कई बार सब कुछ ठीक होने के बावजूद भी व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियां होती हैं, जिसके कारण उसे अपने जीवन में असफलता का सामना करना पड़ता है। आपको बता दें यह परेशानियां वास्तु दोष के कारण उत्पन्न हो सकती हैं। जब घर या घर का शौचालय, बाथरूम सही दिशा में ना बनाया जाए, तो व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण जातक अपने जीवन में असफलता का सामना करते है और वह अपने जीवन में निराशा की चपेट में आ जाते है। इसीलिए घर बनाते समय वास्तु काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जब बाथरूम में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है, तो व्यक्ति को इससे जुड़ी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। और बहुत प्रयास करने के बाद भी यह परेशानियां दूर नहीं हो पाती हैं। इसीलिए वास्तु दोष का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है ताकि व्यक्ति अपने जीवन में परेशानियों का सामना ना करें और सफलता की सीढ़ियों पर आगे बढ़ सकें। यही कारण है कि वास्तु नियमों के अनुसार अपने घर का निर्माण करवाना बेहद जरूरी होता है। ताकि व्यक्ति के घर में किसी भी तरह का वास्तु दोष उत्पन्न ना हो और ना ही उसे किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़े, इसलिए आपको वास्तु का विशेष ध्यान रखना चाहिए। चलिए जानते हैं कि बाथरूम का वास्तु दोष कैसे दूर किया जा सकता है (bathroom ka vastu dosh kaise dur kare)-
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वास्तु शास्त्र में घर बनवाते समय वास्तु शास्त्र अवश्य ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि यह घर के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। आपको बता दें कि यदि आपका घर बन रहा है या अपना बाथरूम रेनोवेट हो रहा हैं, तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साथ ही गलत दिशा में बाथरूम होने से घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण व्यक्ति को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसका असर आर्थिक क्षेत्र और जातक की हेल्थ पर पड़ता है इसीलिए वास्तु शास्त्र काफी महत्वपूर्ण होता है। घर बनाते समय इसका ध्यान अवश्य रखना चाहिए। चलिए जानते हैं कि वास्तु दोष कैसे उत्पन्न होता है।
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अगर आपके बाथरूम में वास्तु दोष उत्पन्न हो गया है, तो बाथरूम में शीशे के एक बर्तन में नमक डालकर रख दें। इससे बाथरूम का वास्तु दोष खत्म हो जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हर हफ्ते नमक को बदलते रहना है।
इसी के साथ बाथरूम का निर्माण करते समय वास्तु शास्त्र का बेहद ध्यान रखना चाहिए।
वही बाथरूम का निर्माण करवाते समय पानी की निकासी उत्तर या फिर पूर्व दिशा में होनी चाहिए। अगर बाथरूम का पानी दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ है, तो इससे घर में अशांति बनी रहती है।
अगर बाथरूम में शीशा लगा है, तो उसका मुंह दरवाजे की तरफ नहीं होना चाहिए। इस दिशा में शीशा लगाना घर में नेगेटिव एनर्जी उत्पन्न करता है और घर में परेशानी आती है।
इसी के साथ वास्तु शास्त्र कहता है कि बाथरूम में रखे टप और बाल्टी को हमेशा भर कर रखना चाहिए। इससे वास्तु के अनुसार घर में खुशियां आती हैं।
इसी के साथ बाथरूम में गीजर और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक आइटम को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना सही होता है।
इसी के साथ घर के बेडरूम और बाथरूम को अलग-अलग दिशा में बनवाना चाहिए ताकि घर में स्थिरता और समृद्धि बनी रहती है।
बाथरूम का निर्माण करते समय ईशान कोण को छोड़कर किसी भी दूसरे हिस्से में बाथरूम का निर्माण करना चाहिए। ईशान कोण में टॉयलेट बनाने से हेल्थ प्रॉब्लम्स के साथ-साथ फाइनेंस प्रॉब्लम भी बढ़ जाती हैं।
इसी के साथ बाथरूम का निर्माण किचन से दूर ही करवाना चाहिए। बाथरूम, किचन और बेडरूम के साथ बनवाने से घर के सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी के साथ वास्तु शास्त्र कहता है कि बाथरुम और किचन अलग-अलग बनवाना सही रहता है।
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