देवों के देव महादेव की अराधना का सबसे विशेष दिन महाशिवरात्रि इस बार २१ फरवरी २०२० को मनाया जायेगा। इस विशिष्ट त्योहार पर ५९ साल बाद शश नामक योग बन रहा है। इस दिन शनि और चंद्र मकर राशि में होंगे, गुरु धन राशि में, बुध कुंभ राशि में तथा शुक्र मीन राशि में उच्च के रहेंगे। साथ ही शुभ कार्यों को संपन्न करने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी इस दिन बन रहा है। साधना सिद्धि के लिए भी ये योग खास माना जाता है।
हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहरों में से एक है महाशिवरात्रि। यह मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती जी का विवाह हुआ था, फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है अर्थात अमवस्या से 1 दिन पहले काली रात को यह पर्व मनाया जाता है।
शिव भक्त साल भर अपने आराध्य भोले भंडारी की विशेष आराधना के लिए साल भर इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं। इस भव्यता के साथ ही, यह दिन अंधेरे और अज्ञान से छुटकारा पाने का प्रतीक है। महा शिवरात्रि का पर्व उपवास रखने, भगवान शिव की पूजा करने और रुद्राभिषेक करने का शुभ दिन है।
२१ फरवरी को शाम को ५:२० मिनट से २२ फरवरी, शनिवार को शाम ७:२ मिनट
रात्रि प्रहर पूजन मुहूर्त- शाम को ६:४१ मिनट से रात १२:५२ मिनट तक होगी।
महाशिवरात्रि पारण समय– ०६:५४ से ०३:२५ बजे
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ २१ फरवरी शुक्रवार को प्रातः ०५:२० बजे
चतुर्दशी तिथि समापन शनिवार, २ फरवरी को प्रातः ०७:०२ बजे
महा शिवरात्रि का दिन शिव की भक्ति में डूबने का है। भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं, भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों पर फूल और दूध चढ़ाते हैं और “ओम नमः शिवाय” का जाप करते हैं। इस पावन अवसर पर मिट्टी, चांदी, ताँबें, कांसे, अष्टधातु लोटे में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर ‘शिवलिंग’ पर चढ़ाना चाहिए। अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है। तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए।
शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप करना चाहिए। शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार रात्रि के चारों प्रहरों में पूजन कर सकते हैं।
इस दिन सभी शिवालयों में भक्तों कि भीड़ इकठ्ठा होती है। सभी शिवलिंग पर दूध, पुष्प, जल, फल और बेल पत्र चढ़ाकर शिव जी को प्रसन्न करने की कोशिश और कामना करते हैं। साथ ही यह मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो भी भक्त सच्चे मन से शिविलंग पर अभिषेक करते हैं अथवा जल चढ़ाते हैं उन्हें महादेव की विशिष्ट कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, शिव इतने भोले हैं कि अगर कोई अनायास भी शिवलिंग की पूजा कर दे तो भी उसे शिव कृपा प्राप्त हो जाती है।
इसी कारणवश शंकर भगवन को भोलेनाथ कहा गया है। प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आने वाली रात्रि को सिर्फ शिवरात्रि कहा जाता है। परन्तु, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।
जैसा कि कहा गया है सभी शिवरात्रि में यह सबसे महत्वपूर्ण है, यथा, इस अवसर पर शिवलिंग पर अभिषेक करना महत्वपूर्ण है। यह प्रमुख धार्मिक क्रियाओं में से एक है। अभिषेक में कई पवित्र चीज़ें चढ़ाई जाती हैं जो भगवान शिव को पसंद है। जैसे कि, दूध, गंगाजल, दही, शहद, गुड़, शक्कर, चंदन, भस्म, काले तिल, पान का पत्ता, बेल पत्र, धतूरा, भांग और घी इत्यादि। इसके अलावा, शिव की कृपा पाने के लिए भक्त निम्न कार्य करते हैं-
अधिक जानकारी के लिए और रुद्राभिषेक पूजा के लिए आचार्य सचिन कुकरेती से परामर्श करें।
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