ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह को देव गुरु कहा जाता है। बृहस्पति को एक शुभ ग्रह माना जाता है इसलिए कुंडली में इसकी स्थिति बहुत अहम मानी जाती है। ज्योतिष में बुध ग्रह ज्ञान, अध्यात्म आदि का कारक माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में यह ग्रह शुभ अवस्था में होता है उन्हें जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त हो सकती हैं। प्रथम भाव में बृहस्पति के परिणाम जानने के लिए आगे पढ़ें-
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को एक अहम ग्रह माना गया है। यदि गुरु कर्क राशि में स्थित हो तो उच्च का होता है और मकर राशि में यह नीच का होता है। काल पुरुष की कुंडली में इसे धनु और मीन राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। यदि कुंडली में यह मजबूत अवस्था में विराजमान है तो व्यक्ति को जीवन में धन, पारिवारिक, संतान, आध्यात्मिक सुख प्राप्त होते हैं।
वहीं यह कुंडली में अच्छी अवस्था में न हो तो व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस ग्रह से आपकी शिक्षा का भी पता चलता है इसलिए इसकी स्थिति और भी महत्वपूर्ण बन जाती है।
कुंडली में प्रथम स्थान को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे आपके व्यक्तित्व, शरीर, आत्मा, बुद्धि आदि का पता चलता है। जिन जातकों की कुंडली में प्रथम भाव में बृहस्पति ग्रह विराजमान होता है वह बौद्धिक रुप से सशक्त हो सकते हैं। ऐसे लोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन भी अच्छा रहता है। ऐसे लोग अपने माता-पिता का भी साथ देते हैं और हमेशा उनका सम्मान करते हैं।
बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है। इनमें बुद्धि और ज्ञान की प्रचुरता है इसलिए यदि प्रथम भाव में बृहस्पति के होते हैं और सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। बौद्धिक बल के साथ-साथ इनमें शारीरिक बल भी प्रचुर मात्रा में होता है। ऐसे लोगों को यात्रा करने में मजा आता है।
इसके साथ ही प्रथम भाव में विराजमान बृहस्पति इन्हें अच्छा सलाहकार भी बनाता है। प्रथम भाव से बृहस्पति पंचम दृष्टि से आपके शिक्षा के भाव को देखता है इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में भी आपको उपलब्धि मिल सकती है। हालांकि बृहस्पति ग्रह यदि कमजोर हो तो कुछ परेशानियां अवश्य आ सकती हैं।
यदि प्रथम भाव में बृहस्पति हों तो व्यक्ति को सफलता मिल सकती है। लेकिन यदि आप अपने आदर्शों पर खरे नहीं उतरते हैं तो जीवन में कई कठिनाईयों का सामना आपको करना पड़ सकता है।
जिन लोगों की कुंडली के प्रथम भाव में बृहस्पति ग्रह मजबूत अवस्था में बैठा है उनकी काया आजीवन निरोगी रह सकती है। ऐसे लोग अपने स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देते हैं, हालांकि गुरु की स्थिति यदि अच्छी नहीं है तो बीमारियों की चपेट में आप आ सकते हैं और मोटापे की समस्या आपको हो सकती है।
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