चैत्र मास में आने वाली पूर्णिमा को ही चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। साथ ही चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम के नाम से भी कहा जाता है। चूंकि, चैत्र मास हिन्दू वर्ष का प्रथम माह होता है, इसलिए चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान सत्य नारायण की पूजा कर उनकी कृपा पाने के लिये भी लोग पूर्णिमा का उपवास रखते हैं। वहीं रात्रि के समय चंद्रमा का पूजन करके ही व्रत खोला जाता है। साथ ही उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती भी धूम-धाम से मनाई जाती है। बता दें कि चैत्र पूर्णिमा 2023 के मौके पर नदी, तीर्थ, सरोवर और पवित्र जलकुंड में स्नान और दान करने से जातक को पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में रास उत्सव किया था, जिस उत्सव को महारास के नाम से जाना जाता है। इस महारास में हजारों गोपियों ने एक साथ भाग लिया था और प्रत्येक गोपी के साथ भगवान श्रीकृष्ण ने रातभर नृत्य किया था। बता दें कि उन्होंने यह कार्य अपनी योगमाया के द्वारा किया था। चलिए जानते है कि साल 2023 में चैत्र पूर्णिमा कब और कैसे मनाई जाएगी और इस दिन व्रत रखने से जातक को क्या लाभ होता है।
चैत्र पूर्णिमा 2023 | 06 अप्रैल 2023, गुरुवार |
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ | 05 अप्रैल 2023 को 09ः19 बजे |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 06 अप्रैल 2023 को 10ः04 बजे |
चैत्र एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है जब सूर्य ग्रह मेष राशि में उच्च स्थिति में होता है और चंद्रमा ग्रह तुला राशि के नक्षत्र में चमकीले तारे चैत्र के साथ संरेखित होते है, तो इसे चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। बता दें कि पूर्णिमा अभिव्यक्ति और सृजन के लिए एक शक्तिशाली अवधि मानी जाती है, क्योंकि इस दिन मन अपने विभिन्न प्रकार के विचारों को संतुलित करना शुरू कर देता है। साथ ही मेष राशि में उच्च का सूर्य ग्रह आत्मा को सक्रिय करता है और जातक को अच्छे “कर्म” विकल्प बनाने की शक्ति प्रदान करता है, जो जातक के वर्तमान जीवन के साथ-साथ आने वाले जीवन को भी निर्धारित करता है।
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हिंदू धर्म में कई ग्रंथों में चैत्र पूर्णिमा का वर्णन किया गया है। बता दें कि चैत्र पूर्णिमा को चैत्र के माह में शुक्ल पक्ष के समय आने वाली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। वहीं अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार यह अप्रैल या मई के महीने में आने वाली महत्वपूर्ण पूर्णिमा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र पूर्णिमा को हर वर्ष मनाई जाने वाली प्रथम पूर्णिमा माना जाता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन विधि- विधान से किया जाता है।
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चैत्र पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और जप आदि का कार्य किया जाता हैं। इस दिन भगवान सत्य नारायण का पूजन करने और जरूरतमंद लोगों को दान देना जातक के लिए काफी लाभदायक होता है। चैत्र पूर्णिमा 2023 व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है-
चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं। यह व्रत अनेक धर्मों में मान्य है जैसे हिंदू, जैन, और बौद्ध धर्म आदि। इस व्रत के लाभों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं:
ऐसी मान्यता है कि चैत्र मास की पूर्णिमा को ही श्रीराम भक्त बजरंगबली जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन विशेष रूप से उत्तर और मध्य भारत में हनुमान जयंती धूम-धाम से मनाई जाती है। वहीं हनुमान जयंती को लेकर कुछ मतभेद हैं। कुछ स्थानों पर हनुमान जयंती को कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर मनाते है, तो कुछ जगह चैत्र शुक्ल पूर्णिमा पर हनुमान जयंती मानते है। हालांकि, धार्मिक ग्रन्थों में दोनों ही तिथियों का जिक्र है। लेकिन इनके कारणों में भिन्नता हो सकती है, इसलिए पहली तिथि जन्मदिवस है और दूसरा तिथि विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप मे मनाया जाता है।
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वैदिक परंपरा के अनुसार माना जाता है कि भगवान बृहस्पति भगवान इंद्र के गुरु हैं। एक बार इंद्र ने अपने गुरु की अवज्ञा की। नतीजतन, बृहस्पति ने अस्थायी रूप से उन्हें सबक सिखाने के लिए अपने सलाहकार कर्तव्य को इंद्र को सौंप दिया। बृहस्पति के दूर रहने के दौरान इंद्र ने बहुत बुरे कार्य किए। जब बृहस्पति अपने कर्तव्यों पर लौट आए, तो उन्होंने इंद्र ने पूछा कि बुरे कर्मों को दूर करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए। भगवान बृहस्पति ने इंद्र को तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए कहा।
दक्षिण भारत के मदुरै में तीर्थयात्रा के दौरान, इंद्र को लगा जैसे उनके कंधों से उनके कई पाप दूर हो गए है। बाद में भगवान इंद्र ने वहां एक शिवलिंग की खोज की और इस शिवलिंग को चमत्कार का श्रेय दिया था, जिससे मौके पर एक मंदिर का निर्माण हो गया था। भगवान शिव ने पास के एक तालाब में स्वर्ण कमल बनाया, जब भगवान इंद्र शिवलिंग की पूजा कर रहे थे। भगवान शिव उनसे प्रसन्न हुए और आशीर्वाद दिया। चैत्र पूर्णिमा वह दिन था, जिस दिन भगवान इंद्र ने शिव जी की पूजा की थी।
चैत्र पूर्णिमा भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के अनुसार एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन कई अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
चैत्र पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण पर्व है और इस दिन कुछ विशेष गतिविधियां की जाती हैं। नीचे कुछ ऐसी गतिविधियों के बारे में बताया गया है जो आप चैत्र पूर्णिमा के दिन कर सकते हैं और जिनसे आपको लाभ हो सकता है। चैत्र पूर्णिमा हिंदू धर्म के अनुसार एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन कुछ कार्यों का किया जाना अधिक शुभ माना जाता है जबकि कुछ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है।
चैत्र पूर्णिमा के दिन कुछ ज्योतिष उपाय भी किए जाते हैं, जो आपको अधिक शुभ फल प्रदान कर सकते हैं। कुछ उपाय हैं:
चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर कुछ मंत्रों का जाप करना महत्वपूर्ण माना जाता है। ये मंत्र भगवान चंद्रमा की पूजा के लिए होते हैं और इनका जाप करने से चंद्रमा की कृपा मिलती है।
इन मंत्रों को चैत्र पूर्णिमा के दिन जाप करते हुए, लोग चंद्रमा की कृपा प्राप्त करते हैं और उन्हें समृद्धि, स्वास्थ्य, धन, संतान आदि की प्राप्ति होती है।
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