क्या होते हैं बीज मंत्र?- नवग्रहों के बीज मंत्र तथा उनके लाभ

क्या होते हैं बीज मंत्र- नवग्रहों के बीज मंत्र तथा उनके लाभ

ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार मनुष्य का संपूर्ण जीवन नवग्रहों से प्रभावित रहता है। व्यक्ति के जीवन में आने वाले सुख-दुख, उतार-चढ़ाव, लाभ-हानि, रोग आदि ग्रहों के अनुसार आते-जाते हैं। व्यक्ति परेशानियों से मुक्ति के लिए इन्हीं नवग्रहों या इनसे संबंधित देवी-देवताओं की पूजा करता है, उनके मंत्रों का जाप करता है, उन ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान करता है। और इन सब कार्यों का शुभ और सकारात्मक परिणाम तभी मिलता है, जब इन्हें पूर्ण विधि-विधान और नियमों के साथ किया जाए।

◆ क्या होते है बीज मंत्र?

एक बीज मंत्र उन ध्वनियों से जुड़ा होता है जिनकी अपनी आवृत्ति होती है। ब्रम्हांड में बहुत कुछ “अनदेखा” और “अस्पष्टीकृत” हैं और एक बार जब आप उन्हें समझ जाते हैं, तो बीजे मंत्रों की मदद से आप अपने दर्शन प्रकट कर सकते हैं। इसके लिए समर्पण, दृढ़ संकल्प और एकाग्रता की जरूरत है।

◆ बीज मंत्र के लाभ:

(1) वे छोटे, सरल और याद रखने में आसान हैं।

(2) बीज़ मंत्र आपको अधिक आध्यात्मिक बना सकते हैं जितना आप कभी महसूस कर सकते हैं या सोच सकते हैं।

(3) बीज़ मंत्र का एक भी शब्द आपके जीवन में सुंदर बदलाव ला सकता है।

(4) बीज़ मंत्रों के बारे में सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि आप उनका उपयोग ध्यान करते समय भी कर सकते हैं।

(5) कहा जाता है कि बीज मंत्रों से चिकित्सीय लाभ भी मिलते हैं। वे आपके दर्द को शांत करते हैं और आपको मानसिक रूप से आराम देते हैं।

(6) कुछ लोग बीज़ मंत्रों का जाप करते हुए सो जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि उनका उप-चेतन मन मंत्रों का जाप करता रहता है और इसलिए, मन के उस हिस्से में भी बदलाव होता है।

(7) बीज मंत्र आपकी यौन ऊर्जा को शांत करता है। यदि आपकी यौन ऊर्जा किसी तरह की निराशा में बदल गई है, तो उसी पर पूर्ण विराम लगाने का समय आ गया है।

(8) जब आप बीजे मंत्रों का जाप करते हैं, तो आप विभिन्न देवी-देवताओं को अपने सामने रखते हैं, भले ही आप उन्हें नहीं देख सकते।

◆ नवग्रह,9 बीज मंत्र, जप संख्या एवं 9 दान।

● सूर्य

मंत्र―ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:।
जप संख्या―7000।
दान―ताम्र, लाल कपड़े, लाल पुष्प, सुवर्ण ,माणिक्य, गेहूं, धेनु, कमल, गुड़।

●चंद्र

मंत्र―’ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’।
जप संख्या―11,000।
दान―वंशपात्र, तंदुल, कपूर, घी, शंख।

● मंगल

मंत्र―’ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:’।
जप संख्या―1000।
दान―प्रवाह, गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र, गुड़, सुवर्ण ताम्र।

● बुध

मंत्र―’ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’।
जप संख्या―9,000।
दान―मूंग, हरा वस्त्र, सुवर्ण, कांस्य।

● बृहस्पति

मंत्र―’ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’।
जप संख्या―19,000।
दान―अश्व, शर्करा, हल्दी, पीला वस्त्र, पीतधान्य, पुष्पराग, लवण।

● शुक्र

मंत्र―’ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:’।
जप संख्या―16,000।
दान―धेनु, हीरा, रौप्य, सुवर्ण, सुगंध, घी।

● शनि

मंत्र―’ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:’।
जप संख्या―23000।
दान―तिल, तेल, कुलित्‍थ, महिषी, श्याम वस्त्र।

● राहु

मंत्र―’ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:’।
जप संख्या―18,000
दान―गोमेद, अश्व, कृष्णवस्त्र, कम्बल, तिल, तेल, लोहा, अभ्रक।

●केतु

मंत्र―’ॐ स्रां स्रीं स्रों स: केतवे नम:’।
जप संख्या―17,000।
दान―तिल, कंबल, कस्तूरी, शस्त्र, नीम वस्त्र, तेल, कृष्णपुष्प, छाग, लौहपात्र।

यह भी पढ़ें- स्वस्तिक: जानिए क्या है स्वस्तिक? इसके लाभ एवं महत्व। कब एवं कहाँ बनाएँ?

 4,152 

Posted On - June 17, 2020 | Posted By - Om Kshitij Rai | Read By -

 4,152 

क्या आप एक दूसरे के लिए अनुकूल हैं ?

अनुकूलता जांचने के लिए अपनी और अपने साथी की राशि चुनें

आपकी राशि
साथी की राशि

अधिक व्यक्तिगत विस्तृत भविष्यवाणियों के लिए कॉल या चैट पर ज्योतिषी से जुड़ें।

Our Astrologers

21,000+ Best Astrologers from India for Online Consultation