शास्त्रों में गोवर्धन पूजा करना बेहद ही शुभ माना जाता है, क्योंकि इस पर्व का सीधा संबंध प्रकृति और मानव से होता है। हिंदू पंचांग में, गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्यौहार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानि दिवाली के दूसरे दिन भक्ति-भाव से मनाया जाता है। यह त्यौहार पूरे भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है। लेकिन उत्तर भारत में खासकर ब्रज भूमि (मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना आदि) पर इसकी भव्यता देखने लायक होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी की जाती है, क्योंकि उन्होंने गोकुल के लोगों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित किया था और देवराज इंद्र के अहंकार को खत्म किया था। आइए जानते है कि इस बार गोवर्धन पूजा 2023 में कब और कैसे की जाएगी।
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गोवर्धन पूजा 2023 | 14 नवबंर 2023, मंगलवार |
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त | सुबह 06ः14 से सुबह 08ः35 |
प्रतिपदा तिथि का प्रारम्भ | 13 नवबंर 2023 दोपहर 02ः56 |
प्रतिपदा तिथि का समापन | 14 नवबंर 2023 दोपहर 02ः36 |
हिंदू धर्म में भाई दूज का त्यौहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है, क्योंकि यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। साथ ही इस त्यौहार को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को धूम-धाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार गोवर्धन के बाद मनया जाता है, जिसे दिवाली के अंतिम दिन के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र की भगवान से कामना करती हैं और भाई अपनी बहन को शगुन के रूप में उपहार भेंट करता है। साथ ही इस दिन मृत्यु के देवता यानि यमदेव की भी पूजा की जाती है। वहीं भाई दूज 2023 में 15 नवबंर 2023 को बुधवार को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है, जो दिवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस त्यौहार को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘अनाज का ढेर’। यह बारिश और आंधी के देवता इंद्र पर भगवान श्रीकृष्ण की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, खासकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में इस त्यौहार को धूम-धाम से मनाते है। गोवर्धन पूजा की पूजन विधि इस प्रकार है:
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एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने एक बार माता यशोदा से पूछा कि सभी लोग भगवान इंद्र की पूजा क्यों करते है। जिसपर माता यशोदा उन्हें बताती हैं कि सभी लोग इन्द्र देव की पूजा इसलिए करते हैं, ताकि उन्हें बीज बोने, गायों का चारा उगाने और खेती के लिए पर्याप्त वर्षा मिल सके। माता की बात सुनकर श्रीकृष्ण ने कहा कि भगवान इंद्र की पूजा करने के बजाय सभी लोगों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, जिससे गांव के सभी लोगों को पर्याप्त वर्षा मिल सके। भगवान श्रीकृष्ण ने गांव के लोगों द्वारा इंद्र देवता को भारी मात्रा में भोजन देने की प्रथा को समाप्त करवा दिया और इस अन्न का उपयोग अपने परिवार के लिए करने की सलाह दी।
माना जाता है कि इसपर इंद्र देव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने भारी वर्षा लाकर लोगों से बदला लेने का फैसला किया। इस संकट से सभी लोग काफी डर गए। गांव के लोगों की पीड़ा और सहायता करने के लिए श्रीकृष्ण तुरंत गांव के लोगों को गोवर्धन पहाड़ी पर ले गए, जहां उन्होंने अपनी सबसे छोटी उंगली पर पूरा पहाड़ उठा लिया।
गांव के सभी लोगों ने अपने पालतू जानवरों के साथ गोवर्धन पर्वत ने नीचे शरण ली। भगवान श्रीकृष्ण ने सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा रखा था। जिसके बाद इंद्र देवता को जल्द ही अपनी गलती का अहसास हो गया और उन्होंने तुरंत भगवान से मांफी मांगी। कहा जाता है कि इसी दिन से गोवर्धन पूजा की जाती है।
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यह त्यौहार भगवान कृष्ण की इंद्र पर विजय की स्मृति में और गोवर्धन पर्वत को आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। गोवर्धन पर्वत को भगवान कृष्ण का रूप माना जाता है और यह त्यौहार उनकी दिव्य शक्ति और कृपा का प्रतीक है। अन्नकूट का अर्थ होता है अन्न का ढेर और हिंदू धर्म में इसे बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। एक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने वृंदावन के लोगों को भगवान इंद्र की पूजा न करने और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी थी। जिसपर इंद्रदेव काफी क्रोधित हुए और वृंदावन के लोगों पर वज्रपात किया। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठाकर गांव के सभी लोगों को आश्रय प्रदान किया था।
इसके बाद से ही भक्त कई सारे भोजन को प्रसाद के रूप में तैयार करते हैं, जो गोवर्धन पर्वत का प्रतिनिधित्व करता है। प्रसाद में विभिन्न प्रकार के शाकाहारी खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, जैसे चावल, सब्जियां, मिठाई और फल। भक्त इन खाद्य पदार्थों को भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं और फिर उपस्थित सभी को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं।
कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण ने सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा रखा था, तो उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था, इसलिए गांव के लोगों ने भगवान को अलग-अलग पकवान बनाकर खिलाएं थे। यही कारण है कि भगवान को छप्पन भोग लगया जाता है। छप्पन भोग भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ाए जाने वाले छप्पन अलग-अलग खाद्य पदार्थों की एक थाली होती है। भोजन की छप्पन संख्या भगवान कृष्ण के गुणों की संख्या का प्रतिनिधित्व करती है। छप्पन भोग की थाली में खीर, लड्डू, पूरी, सब्जी जैसे कई मीठे और नमकीन व्यंजन शामिल होते हैं। छप्पन भोग बड़ी भक्ति के साथ तैयार किया जाता है, जो भगवान कृष्ण को अत्यधिक प्रिय होता है।
गोवर्धन पूजा 2023 के दौरान, भक्त भगवान कृष्ण से आशीर्वाद लेने और उनका आभार व्यक्त करने के लिए विभिन्न मंत्रों का जाप कर सकते हैं। गोवर्धन पूजा के दौरान जप किए जानें वाले कुछ लोकप्रिय मंत्र हैं:
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