ज्योतिष शास्त्र में ग्रह बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। क्योंकि इन्हीं ग्रहों के आधार पर व्यक्ति के जीवन में आने वाली घटनाओं के बारे में भविष्यवाणी की जाती है। साथ ही इन ग्रहों की युति के कारण ही जातक के जीवन में कई बदलाव होते हैं। आपको बता दें कि जब दो या दो से अधिक ग्रह एक ही स्थान पर होते हैं, तो उसे युति कहते हैं। और इन्हीं ग्रह परिवर्तनों के कारण कई योग बनते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही योग यानि मंगल शुक्र योग के बारे में बताएंगे।
आपको बता दें कि ज्योतिष विज्ञान में मंगल और शुक्र ग्रह को काफी खास माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शुक्र का संबंध भावना और रिश्तो से होता है। इसी के साथ शुक्र को शारीरिक संबंध तथा आकर्षक का कारक भी माना जाता है। मंगल ग्रह के शुक्र के साथ होने से शुक्र ग्रह के गुणों में वृद्धि हो जाती है। और इस योग के कारण व्यक्ति को कई तरह से लाभ प्राप्त होता है।
वही यह ग्रह अपनी जगह बदलते रहते हैं, जिसके कारण व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आते रहते हैं। शुक्र ग्रह के कारण व्यक्ति को कई प्रकार से नुकसान भी झेलना पड़ता है और इन्हीं ग्रहों की युति के कारण ही व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है। जब ग्रह युति करते हैं, तब व्यक्ति को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभावों का सामना करना पड़ता है। चलिए जानते हैं की मंगल शुक्र योग से जुड़ी सारी जानकारी –
आपको बता दें कि मंगल ग्रह अग्नि और तेज का प्रतीक माना जाता है। वहीं शुक्र प्रेम, सौंदर्य, यौन इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है। और जब इन दोनों ग्रहों का मिलन होता है, तब व्यक्ति के अंदर यौन इच्छा की भावनाएं बढ़ जाती हैं। वहीं कुंडली के अलग-अलग भावों के अनुसार अलग-अलग परिणाम प्राप्त होते है।
मंगल शुक्र योग तब बनता है, जब मंगल और शुक्र दोनों ग्रह एक साथ आते हैं। इन दोनों ग्रह के साथ आने से व्यक्ति में यौन इच्छा बढ़ जाती है। और कई बार व्यक्ति अपनी इस इच्छा को नियंत्रण करने में सक्षम नहीं होते है। यदि दोनों ग्रह में से शुक्र ग्रह कमजोर हो और मंगल ग्रह बलवान हो, तो इस योग से व्यक्ति दुष्कर्मी बन सकता है। क्योंकि मंगल व्यक्ति को अतिचारी बना देता है।
यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल और शुक्र ग्रह दोनों साथ में हो और दोनों ग्रह सामान्य अवस्था में हो, तो जातक की यौन इच्छाएं बढ़ जाती हैं। लेकिन जातक अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करने में सक्षम होता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल और शुक्र दोनों साथ में हो और यह काफी प्रबल अवस्था में हो, तो जातक अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण करने में सक्षम नहीं होता।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र प्रभावी हो और मंगल कमजोर हो, तो व्यक्ति यौन इच्छा के अलावा अपने प्रेम पर अधिक बल देता है।
आपको बता दें कि जिस भी जातक की कुंडली में शुक्र और मंगल संतुलित अवस्था में मौजूद होते हैं। उन लोगों के अधिक विपरीत लिंग के मित्र पाए जाते हैं।