चित्रगुप्त की पूजा 2022 : चित्रगुप्त पूजा कब है, इसकी पूजा विधि-शुभ मुहूर्त और क्या है इसका विशेष महत्व

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। इसी दिन भाई दूज और यम द्वितीया भी मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष यम द्वितीया 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। कहते हैं इसी दिन यम देव अपनी बहन यमुना से मिलने आते हैं। भगवान चित्रगुप्त को यम देवता का सहयोगी माना जाता है। भगवान चित्रगुप्त व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा मृत्यु लोक में रखते हैं। व्यक्ति जो भी कर्म धरती लोक पर करता है, उनके सभी कर्मों का हिसाब चित्रगुप्त के पास होता है। उनकी पूरे ब्रह्मांड पर नजरें होती हैं। चित्रगुप्त पूजा के दिन पुस्तक, लेखनी और दवात की पूजा का भी विधान है। इस लेख में हम चित्रगुप्त और उनकी पूजा से संबंधित अन्य विशेष बातों को विस्तार से जानेंगे।

एस्ट्रोलॉजर से बात करने के लिए: यहां क्लिक करें

चित्रगुप्त की पूजा विधि (Chitragupta Puja Vidhi)

  • चित्रगुप्त पूजा के दिन सबसे पहले नहा-धोकर पूजा स्थान की साफ-सफाई करें।
  • आसन या चौकी पर सुंदर सा वस्त्र बिछाएं।
  • आसन पर भगवान चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या तस्वीर को पूरे श्रद्धा भाव के साथ स्थापित करें।
  • अगर आपके पास चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या तस्वीर ना हो तो आप उस स्थान पर कलश को उनका स्वरूप मानकर स्थापित कर सकते हैं और उनकी पूजा कर सकते हैं।
  • अब सर्व प्रथम दीपक जलाकर मन में गणपति जी का आह्वान करें।
  • चित्रगुप्त जी की मूर्ति, तस्वीर या उनके स्वरूप कलश को हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, ऋतु फल, धूप-दीप आदि अर्पित करें और इस तरह पूजा की शुरुआत करें।
  • भगवान चित्रगुप्त को ऋतुफल, मिष्ठान, पंचामृत और पान-सुपारी का भोग लगाएं।
  • चूंकि चित्रगुप्त जी को यमराज के सहायक हैं इसलिए उनके साथ भगवान यम की भी पूजा करने का विधान बताया गया है। इस दिन को यम द्वितीया भी मनायी जाती है। माना जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति यमुना जी में स्नान करने के बाद अपनी बहन के घर भोजन करता है, उसे यमराज मृत्यु के भय से मुक्त कर  देते हैं।

पुजा का शुभ मुहुर्त (Chitragupta Puja Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-

आरंभ – शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02:42 बजे से चित्रगुप्त पुजा का मुहुर्त आरंभ होगा

समाप्त – अगले दिन यानी 27 अक्टूबर 2022 की दोपहर 12:45 पर चित्रगुप्त पुजा का मुहुर्त समाप्त होगा

मुहूर्त – 26 अक्टूबर 2022 को दोपहर 1:18 से दोपहर 3:33 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा।

चित्रगुप्त पूजा का महत्व 2022

यम द्वितीया के दिन कलम, लेखन आदि चित्रगुप्त की प्रतिकृति की पूजा की जाती है। इस दिन व्यापार से जुड़े लोग अपना लेखा भगवान चित्रगुप्त के सामने रखते हैं और इनका नाम लेकर नया काम शुरू करते हैं। ऐसा करने से व्यापार में वृद्धि होती है। सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं। माना जाता है कि चित्रगुप्त की पूजा करने से मृत्यु के बाद नरक की यातना झेलनी नहीं पड़ती। दरअसल, चित्रगुप्त वह देवता हैं, जो मनुष्य के कर्मों का आकलन करते हैं। वही व्यक्ति को नरक या स्वर्ग में जगह देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति मानव जीवन में भगवान चित्रगुप्त की पूजा अवश्य करें, जिससे मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में जाने संभावना बढ़ जाए। ऐसा माना जाता है कि यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में ब्रह्मा के सामने प्रकट हुए थे। इसलिए, पूजा और समारोहों के लिए इसी दिन चुना गया है।

एस्ट्रोलॉजर से चैट करने के लिए: यहां क्लिक करें

चित्रगुप्त जयंती कथा

सौदास नाम का एक राजा था। वह कर्मों से बेहद धुर्त था। आप कह सकते हैं कि वह पापो का स्वीमा था। लोगों पर अत्याचार करना मानो उसका धर्म था। एकबार की बात है, आखेट के लिए वह वन में गया। वहां कुछ साधु पूजा कर रहे थे। उसने जिज्ञासावश साधुओं से पूजा की वजह पूछी। तब उन्होने बताया कि ये चित्रगुप्त और यमराज की पूजा की जा रही है। इसे चित्रगुप्त जयंती के नाम से जाना जाता है। इस पूजा को श्रद्धा भाव से करने पर मनुष्य का नरक में दी जाने वाली यातनाएं खत्म हो जाती हैं और पृथ्वी लोक में उसके द्वारा किए गए सभी पाप कर्मों को माफ कर दिया जाता है। साधु की बात सुनकर सौदास नामक राजा ने भी पूरे विधि-विधान के साथ यह पूजा की।

कुछ समय बाद राजा की मृत्यु हुई। यम दूत उसे मारते हुए मृत्यु लोक लेकर गए। जब उस लोक में उसके कर्मों का लेखा-जोखा देखा जा रहा था, उससे पता चला कि उसने आजीवन लोगों को कष्ट दिए हैं, इसका जीवन पाप कर्मों से भरा हुआ है। लेकिन उसी लेखा-जोखा में यह भी देखा गया कि उसने एक बार भगवान चित्रगुप्त जयंती की पूजा बहुत श्रद्धा भाव से की थी। इस तरह धर्मोनुसार वह नरक में नहीं भेजा जा सकता। अत: उसे स्वर्ग लोक मिलता है। इस तरह प्रकार राजा स्वर्ग लोक पहुंच गया।

चित्रगुप्त कौन थे ? 

वैसे तो इस बात से जुड़े अनेक उल्लेख शास्त्रों में दर्ज हैं, लेकिन धर्म ग्रंथों के अनुसार चित्रगुप्त ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे। कहते हैं यह किसी भी प्राणी के पृथ्वी पर जन्म से लेकर मृत्यु तक उसके कर्मों को अपनी पुस्तक में लिखते रहते हैं, उनकी लेखनी के आधार पर ही व्यक्ति को स्वर्ग लोक या नर्क लोक की प्राप्ति होती है। चित्रगुप्त कायस्थ समाज के ईष्ट देवता माने जाते हैं। हर साल इनकी पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को की जाती है।

एस्ट्रोलॉजर से बात करने के लिए: यहां क्लिक करें

चित्रगुप्त का जन्म कैसे हुआ?

यह माना जाता है चित्रगुप्त, ब्रह्मा जी के सत्रहवें मानस पुत्र हैं। कहते हैं कि उन्हें ब्रह्मा की आत्मा और मन से बनाया गया था। इस तरह उन्हें ब्राह्म जी की तरह वेद लिखने का अधिकार भी दिया गया था और उन्हें क्षत्रिय का कर्तव्य भी सौंपा गया था। चित्रगुप्त मृत्यु के देवता यम के साथ रहते हैं और सभी मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते है ।

यम के सहयोगी चित्रगुप्त

हिंदू धर्म के अनुसार चित्रगुप्त यमराज के खास सहयोगी हैं। वह मनुष्य के कर्मों का लेखा जोखा अपने पास रखते हैं। चित्रगुप्त की पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को की जाती है। इसी दिन भाई दूज और यम द्वितीया भी मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन यमदेव अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। खैर, ऐसा माना गया है कि इस दिन अगर मानव अपने व्यापार से जुड़ी वस्तुओं को अच्छी तरह व्यवस्थित करके चित्रगुप्त जी की पूजा करे तो उनके व्यापार में अत्यधिक वृद्धि होती है। चित्रगुप्त भगवान की कृपा भी उनकी व्यापारिक जीवन पर बनी रहती है।

एस्ट्रोलॉजर से चैट करने के लिए: यहां क्लिक करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

चित्रगुप्त पूजा कब है?

चित्रगुप्त जी पूजा को विधि-विधान से किए जाना बहुत शुभ माना जाता है। चित्रगुप्त पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को कि जाती है। इस दिन भाई दूज और यम द्वितीया भी मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यम द्वितीया इस साल 26 अक्टूबर 2022 को है।

भगवान चित्रगुप्त के पिता का क्या नाम है?

मतांतर से चित्रगुप्त के पिता मित्त नामक कायस्थ थे। माना जाता है कि  जब भगवान श्री चित्रगुप्त का उद्भव ब्रह्माजी के द्वारा हुआ था। तब चित्रगुप्त के अम्बष्ट, माथुर तथा गौड़ आदि नाम के कुल के 12वे पुत्र माने गए हैं।

चित्रगुप्त की पत्नी कौन थी?

सभी इंसानों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले धर्मराज यमराज के चित्रगुप्त एक सहयोगी है। कहते हैं ब्रह्माजी की आज्ञा से चित्रगुप्त, यमलोक के राजा यमराज के प्रमुख सहायक बनें। फिर ऋषि सुशर्मा की पुत्री इरावती से उनका विवाह हुआ।

चित्रगुप्त के कितने पुत्र थे?

यदि बात करे कि चित्रगुप्त के पुत्रों की तो उनके सामान्य बारह पुत्र थे जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं- भानू, विभानु, विश्वभानु, विरजावां, ओहरू, सुचारू, चित्रा, मतिमान, हिमवान, चित्रचारु, अरुण और अतींद्रिया।

image credit – detechter.com

अधिक जानकारी के लिए आप Astrotalk के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।

अधिक के लिए, हमसे Instagram पर जुड़ें। अपना साप्ताहिक राशिफल पढ़ें।

 9,342 

Posted On - October 17, 2022 | Posted By - Meera Tagore | Read By -

 9,342 

क्या आप एक दूसरे के लिए अनुकूल हैं ?

अनुकूलता जांचने के लिए अपनी और अपने साथी की राशि चुनें

आपकी राशि
साथी की राशि

अधिक व्यक्तिगत विस्तृत भविष्यवाणियों के लिए कॉल या चैट पर ज्योतिषी से जुड़ें।

Our Astrologers

1500+ Best Astrologers from India for Online Consultation