातक के भाग्य के बारे में पता लगाया जा सकता है।
चीनी ज्योतिष विद्या को पशु नामांकित राशिचक्र भी कहते हैं। चूंकि इसमें 12 वर्ष को पशुओं के नाम पर रखा गया है। इस विद्या के अनुसार जो मनुष्य जिस माह में जन्म लेता है उसकी राशि उसी वर्ष के अनुसार मानी जाती है। जो भविष्य बताने की 12 विद्याएं हैं उनमें यह भी एक है।
इस विद्या में नवग्रह और जन्म राशि के आधार पर गणना होती है। वैदिक ज्योतिष विद्या में मूलतः नक्षत्रों की गति और गणना को आधार माना जाता है। वैदिक ज्योतिष विद्या भारत में काफी प्रचलित होने के साथ-साथ सबसे अधिक प्रसिद्ध भी है।
यदि आप अपना भविष्य के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं तो आप किसी टैरो कार्ड रीडर की मदद ले सकते हैं। इसमें ताश के जैसे पत्ते होते हैं जिनसे किसी भी जातक का भाग्य जाना जा सकता है। बता दें कि इस समय लोगों के बीच में काफी फेमस विद्या है।
पंच पक्षी सिद्धांत विद्या के अंतर्गत समय को पांच भागों में बांट कर, फिर हर भाग का नाम 5 पक्षियों के नाम पर रखा जाता है। यह पांच पक्षी है मोर, मुर्गा, उल्लू, कौआ और गिद्ध। यह ज्योतिष विद्या दक्षिण भारत में सबसे अधिक प्रचलित है परंतु भारत के अन्य क्षेत्रों में यह इतनी प्रसिद्ध नहीं है।
ऊपर दी गई 12 विद्याएं हैं जिनसे हम व्यक्ति का भविष्य जान सकते हैं।
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