कई बार जातक के जीवन में कई परेशानियां आती हैं। साथ ही बनता-बनता काम भी बिगड़ जाता है। इतना ही नहीं कैरियर में भी जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है और घर में क्लेश आदि की समस्या उत्पन्न रहती है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि व्यक्ति को इस तरह की परेशानियों का सामना आखिर करना क्यों पड़ता है? आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति बनने पर पितृदोष लग जाता है। और इसी पितृदोष के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इसी के साथ सूर्य के तुला राशि में रहने पर या फिर राहु या शनि के साथ युति होने पर पितृदोष का प्रभाव जातक के जीवन में अधिक बढ़ जाता है। साथ ही लग्नेश का छठे, आठवें, और बारहवें भाव में होने से लग्न में राहु के होने पर भी पितृदोष लगता है। आपको बता दें कि इस पितृदोष के कारण जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चलिए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र में पित्र दोष निवारण के उपाय-
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ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष का काफी महत्व होता है। इसी के साथ प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में पित्र दोष को सबसे बड़ा दोष माना गया है। साथ ही पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति का जीवन काफी कष्टमय हो जाता है और उसे जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।
आपको बता दें कि जिस भी जातक की कुंडली में यह दोष उत्पन्न होता है उसे धन अभाव से लेकर मानसिक क्लेश तक का सामना करना पड़ता है। साथ ही साथ उसके जीवन में और भी कई परेशानियां उत्पन्न होती है जो उसके जीवन में नकारात्मकता को लेकर आती है। इसीलिए इस दोष का निवारण करना बेहद जरूरी होता है।
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ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष काफी खतरनाक दोष माना गया है इसी के साथ अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार ना किया जाए या फिर किसी भी कारण से व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाए, तो उस व्यक्ति से जुड़े परिवार के लोगों को कई पीढ़ियों तक पितृदोष का सामना करना पड़ता है। साथ ही पित्र दोष के अशुभ प्रभाव से बचे रहने के लिए जीवन भर उपाय भी करने पड़ते हैं।
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जो भी जातक पित्र दोष से पीड़ित होता है उस जातक को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही एक से अधिक बार हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें। आपको बता दें कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा जातक पर होती है और उसकी सभी परेशानियां दूर हो जाती है। इसलिए नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से जातक को शुभ परिणाम मिलता है।
आपको बता दें कि बजरंग बाण का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा जातक पर होती है उसके कारण जातक के सभी दुख दर्द आदि दूर हो जाते हैं।
अगर आप इस दोष से पीड़ित है, तो आपको इसका उपाय अवश्य करना चाहिए। आपको बता दें कि व्यक्ति को दक्षिण दिशा में पितरों की फोटो लगाकर उनको रोजाना माला चढ़ाकर उनका स्मरण जरूर करना चाहिए। साथ ही पूर्वजों का आशीर्वाद मिलने के बाद जातक के जीवन से इस दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
पूर्वजों के निधन की तिथि पर ब्राह्मणों को श्रद्धा पूर्वक भोजन करवाना और यथाशक्ति दान भी करना चाहिए।
साथ ही आपको पीपल के पेड़ पर दोपहर में जल अवश्य चढ़ाना चाहिए। और पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल और काले तिल भी चढ़ाना चाहिए। साथ ही प्रियजनों को याद करना चाहिए।
पित्र दोष से बचने के लिए आपको शाम के समय रोजाना दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाना चाहिए। अगर आप रोजाना दीपक नहीं जला पाए, तो कम से कम पितृपक्ष में जरूर जलाएं।
पित्र दोष से छुटकारा पाने के लिए आपको किसी गरीब कन्या का विवाह करने या फिर विवाह मदद करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। साथ ही इससे आपको विशेष लाभ होगा।
इस दोष से छुटकारा पाने के लिए आपको अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंदों को वस्त्रों और अन्य दान करने चाहिए। इससे आपको विशेष फल मिलता है साथ ही यह दोष जल्द ही खत्म हो जाता है।
सोमवार के दिन सुबह स्नान करके नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर 21 पुष्प, बेल पत्थर के साथ शिवजी की पूजा करें और 21 सोमवार तक यह उपाय करने से जातक का पित्र दोष कम हो जाता है।
इसी के साथ रोजाना कुल देवता की पूजा करने से भी पितृदोष खत्म होता है।
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